तुर्की के महामहिम राष्ट्रपति, श्री अब्दुल्ला गुल द्वारा आयोजित राजकीय भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति महल, अंकारा, तुर्की : 07.10.2013
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महामहिम,
पिछले तीन दिनों के दौरान मुझे आपके सुंदर और मैत्रीपूर्ण देश में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और मैंने तुर्की के लोगों की गर्मजोशी और स्वागत का अनुभव किया है। आपकी मैत्री और सद्भावना आज आपके साथ भोज करने के लिए मुझको भेजे गए निमंत्रण में दिखाई देती है। आज, हमारी बातचीत में मुझे जो सद्भावना महसूस हुई है वह हमारे देशों को निकट लाने की संभावना का प्रतिबिम्ब है। मैं इसे हमारे साझे सांस्कृतिक, भाषायी, सामाजिक और सभ्यतागत अनुभवों के प्रति सम्मान के रूप में स्वीकार करता हूं। मेरे और मेरे शिष्टमंडल के लिए यहां आना तथा तुर्की, इसकी जनता, इसके इतिहास और इसकी भव्यता को साक्षात जानना एक सौभाग्य और प्रसन्नता का विषय है। महामहिम, मैं इस यात्रा के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं।
महामहिम, मैं अपने देश भारत में आपका स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारे दोनों देशों—तुर्की और भारत के बीच आतिथ्य में, अतिथियों का स्वागत करने में और हमारे खान-पान में, जिसका स्वाद आपने साढ़े तीन वर्ष पूर्व भारत में लिया होगा, की साझी समानता भी आपकी यात्रा को आनंददायक बनाएगी। हमारे देशों के सम्बन्ध, सांस्कृतिक विरासत, कला और खान-पान के आदान-प्रदान से कहीं आगे हैं।
अनेक परस्पर जुड़े हुए क्षेत्रों में समान हित वाली दो उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, हमें घनिष्ठ सम्बन्धों का फायदा उठाने का लक्ष्य बनाना चाहिए। हमारे विकासशील समाज विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं; हम अकादमिक आदान-प्रदान और जन-संपर्क बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। जी-20 के सदस्य होने के कारण, हम वैश्विक समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर मिलकर कार्य करते हैं। हम ऐतिहासिक मोड़ पर हैं; आज हम जो निर्णय लेते हैं, वह इन संबंधों के भविष्य पर असर डालेंगे।
महामहिम, मेरी हार्दिक अभिलाषा है कि दो स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में, हम इस विश्व को बेहतर और जीने के लिए सुरक्षित स्थान बनाने तथा हमारे द्विपक्षीय सम्बन्धों को सहयोग और आपसी सद्भावना के शिखर तक ले जाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे।
मैं तुर्की की अपनी यात्रा की बहुत मधुर स्मृतियां साथ लेकर जा रहा हूं। महामहिम, मैं आपके स्वास्थ्य, तुर्की क़ी जनता की प्रगति और समृद्धि की कामना करता हूं। हम, अपने दोनों देशों को ऐसे आकर्षण के केंद्र बनाने के प्रति स्वयं को पुन: समर्पित करें, जिनसे हमारे अपने-अपने क्षेत्रों में तथा सम्पूर्ण विश्व में शांति और स्थिरता आएगी।