स्नातकोत्तर चिकित्सा तथा अनुसंधान संस्थान, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के स्थापना दिवस परभारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 25.02.2014

डाउनलोड : भाषण स्नातकोत्तर चिकित्सा तथा अनुसंधान संस्थान, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के स्थापना दिवस परभारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 240.64 किलोबाइट)

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1. डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के स्नातकोत्तर चिकित्सा तथा अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस समारोह में, यहां आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए वास्तव में सौभाग्य की बात है। मुझे इतने सारे युवा डॉक्टरों से मिलने का अवसर प्राप्त करके भी खुशी हुई है जिन्होंने आज अपनी स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।

2. डॉ. राम मनोहर लोहिया एक उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थान है जो आठ से ज्यादा दशकों से मानवता की सेवा में लगा है। एक मामूली शुरुआत से, यह अस्पताल अब अत्याधुनिक तृतीयक देखभाल सुविधा के रूप में विकसित है गया है। 1954 में 50 बिस्तरों वाले इसके अंत: रोगी स्वास्थ्य सेवा में आज 1200 बिस्तर हैं।

3. स्नातकोत्तर चिकित्सा तथा अनुसंधान संस्थान की स्थापना इसी दिन छह वर्ष पूर्व की गई थी। इसकी स्थापना स्नातकोत्तर स्तरीय चिकित्सा शिक्षा विकसित करने तथा विभिन्न चिकित्सा विधाओं में विशेषज्ञ तैयार करने के लिए की गई थी। 28 स्नातकोत्तर और 2 सुपर स्पेशियलिटी सीटों से अब इसमें 101 स्नातकोत्तर और 25 सुपर स्पेशियलिटी सीटें हैं और यह अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए विख्यात है। मैं इस संक्षिप्त अवधि में इसकी अद्भुत प्रगति के लिए संकाय और प्रबंधन को बधाई देता हूं तथा उनसे कठिन मेहनत करते रहने का आाग्रह करता हूं।

4. यह जानकर प्रसन्नता होती है कि संस्थान ने भविष्य के लिए कुछ भव्य योजनाएं बनाई हैं। एक नए सुपर स्पेशियलिटी खंड तथा अतिरिक्त सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम की संकल्पना की गई है। इससे शैक्षिक स्तर में और वृद्धि होगी तथा साथ ही अत्यधिक संख्या में रोगियों को लाभ मिलेगा। मुझे इन पहलों के शीघ्र कार्यान्वयन की उम्मीद है।

प्यारे युवा चिकित्सकों,

5. मैं आज स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने पर आप सभी को बधाई देता हूं। यह उपाधि आप में राष्ट्र के निवेश का प्रतिफल है। इससे आप समाज में योगदान देने; लोगों के जीवन का स्पर्श करने और उसे बदलने के लिए सशक्त बने हैं। याद रखिए रोगी अपनी इच्छा से अस्पताल नहीं आते, वे तभी आते हैं जब हालात उन्हें विवश कर देते हैं। वे इस अटूट विश्वास के साथ जाते हैं कि वे आधुनिक चिकित्सा के चमत्कार द्वारा ठीक हो जाएंगे। उपचार में उनके कष्टों को कम करने में अग्रदूत बनें। लोगों की सेवा करने का आपका उत्कृष्ट हमेशा कायम रहना चाहिए।

6. शिक्षा के इस मंदिर में, आपका परिचय अग्रणी चिकित्सा प्रौद्योगिकी से हुआ है। आपने चुनौतीपूर्ण रोगों की जांच और उपचार में भाग लिया है। यहां प्रशिक्षण के दौरान, आपको मानव शरीर के रहस्यों को जानने का अवसर मिला है। आज जब आप इस सम्मान को प्राप्त कर रहे हैं तो मुझे विश्वास है कि आप उन सभी बीमार लोगों के प्रति ऋणी महसूस करेंगे, जो आपके लिए सीखने का माध्यम बने हैं।

7. मानव तंदुरुस्ती की एक विशेषता के तौर पर अच्छा स्वास्थ्य मानवता की सबसे पहली पूंजी है। बहुत वर्ष पहले भगवान बुद्ध ने कहा था ‘देह को स्वस्थ रखना एक कर्तव्य है... अन्यथा हम अपने मन को दृढ़ और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे’। स्वस्थ जनता द्वारा, शिक्षा के लिए प्रयास करने, ज्ञान अर्जित करने तथा रोजगार के अवसर प्राप्त करने के प्रति अधिक दिलचस्पी प्रदर्शित किया जाता है। उनका स्वास्थ्य देश की प्रगति का एक सच्चा प्रतिबिंब है।

8. उपलब्धता, गुणवत्ता और वहनीयता के आवश्यक तीन सूत्रों पर आधारित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एक विकसित देश के लिए अनिवार्य शर्त है। भारत में स्वास्थ्य सेवा का विस्तार एक दीर्घकालीन प्रयास रहा है। 2005 में, उपकेंद्रों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क के जरिए स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीण जनसंख्या तक घर-घर ले जाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आरंभ किया गया था। बेहतर अवसंरचना, प्रशिक्षित जनशक्ति, प्रभावी औषधियों और आधुनिक उपकरणों ने सेवा सुपुदर्गी में सुधार किया है। इस मिशन का विस्तार अब शहरी क्षेत्रों तक कर दिया गया है।

9. परंतु, एक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जनसाधारण की पहुंच से अभी दूर है। अंतिम लक्ष्य तक इसकी पहुंच बाधारहित नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं की सुपुर्दगी गुणवत्ता में अक्सर खामी पायी जाती है। इन बाधाओं के कारण बहुत से लोग निजी क्षेत्र के महंगे उपचार पर निर्भर रहने लगे हैं। चिकित्सा के अधिक खर्च से गरीब लोगों के जीवन में समस्या पैदा होती है। खराब आर्थिक हालत वाले रोगियों को समुचित चिकित्सा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।इस संदर्भ में, मैं चिकित्सा आपातकाल के दौरान लोगों को राहत प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य बीमा तंत्र के कारगर ढंग से कार्य करने की आवश्यकता पर बल देना चाहूंगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थी भर्ती होकर नकदी-रहित उपचार कराने का हकदार होते हैं। यह सुविधा व्यापक होनी चाहिए तथा इसे प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा में उपलब्ध होना चाहिए। हमें देश के प्रत्येक गरीब व्यक्ति तक इसके लाभ सुनिश्चित करने चाहिएं।

मित्रो,

10. प्रौद्योगिकी आधुनिक युग की मसीहा है। विभिन्न क्षेत्रों में मौलिक प्रयासों में अग्रणी प्रौद्योगिकी ने छाप छोड़ी है। स्वास्थ्य देखभाल में, प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एक मूक क्रांति लेकर आया है। उपग्रह प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए टेलीमेडिसीन परियोजना ने सूदूर क्षेत्रों के सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद की है तथा जरूरत और वंचितों तक विशेष स्वास्थ्य सेवा परामर्श पहुंचाने की सुविधा प्रदान की है।

11. प्रौद्योगिकी संचालित स्वास्थ्य सेक्टर से सेवाओं की कुशल उपलब्धता संभव हो पाएगी। स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिक प्रयासों के लिए एक अधिक संभावनाओं वाला क्षेत्र है। बेहतर नुस्खों की खोज, उन्नत चिकित्सकीय उपकरणों के देश में ही उत्पादन तथा पोषण और रोग निगरानी तंत्रों के विकास ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें नवान्वेषी अनुसंधान की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि हमारे चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधानकर्ता तथा विकास केंद्र इस चुनौती के लिए तैयार हैं।

12. भारत की प्रगति के लिए, तथा विश्व के एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में गिनती के लिए हमें अपनी सॉफ्ट शक्ति का निर्माण करना होगा। इसके लिए मानव पूंजी में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता का अनुमान कोई साधारण व्यक्ति भी लगा सकता है। भारत में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत है जो अमरीका, यूनाइटेड किंग्डम, आस्ट्रेलिया, नॉर्वे, ब्राजील जैसे देशों में 4 प्रतिशत से बहुत कम है। स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करके लोगों की क्षमता में वृद्धि करने के लिए इस व्यय को बढ़ाना होगा। निजी स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं को भी प्रोत्साहित करना होगा तथा उत्तम स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मुहैया करवाने के लिए उन्हें समुचित रूप से शामिल करना होगा।

13. जब तक इस क्षेत्र में सेवा के लिए पर्याप्त संख्या में सक्षम स्वास्थ्य सेवा पेशेवर नहीं होंगे तब तक सार्वजनिक संसाधनों की वृद्धि से अपने आप स्वास्थ्य के मूलभूत ढांचे का विस्तार नहीं होगा। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के अंत तक भारत की प्रति एक लाख आबादी पर 241 चिकित्सा पेशेवर-चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट और अन्य पेशेवर थे। चिकित्सीय पेशेवरों की सघनता को बारहवीं योजना अवधि के अंत तक 354 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। चिकित्सा शिक्षा ढांचे के विस्तार को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। नए चिकित्सा विद्यालयों की शुरुआत तथा मौजूदा की क्षमता में वृद्धि आवश्यक है। इस संदर्भ में, यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान जैसे छह संस्थान आरंभ हो चुके हैं।

14. संकाय चिकित्सा शिक्षा के संरक्षक हैं। चिकित्सा विधा के प्रबंधन से जुड़े सभी संबंधित व्यक्तियों को निर्बाध ऊर्जस्विता के साथ संकाय का विकास करना होगा। आज, चिकित्सा विज्ञान में बिजली की गति से उन्नति हो रही है। हमारे चिकित्सा विद्यालयों को निरंतर अपने पाठ्यक्रम को उन्नत बनाना होगा तथा अपने अनुसंधान कार्यकलापों के विस्तार की लगातार समीक्षा करनी होगी।

मित्रो,

15. चिकित्सा व्यवसाय सदाचार से संबंधित है। यह विज्ञान और मानवता का अदभुत मिश्रण है। बीमारों को ठीक करना, रोग शैय्या पर पड़े रोगियों की देखभाल आपके हाथों से किया गया ईश्वरीय कार्य माना जाता है। आपको प्राय: ईश्वर के समान माना जाता है। आपको उस पवित्र विश्वास का सम्मान करना चाहिए जो लोगों ने आपके प्रति व्यक्त किया है। आपको अपने पेशे की - कड़ी मेहनत और बलिदान - की अपेक्षा को पूरा करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। इस नेक पेशे को अपनाते समय आपको हिप्पोक्रेटिक शपथ के सच्चे अर्थ को सदैव याद रखना चाहिए। आपके जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों का कर्तव्य युवा डॉक्टरों में मानवतावादी नजरियापैदा करना तथा उन्हें चिकित्सा में मूल्य आधारित आजीविका की ओर उन्मुख करना है। मुझे उम्मीद है कि आप सभी समाज की नि:स्वार्थ सेवा के उच्च उद्देश्य के प्रति अपने विश्वास को दृढ़ बनाए रखेंगे। मैं, आप सभी को अपने जीवन और आजीविका में सफलता की शुभकामनाएं देता हूं। मैं, इस संस्थान के डॉक्टरों, संकाय सदस्यों और यहां कार्यरत अन्य कर्मियों को भी शुभकामनाएं देता हूं। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

धन्यवाद, 
जयहिन्द !

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