समावेशी नवान्वेषण पर वैश्विक गोलमेज प्रतिवेदन सारांश के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

वेस्ट हॉल, आरबीसीसी : 12.03.2016

डाउनलोड : भाषण समावेशी नवान्वेषण पर वैश्विक गोलमेज प्रतिवेदन सारांश के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 99.36 किलोबाइट)

sp1. मैं नवान्वेषण उत्सव 2016के प्रतिनिधियों और समावेशी नवान्वेषण पर वैश्विक गोलमेज में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। मैं यह देखकर खुश हूं कि गोलमेज ने एक बार फिर पूरे विश्व और भारत के विद्वानों,पेशेवरों और विचारकों के एक प्रभावी समूह को आकर्षित किया है।

2. हम सब आज यहां पर भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में एकत्र हुए हैं। आज भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दस वर्षों में 115 लाख गैर कृषि रोजगार पैदा करने की आवश्यकता है ताकि यह अपने कार्य को लाभकारी रोजगार दे सके और जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान कर सके। इस संदर्भ में युवा लोगों के लिए एक कैरियर के रूप में स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना एक श्रेयस्कारी महत्व का कार्य होगा।

3. हमारी सामाजिक आर्थिक परितंत्र के एक भाग के रूप में नवान्वेषण और उद्यमीकरण की संस्कृति को संस्थागत किए जाने की आवश्यकता है। नवान्वेषण और उद्यमीकरण के समावेशी होने की आवश्यकता है और उद्यमों की विभिन्नता जैसे युवा प्रौद्योगिकी फॉर्म, उभरते हुए विनिर्माण कार्य व्यवसाय और ग्रामीण नवान्वेषक कंपनियों पर केंद्रित होने की आवश्यकता है। हमें एक देश के रूप में एक ऐसे मॉडल की आवश्यकता है जो उन 350-400 लाख लोगों को जो मुख्यधारा से बाहर हैं, आकर्षित कर सके। सरकार द्वारा लांच किया गया स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम समाज और राष्ट्र के बड़े लाभ के लिए हमारी युवा पीढ़ी की बौद्धिकता और सृजनात्मकता को उपयोग में लाने के प्रति हमारे प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुझे विश्वास है कि गोलमेज के भागीदारों द्वारा की गई सिफारिशों से हमारी कार्य योजना को और अधिक ठोस बनाने में मदद मिलेगी।

देवियो और सज्जनो,

4. भारत में निति निर्धारकों को आर्थिक विकास को बढ़ाने संबंधी चुनौति का समाना करना पड़ता है जबकि इसके साथ ही इन्हें इसे सामाजिक रूप से समावेशी भी बनाना पड़ता है। उच्च स्तर की गरीबी का समाधान अत्यंत महत्वपूर्ण है। नवान्वेषण आय वृद्धि का एक वाहक है जो कुछेक परिस्थितियों में समाज में प्रत्येक व्यक्ति को लाभ पहुंचाता है परंतु अलग-अलग परिस्थितियों में समाजिक अपवर्जन को प्रवृत्त करता है। इसलिए हमें ‘समावेशी नवान्वेषण’ परियोजना पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ये वे पहलें हैं जो प्रत्यक्ष रूप से निम्न आय वर्ग और बहिष्कृत समूह के लोगों के कल्याण का प्रयोजन सिद्ध करती है। समावेशी नवान्वेषण अकसर इन समूहों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए मौजूदा प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं में भी संशोधन करती हैं। समावेशी नवान्वेषण केवल तभी सफल होगा जब यह वर्तमान की अपेक्षा गरीबों और बहिष्कृत आबादी के बड़े भाग तक पहुंचेगा। इन प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिए पहल करने की आवश्यकता है जो वित्तीय रूप से स्थायी व्यवसाय मॉडल और निम्न आय वर्ग और बहिष्कृत समूह द्वारा भागीदारी में निहित है।


5. उद्यमी देश के आर्थिक विकास में एक अहम भूमिका निभाते हैं। सफल उद्यमी नये उत्पाद का नवान्वेषण करते हैं और उन्हें मार्केट में लाते हैं, मार्केट दक्षता को सुधार करते हैं,संपदा बनाते हैं,रोजगार का सृजन करते हैं और आर्थिक प्रगति करते हैं। जबकि हम ई-कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी और मोबाईल टेलीफोन में अनेक नए उद्यमों की सफलता का उत्सव मनाते हैंए यह हमारे पूर्ण विकास की अपेक्षाओं के लिए पर्याप्त नहीं है। भारत को जमीनी सतहों के नवान्वेषण और प्रगति को बढ़ाने के लिए विनिर्माण पर केंद्रित नए एसएमई की सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करना होगा। आर्थिक कार्यसूची के अग्रणी मंच पर उद्यमशील होना समय की मांग है।

देवियो और सज्जनो,

6. विगत वर्षों में प्रौद्योगिकी हानिकारक हो गई है और उत्पाद, सेवा और प्रक्रिया संबंधी नवान्वेषण के द्वारा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी खोजों में नवान्वेषण ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में मुझे सिलिकॉन वैली से भारतीय अमरीकन उद्यमियों के स्वागत का सौभाग्य इस वर्ष जनवरी में प्राप्त हुआ। उन्होंने मेरे समक्ष जो प्रदर्शन किया उसमें से जो एक खास संदेश उभरकर आया, वह था एक विस्तृत नीति तैयार करने का जो एक नवान्वेषण में निवेश को प्रोत्साहन देगा, अनुसंधान को प्रोत्साहन देगा और उद्यमियों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करेगा। व्यवसाय गतिशीलता सृजन के लिए एक ठोस मामला प्रस्तुत किया गया जो नई फर्मों की सफलता या असफलता का कारक होगा और निष्फल फर्मो को बाहर करने में मदद करेगा। एक मजबूत डिजिटल नवान्वेषक कार्यसूची और एक वृहद समावेशी कौशल रणनीति पर केंद्रित होने की आवश्यकता भी महसूस की गई है।

7. मुझे यह कहने में खुशी है कि आज सरकार इसी एजेंडा को कार्यान्वित करने के लिए स्किल इंडिया कार्यक्रम, मेक इन इंडिया कार्यक्रम, डिजिटल इंडिया कार्यकम,स्टार्ट-अप इंडिया,स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम और अटल इनोवेशन मिशन जैसे नीति परक उपायों की शृखला के द्वारा सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। मुझे विश्वास है कि इन नीति हस्तक्षेपों से भारतीय उद्यमी क्षेत्र को एक नयी तीव्रता प्राप्त होगी।

8. मैं इस अवसर पर अनुसंधान और विकास में भारतीय फॉर्मों और व्यवसायों द्वारा निवेश के निम्न स्तर पर भी प्रकाश डालना चाहूंगा। अनुसंधान और विकास में हमारा मौजूदा निवेश है परंतु इसका एक भाग विश्व वर्ग की कंपनियों द्वारा खर्च किया जाता है। यहां भी अनुसंधान और विकास व्यय का मुख्य अंशदाता सरकार है। इन व्ययों के पर्याप्त रूप से वृद्धि न होने पर हम लागत शृखला के उच्चतर शिखर पर पहुंचने की अपेक्षा नहीं कर सकते। मैं इस अवसर पर निजी क्षेत्रों और उच्चतर शिक्षा के संस्थानों का भी आवाह्न करना चाहूंगा कि वे अपने संसाधनों का एक बड़ा भाग अनुसंधान और विकास पर लगाएं ताकि पूरे देश में नवान्वेषण और रोजगार सृजन का वातावरण बन सके।

देवियो और सज्जनो,

9. शैक्षिक प्रणाली और विशेष रूप से छात्र देश में नवान्वेषण परितंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई अग्रणी देशों ने अपने शैक्षिक नेटवर्क पर नवान्वेषण, स्टार्ट-अप्स और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी होने का दावा किया है। भारत को 700 विश्वविद्यालयों और 35000 कॉलेजों के शैक्षिक नेटवर्क के साथ अपने बौद्धिक मूल पूंजी पर ईष्टतम रूप से लाभ उठा रहा है। 2013 में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में मैंने छात्रों और संकाय और जमीनी सतह के नवान्वेषकों के बीच विचार विनिमय के लिए एक मंच के रूप में कार्य करने वाले नवान्वेषक क्लब की स्थापना पर विचार करने के लिए आवाह्न किया था। मैंने अन्य केंद्रीय संस्थानों और उच्चतर शिक्षण के प्रमुखों के सम्मेलन में इस आवाह्न को बार-बार दोहराया है। पिछले तीन वर्षों में लगभग 85 केंद्रीय उच्चतर शैक्षिक केंद्रीय संस्थाओं में नवान्वेषक क्लब, इंक्यूबेटर्स और हब्स स्थापित किए गए हैं। पिछले वर्ष नवंबर में आयोजित कुलाध्यक्ष सम्मेलन और इस वर्ष फरवरी में राज्यपाल सम्मेलन में मैंने केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों और एनआईटीज, आईआईटीज, आईआईएसईआरर्स के निदेशकों और गवर्नरों जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी हैं, से भी अनुरोध किया था कि वे अपने -अपने शैक्षिक संस्थाओं में एक विषय के रूप में नवान्वेषण पर कार्य करें और विचारों को नवान्वेषक उत्पादों और सेवाओं में परिवर्तित करने में सहायता प्रदान करें।

देवियो और सज्जनो,

10. अपने विकास के साथ समितियां सदैव चुनौतियों का सामना करती हैं जिनसे उन्हें नवान्वेषण की उपयोगिता और अपनी अलग सोच वाले दृष्टिकोण से निपटना होता है। अब मैं यह कहकर समाप्त करता हूं कि मैं आपको ऐसी चुनौतियों पर कुछ विचारों के साथ छोड़ देता हूं जिनका हम आज स्पष्ट उद्यमी परितंत्र के सृजन में सामना कर रहे हैं। आप शायद इन विषयों पर विचार कर सकते हैं:

- युवा पीढ़ी को सकारात्मक रूप से व्यस्त रखने और यह सुनिश्चित करने की चुनौति कि विकास के द्वारा उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त हों न कि वे रोजगार रहित रहें।

- उत्पादकता और उद्यमशीलता में सुधार के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को उपयोग करने संबंधी चुनौति जिससे निरंतर विकास संभव हो सके।

- अकादमियों को उद्योग और अन्य स्टेक होल्डरों के साथ अंत:स्थापित करने संबंधी चुनौति।

- समावेशी नवान्वेषण के लिए इंक्यूबेशन,तीव्रता और लोक निति समर्थन प्रदान करने संबंधी चुनौति।

- समाज के उन भागों को विकासात्मक प्रक्रिया में पहुंचाना जो सामाजिक, आर्थिक स्थानिक लाभों से वंचित रहने के कारण परंपरागत रूप से बहिष्कृत कर दिए गए हैं।

- उद्यमी वर्ग के लिए नये वित्तीय साधन जुटाने, ऐसे साधन जुटाने संबंधी चुनौति जो उनके जोखिम उठाने की क्षमता में सहायता दे सके और उसमें संवर्धन कर सके।

- सहयोगी डिजायन की क्षमता के उपयोग के लिए नयी संस्थागत व्यवस्था करने और पूरी न की गई सामाजिक आवश्यकताओं के लिए समाधान सृजन से संबंधित चुनौती।

- हमारे देश और अन्य देशों, जहां वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पाद और आईपी संरक्षित उत्पादों और सेवाओं के लिए ऐसा ज्ञान अस्तित्व में है, को उपयोग में लाने संबंधी चुनौति।

देवियो और सज्जनो,

11. मैं आप सभी को गोलमेज पर संवाद के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि ये ऐसे सिफारिशों में परिणत होंगी जो केंद्रित और लक्ष्योन्मुखी दोनों ही होंगी। मैं इस अवसर पर आपको दिल्ली में ठहरने के लिए शुभकामनाएं देता हूं और मुगल गार्डन, जो कि इस समय पूर्ण ऊंचाई पर है,उसे देखने के लिए आमंत्रित करता हूं।

धन्यवाद।

जयहिन्द।

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