समावेशी नवान्वेष पर गोलमेज के प्रतिवेदन सारांश पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 05.03.2017

डाउनलोड : भाषण समावेशी नवान्वेष पर गोलमेज के प्रतिवेदन सारांश पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 507.16 किलोबाइट)

speechशुभ संध्या, देवियो और सज्जनो,

1.सर्वप्रथम मैं समावेशी नवान्वेष के इस महत्वपूर्ण वैश्विक गोलमेज में भागीदार विशिष्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को बधाई देता हूं। मुझे डॉ. फ्रांसिस गुरि, विप्रो के महानिदेशक और डॉ. आर ए मशिलकर, एनआईएफ के अध्यक्ष को आज सुनने का लाभ मिला। मैं समावेशी नवान्वेष के प्रासंगिक विषय पर उनके ज्ञान और अंतरदृष्टि साझा करने के लिए इन दोनों महानुभावों का आभारी हूं। मेरे विचार से यह विषय एक समावेशी विकास एजेंडा किसी भी देश द्वारा अनुसरण के लिए उपयुक्त है।

2. भारत एक जीवंत लोकतंत्र है। हमारे संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को अपनी मर्यादा, एकता और देश की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय; विचार अभिव्यक्ति, आस्था, विश्वास, पूजा की उदारता; स्तर और अवसर की समानता; और भाइचारे की घोषणा की गई है। समानता और स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है जब तक कि उसके साथ अवसर (अपनी उम्मीदों और सामर्थ्य को साकार करने के लिए) और खुशी (वृद्धि और विकास के बाद की) ना हो। वास्तविक विकास तभी है जब वह समावेशी हो; जब गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने आप को विकास गाथा का एक हिस्सा समझे।

3. नवान्वेष का विकास के साथ एक सशक्त संबंध है। विशेषकर जमीनी नवान्मेष जिसकी भारत में लंबी परंपरा है। मानव जीवन रोजमर्रा की समस्याओं को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण है। नवान्वेष की प्रेरणा बहुत प्रकार से हो सकती है- मूल जीविका से लेकर विकास की वृद्धि करना। एक स्वस्थ पारितंत्र, आबादी के नवान्मेष सामर्थ्य का उपयोग कर सकता है जबकि मैं हमारे देश में समावेशी नवोन्मेष की संभावना के बारे में आशावादी हूं, मेरी कुछ चिंताएं भी हैं जिन्हें मैं इस मंच पर साझा करना चाहता हूं।

4.हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार का बहुत बड़ा स्कोप है। शिक्षा राष्ट्र के भाग्य का बीज है। शिक्षा की मजबूत नींव के बगैर विकास के लिए अन्य मूलभूत संसाधनों से लाभ लेने के लिए समुदायों की क्षमता सिमित रह जाती है। मुझे बताया गया है कि एनआईएफ ने हजारों नवान्वेषणों और पारंपरिक विद्वानों का पता लगाया है जिनमें से अनेक ने शिक्षा की कमी को नए समाधानों के नवान्मेष के तरीकों में अपने लिए बाधा नहीं बनने दिया। निःसंदेह शिक्षा के लिए बेहतर साधनों और बेहतर पहुंच के द्वारा वे और भी अच्छा कर सकते थे। हमें शिक्षा में हमारे शैक्षिक मॉड्यूल में समावेशी नवान्वेष पर सहानुभूतिपूर्वक बल देने की आवश्यकता है।

5.उच्च शिक्षा के अनेक केंद्रीय संस्थानों में से लगभग 86 प्रतिशत ने नवान्वेष क्लब आरंभ किए हैं। वे क्लब अपने संस्थानों के आस-पास के इलाकों में समावेशी नवोन्मेष का पता लगाते हैं; विकसित नवान्वेष का प्रचार करते हैं; उनके प्रेरणादायक विचारों को समझने के लिए नवान्वेषकों को कक्षाओं और प्रयोगशालाओं में आमंत्रित करते हैं और समाज की पूरी न की गई आवश्यकताओं का पता लगाकर उनकी अपनी परियोजनाओं द्वारा पूर्ति करते हैं। औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए प्रतिक्रिया और जिम्मेदारी एक अपरिहार्य भाग होना चाहिए। मैं शैक्षिक नियोजकों और विचारकों का शिक्षा के प्रति शैक्षणिक दृष्टिकोण के लिए बदलाव पर विचार करने के लिए आह्वान करता हूं।

6.मुझे विभिन्न अवसरों पर जमीनी नवान्वेषकों के साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ। उनके नवान्वेषक को देखकर मेरे अंदर उम्मीद जगी की निकट भविष्य में हम जनता के जीवन विशेषकर वंचित वर्ग के लोगों के जीवन को अधिक आरामदायक बना सकेंगे।

देवियो और सज्जनो,

7.विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका समावेशी नवान्वेषण में परिवर्तन लाने में स्पष्ट है जब हम इंडियन स्पेस रिसर्च ऑरगेनाइजेशन द्वारा प्रमुख योगदान की ओर देखते हैं। समुद्र की ऊंची लहरों में मछुआरों की सहायता, मौसम की भविष्यवाणी द्वारा किसानों और शैक्षिक विषय के प्रसार द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग से छात्रों की सहायता में जमीनी स्तर पर संभव हुई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में पूर्व निवेश ने हमें भारी लाभांश दिया है। हमें हमारे संस्थानों में विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान पर ध्यान देने की निरंतर आवश्यकता है।

8.एक नवोन्वेष संस्कृति का विकास करना महत्वपूर्ण है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इंस्पायर-मानक कार्यक्रम में प्रत्येक स्कूल के दो विचार की दर पर हाफ ए मिलियन स्कूलों से एक मिलियन विचारों की गतिशीलता निहित है। इस पहल से युवा छात्रों के बीच रचनात्मकता और सरलता की भावना निर्मित होगी।

मित्रो,

9.जमीनी नवोन्वेषकों को अधिक समावेशी बनाने के लिए हमें विचारों के प्रसार और तीव्र अधिग्रहण के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है। मुझे बताया गया है कि अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के वैज्ञानिक जमीनी नवोन्मेषकों को मान्यता देने और महत्व देने में उपयोगी समय के लिए कोई पैसा नहीं लेते हैं। बहुत सी बौद्धिक फार्म भी ऐसा ही करते हैं। मैं उनकी सेवा के लिए उन्हें बधाई देता हूं, जिसने स्थानीय समुदायों और जमीनी नवोन्मेषकों के आईपीआर समर्थन की उपयोगिता में सहायता पहुंचाई है। एनआईएफ द्वारा उपयोग में लाई गई टेक्नोलॉजी कॉमन्स की अवधारणा जिसने वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए दूसरों के नवोन्मेष विचारों को उपयोग करने के लिए फैले समुदाय सदस्यों को अनुमति दी है, नवोन्मेष के वृहत्त प्रसार के लिए भी सहायक है। यह सकारात्मकता निरंतर बनी रहनी चाहिए।

10.जब एक विचार लाभकारी उत्पाद में परिवर्तित होगा तो नवोन्वेष का लाभ उपार्जित होगा। उसके लिए नये उद्यम आरंभ करने के लिए एक मजबूत वातावरण आवश्यक है। केवल सूक्ष्म वित्त हीं बल्कि सूक्ष्म उद्यम वित्त जमीनी स्तर पर उद्यमिता आरंभ करने की शुरुआत करेगा। अटल नवोन्मेष मिशन ने स्कूलों में प्रयोगशालाएं बनाने का कार्य आरंभ कर दिया है। सरकारी दिमागों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे और जैव प्रौद्योगिकी जैसे अनेक इन्क्यूबेटर्स गठित किए गए हैं। जबकि यह कदम सही दिशा में है। हमें साथ ही साथ नवोन्मेष उद्यमों के इन-सिटू इनक्योबेशन मॉडल को लोकप्रिय बनाने के बारे में भी विचार करना चाहिए। इससे युवा लोगों में गांवों और कस्बों में अपने परिवारों के साथ रहने की योग्यता आएगी और वे अपनी उद्यमीय आकांक्षाओं का अनुसरण करेंगे।

11.पूर्व स्तर पर उद्यमिता के स्टार्ट अप्स और संवर्धन संबंधी इन्क्यूबेशन पर बल एक स्वागत योग्य विकास है। तथापि हमें छात्रों द्वारा नई प्रौद्योगिकी आरंभ करने और समावेशी व्यवसाय पर आधारित सामाजिक नवान्मेष के अवसर बढ़ाने चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

12.सरकार ने नागरिकों से सीधे संपर्क बनाने और उनसे फीडबैक प्राप्त करने के लिए डिजिटल क्रार्यक्रम के अंतर्गत अनेक प्लेटफॉर्म आरंभ किए हैं। यह एक सहभागी शासन है। मैं इसे एक स्वस्थ प्रवृत्ति के रूप में देखता हूं। यह हमें इस बात के संकेत देता है कि किस प्रकार हमारे लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं के प्रति लोक सेवा को अधिक जिम्मेदार बनाया जा सकता है। हमें मानदंड को निरंतरता में बाधा नहीं बनने देना चाहिए। अब भी ऐसी चुनौतियां हैं जो स्थान या स्थिति विशिष्ट हैं उनका समाधान भी होना चाहिए। इस प्रकार से अपूरित सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोक नीति को हमारे देश की बेहतरी के लिए प्रावधान करना चाहिए।

13.इन शब्दों के साथ मैं समाप्त करता हूं। मैं एक बार फिर से सभी प्रतिनिधियों का धन्यवाद करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि आपके पास यहां रहते, फलते-फूलते मुगल गार्डन को देखने के लिए समय होगा। आप अपने सामाजिक और निजी नेटवर्क में वसुधैव कुटुंबकम की भावना फैलाएं जिसका अर्थ है सारा विश्व एक परिवार है। याद रखें कि कोई भी देश अपने विकासात्मक पद पर तब तक नहीं बढ़ सकता जब तक उसमें अधिकारों का विकास शामिल न हो।

14.मैं आप सबको वसंत की शुभकामनाएं और इस विश्व को एक खुशहाल स्वस्थ, समरुप स्थान बनाने के लिए जमीनी नवोन्मेष के साथ जुड़े रहने की शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद!

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