कनाडा के गवर्नर जनरल महामहिम सम्माननीय डेविड जोंस्टन के सम्मान में आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 24.02.2014
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महामहिम, सम्माननीय डेविड जोंस्टन, कनाडा के गवर्नर जनरल,
मादाम शेरोन जोंस्टन,
श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,
विशिष्ट देवियो एवं सज्जनो,
मुझे, महामहिम तथा आपके शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों का स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।
आपकी भारत की राजकीय यात्रा, जो पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय के बाद इस प्रकार की कोई द्विपक्षीय मुलाकात है, एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण समय पर हो रही है। यह ऐसा क्षण है जब हम दोनों देशों की सरकारों ने आपसी सद्भाव बढ़ाने तथा हमारे राष्ट्रों के बीच मौजूद अनुपूरकताओं की क्षमताओं के उपयोग के लिए संवाद करने तथा पहल करने की दिशा में और अधिक मुस्तैदी से खुद की प्रतिबद्धता जताई है। आपकी यह यात्रा में, वास्तव में वह बदलाव दिखाई देता है जो भारत-कनाडा संबंधों में आया है।
हमारा यह इतिहास भारत की स्वतंत्रता के शुरुआती दिनों से शुरू होता है। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू 1949 में कनाडा गए थे तथा कनाडा के नेतृत्व तथा वहां की जनता की गर्मजोशी से भावविभोर हो उठे थे। उनमें तथा प्रधानमंत्री पियर्सन में बहुत घनिष्ठता हो गई थी। उन दोनों को जुलाई 1953 में हस्ताक्षरित कोरियाई युद्ध विराम की प्राप्ति तथा 1956 में स्वेज संकट को टालने में उनकी प्रमुख भूमिकाओं का श्रेय दिया जाता है। विश्व शांति के लिए उनके बहुत से संयुक्त प्रयासों तथा शानदार योगदान के ये केवल दो उदाहरण हैं।
महामहिम, भले ही कनाडा और भारत के बीच कई महाद्वीपों और महासागरों की दूरी हो परंतु हम अपने साझा मूल्यों, अपनी राजनीतिक तथा कानूनी परंपराओं तथा लोकतंत्र, बहुलवाद, वैयक्तिक स्वतंत्रता और कानून के शासन के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता से बंधे हुए हैं। हम दोनों ही अपनी पंथनिरपेक्ष परंपराओं तथा अपनी जनता की विविधता का गुणगान करते हैं। ये वास्तव में एक बहुत ही उपयोगी साझीदारी के ठोस आधार हैं।
आज हम विभिन्न सेक्टरों में हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच मौजूद ताल-मेल से लाभ उठाने के लिए कार्यनीतिक संवाद कर रहे हैं। हम, अपने दोनों देशों की सरकारों तथा जनता की रुचि के ऐसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आज जिन करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं उनसे निस्संदेह हमारे द्विपक्षीय कार्यक्रमों को नई गति मिलगी।
खासकर, ऊर्जा के क्षेत्र में हम परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोगों तथा हाइड्रोकार्बनों और नवीकरणीय ऊर्जा के दक्षतापूर्ण उपयोग के क्षेत्र में कार्य के उत्सुक हैं।
कनाडा, खाद्य के प्रमुख उत्पादक तथा कृषि प्रसंस्करण में अग्रणी होने के नाते कई वर्षों तक भारत के लिए दालों की जरूरत का प्रमुख स्रोत रहा है। इस समय जब भारत खाद्य सुरक्षा तथा अपने कृषि सेक्टर को मजबूत बनाने के अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रयासरत है, हम उर्वरकों के उत्पादन सहित इस क्षेत्र में अपने सहयोग के लिए उत्सुक हैं।
यह संतोष की बात है कि अधिकाधिक भारतीय फर्में कनाडा में, और कनाडा की कंपनियां भारत में सफलता प्राप्त कर रही हैं। हमारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी फॉरम हमारे आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। हम कनाडा के निवेशकों का स्वागत करते हैं तथा भारत में, खासकर अवसंरचना के विकास तथा कौशल तथा प्रौद्योगिकी के उन्नयन में कनाडा के अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए उत्सुक हैं। मुझे विश्वास है कि उन्हें यह लाभप्रद लगेगा।
हमारे विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों तथा उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सुगमता के साथ मिल-जुलकर कार्य करना हमारी एक अन्य प्रमुख विशेषता है। हमारी सामान्य कार्ययोजना में हमारे विश्वविद्यालयों के बीच साझीदारी को सुगम बनाना तथा उसे बढ़ाना शामिल होना चाहिए। वे अकादमिक तथा वैज्ञानिक सहयोग के क्षेत्र में हमारे अच्छे अनुभव से लाभ उठा सकते हैं।
महामहिम,
भारत और कनाडा ने वित्तीय अनुशासन तथा समय पर उठाए गए नीतिगत उपायों से, पिछले दिनों वैश्विक मंदी से निजात पाई है। हमने एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस स्थिति को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं में रचनात्मक विचार-विमर्श में योगदान दिया है।
मुझे विश्वास है कि, विश्व के हर हिस्से में शांति और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध दो राष्ट्रों के रूप में, हम संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसी प्रमुख संस्थाओं में अपने प्रयासों में निकटता से एक दूसरे के साथ तालमेल जारी रखेंगे।
हमारे विभिन्न प्रकार के संबंध वर्षों के दौरान सफलतापूर्वक विकसित हुए हैं। मैं इसके लिए एक मिलियन से अधिक जनसंख्या के भारतीय मूल के कनाडाई समुदाय की सराहना करना चाहूंगा, जिन्होंने आपसी सम्मान तथा सद्भाव के उस जज्बे को स्थापित करने के लिए कठोर परिश्रम किया है जो आज हमारे समाजों के बीच विद्यमान है।
कल शांति पथ के नजदीक जिस ‘इनुक्शुक’ की स्थापना की जाएगी वह हमारी जनता के बीच भाईचारे का प्रतीक तथा सद्भावना का कोष होगा। हम इस कदम की अत्यंत सराहना करते हैं तथा इसका स्वागत करते हैं।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से महामहिम आपका और मादाम शेरोन जोंस्टन तथा आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का स्वागत करता हूं तथा भारत में आपके आरामदेह तथा सुखद प्रवास की कामना करता हूं।
महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर :
- महामहिम, सम्माननीय डेविड जोंस्टन तथा मादाम शेरोन जोंस्टन के अच्छे स्वास्थ्य,;
- कनाडा के लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि; और
- भारत और कनाडा के बीच घनिष्ठ मैत्री और सहयोग की कामना करें।