जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोहों के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
पुडुच्चेरी : 26.09.2014
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1. मुझे आज की दोपहर यहां अपने देश के एक सर्वोच्च चिकित्सा संस्थान,जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोहों के लिए उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं आपको इस ऐतिहासिक समारोह में भाग लेने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
2. मुझे एक वर्ष बाद फिर से पुडुच्चेरी आने के लिए इस अवसर का उपयोग करने पर प्रसन्नता हो रही है। इसके भवनों की सुंदर वास्तुकला देखना एक आनंददायक अनुभव है। यह स्थान श्री अरविंद से जुड़ा है,जिन्होंने यहां एक आश्रम बनाया था, जिसके अनुयायी विश्वभर में फैले हैं। पुडुच्चेरी श्रद्धेय तमिल कवि भारतीदासन से,जिनका यहां जन्म हुआ था तथा सुब्रह्मण्य भारतीयार से,जिन्होंने इस स्थान पर कुछ अविस्मरणीय कविताएं लिखीं थी,से भी जुड़ा है।
देवियो और सज्जनो,
3. जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती के इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर मैं इस संस्थान की संपूर्ण बिरादरी को बधाई देता हूं। मुझे बताया गया है कि वर्षभर चलने वाले समारोहों के तहत जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित की हैं। क्षय रोग के उन्मूलन पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए मैराथन आयोजित की गई है तथा आपातकालीन आपदा प्रबंधन केंद्र जैसी पहलें शुरू की गई हैं। इसकी चिकित्सा कैंप तथा प्रदर्शनियां,और सामुदायिक संपर्क कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना है। मैं इन क्रियाकलापों के सुगमता से समापन के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं।
4. यद्यपि जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पचास वर्ष पुराना है,इस संस्थान का प्रारंभ काफी पहले1823 में पाया जा सकता है जब यहां फ्रांस की सरकार ने इकोल डी मेडिसिन डी पाँडिचेरी नामक मेडिकल कॉलेज खोला था। पाँडिचेरी के भारत को स्थानांतरण के बाद,भारत सरकार ने इस कॉलेज का अधिग्रहण करके इसका नाम मेडिकल कॉलेज पाँडिचेरी कर दिया। इसके बाद,थोड़े समय के लिए यह धनवंतरी मेडिकल कॉलेज कहलाया। इसके क्षेत्रीय स्नातकोत्तर संस्थान के रूप में उच्चीकरण के बाद1964में इसका नाम बदलकर जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान किया गया। यह वर्ष2008में राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान बन गया।
5. जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने हाल ही के वर्षों में तेजी से प्रगति की है। अपने40से अधिक अकादमिक विभागों, 20स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों तथा8 सुपर स्पेशियलिटी कार्यक्रमों के साथ यह चिकित्सा विद्यालय,चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसके अधीन360बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक, 100 बिस्तरों वाले आपातकालीन चिकित्सा सेवा तथा अभिघात केंद्र, 76 बिस्तरों वाले क्षेत्रीय कैंसर केंद्र तथा 400 बिस्तरों वाले महिला एवं बाल अस्पताल से इस प्रमुख संस्थान को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक गौरवपूर्ण जिम्मेदारी प्राप्त हुई है। अपने विस्तार की दिशा में इसका निरंतर प्रयास उल्लेखनीय है तथा मैं इन प्रयासों से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।
देवियो और सज्जनो,
6. अच्छा स्वास्थ्य मानव की सबसे प्रमुख संपत्ति है। इसके बिना अच्छी शिक्षा प्राप्त करने,रोजगार के अवसर तलाश करने तथा अच्छा जीवन जीने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। भगवान बुद्ध ने कहा था, ‘‘स्वास्थ्य सबसे बड़ा पुरस्कार है और संतोष सबसे बड़ा धन...’’।
7. भारत में, विश्व की सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या है जिसमें50प्रतिशत से अधिक की जनसंख्या की उम्र 25 वर्ष से कम है। वर्ष2020 तक एक भारतीय की औसत आयु 29वर्ष रहेगी जबकि इसकी तुलना में एक चीनी अथवा अमरीकी व्यक्ति की आयु37वर्ष होगी। वर्ष 2021 तक कामकाजी आयु वाली जनसंख्या का हिस्सा64प्रतिशत तक होने की संभावना है। हम जनसंख्या की इस बढ़त से लाभ उठा सकते हैं,बशर्ते हमारी जनता स्वस्थ और शिक्षित हो।
8. सब को प्राप्य, वहनीय तथा कारगर सर्वांगीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आज की जरूरत है। इसके लिए एक मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना,प्रशिक्षित तथा प्रेरित कार्मिकों तथा औषधियों और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता जरूरी है। भारत में प्रति10000की जनसंख्या पर 7 अस्पताल हैं जबकि इसकी तुलना में ब्राजील में23, चीन में 38 तथा रूस में 97अस्पताल हैं। भारत में प्रति10000 की जनसंख्या पर7 चिकित्सक हैं जबकि इसकी तुलना में ब्राजील में19, चीन में 15 तथा रूस में 43चिकित्सक हैं। यद्यपि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं ने भारत में सेवा उपलब्धता सुधारी है परंतु स्वास्थ्य सेवाओं के सामने अभी भी अपनी पहुंच तथा गुणवत्ता की समस्या है। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा इसलिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे तृतीय स्वास्थ्य सेवा की जरूरत कम होती है। भारत में स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी वित्तपोषण विश्व के कुल स्वास्थ्य खर्च का एक प्रतिशत से भी कम है। यह देखते हुए कि भारतीय विश्व जनसंख्या का छठा हिस्सा हैं इसलिए यह व्यय बहुत ही कम है। सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अपने खर्च के स्तर में समुचित बढ़ोत्तरी करनी होगी।
9. सभी के लिए स्वास्थ्य एक ऐसा नारा है जिसे हमें तत्काल अपनाना होगा। विश्व के अधिकांश विकसित देशों द्वारा अपने नागरिकों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुशल स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां स्थापित की गई हैं। हमें इन प्रणालियों को,बिना सोचे-समझे अपनाने से बचते हुए, इनका अध्ययन करना होगा। हमारे देश को,अपने आकार,जनसंख्या तथा विविधता के मद्देनज़र,एक ऐसा मॉडल अपनाना होगा जो हमारी जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त हो। स्वास्थ्य सेवा सेक्टर में प्रोद्योगिकी की ताकत का प्रयोग सार्थक ढंग से करना होगा। उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली टेली-मेडिसिन परियोजना,जरूरतमंद तथा वंचित लोगों तक विशेषज्ञों का परामर्श पहुंचाने के लिए सुदूर के स्वास्थ्य केंद्रों को सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों से जोड़ती है। भारत सूचना प्रौद्योगिकी में विश्व में अग्रणी है। हमें अपनी विशाल जनसंख्या की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह के नवान्वेषी समाधानों के प्रयोग के लिए और अधिक आग्रह किए जाने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
10. मुझे बताया गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एक नई स्वास्थ्य नीति तैयार करने में लगा है। हमारा तात्कालिक लक्ष्य संचारी बीमारियों का उन्मूलन तथा गैर-संचारी बीमारियों पर नियंत्रण होना चाहिए। इस वर्ष जून में संसद के संयुक्त सत्र को अपने संबोधन में मैंने घोषणा की थी कि तृतीयक स्वास्थ्य सेवा पर और अधिक ध्यान दिया जाएगा। मुझे यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ऐसे चिकित्सा संस्थानों में पहला है जहां नए जन-स्वास्थ्य स्कूल खेले जा रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
11. चिकित्सा उपचार महंगे हैं। परंतु इसके कारण गरीबों सहित किसी के लिए भी इलाज की मनाही नहीं होना चाहिए। भारत में स्वास्थ्य पर होने वाला86प्रतिशत निजी खर्च अपनी जेब से वहन करना होता है। वित्तीय जोखिम से सुरक्षा न होने के कारण हमारे देश में बहुत से लोग बीमारियों से लड़ते हुए तथा इलाज के महंगी लागत के कारण गरीबी के गर्त में चले जाते हैं। एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा-तंत्र इसकी कुंजी है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 300मिलियन से अधिक भारतीयों को स्वास्थ्य सेवा बीमा उपलब्ध है। वर्ष2015तक इस संख्या के630 मिलियन अर्थात् आधी जनसंख्या तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। मुझे उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आश्वासन मिशन,जिसकी परिकल्पना की जा चुकी है,अधिक से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा नेट के तहत लेकर आएगा।
12. स्वास्थ्य सेवा के लिए एक सर्वांगीण नजरिया जरूरी है। जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते रुझान के कारण पूर्व सावधानी संबंधी कार्यनीतियां जरूरी हो गई हैं। चिकित्सा हालत से बचाव के लिए समुचित परामर्श जरूरी है। स्वस्थ रहन-सहन की आदत बचपन से ही डालनी होगी। विश्व के 7प्रतिशत बच्चे स्थूल अथवा अधिक वजन के हैं। बचपन में स्थूलता से बाद में स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा हो सकती हैं। संतुलित भोजन,शारीरिक गतिविधि तथा जीवन-शैली प्रबंधन को बढ़ावा देना होगा। नवजात शिशुओं के लिए विशेष प्रयास जरूरी हैं क्योंकि जीवन के पहले चार सप्ताह,जिस दौरान पांच वर्ष से कम उम्र के44 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु होती है,अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण हैं। सभी जगह जीवन रक्षक दवाओं और प्रक्रियात्मक विशेषज्ञता उपलब्ध होनी चाहिए। बीमारियों के होने तथा उनके फैलाव को रोकने में स्वच्छता तथा सफाई की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मुझे उम्मीद है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत हम अगले पांच वर्षों के दौरान हर एक परिवार को पूर्ण स्वच्छता के तहत ले आएंगे।
देवियो और सज्जनो,
13. स्वास्थ्य अनुसंधान हमारे देश में बहुत उपेक्षित क्षेत्र है। लोगों द्वारा अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए चिकित्सा उपाय विकसित करने के लिए अनुसंधान जरूरी है। चिकित्सा के लिए मजबूत प्रणालियों के विकास के लिए अन्य विधाओं में प्राप्त ज्ञान का इसमें उपयोग जरूरी है। यह दिखाया गया है कि वैमानिकी, ऑटोमेशन तथा रोबोटिक्स में प्राप्त ज्ञान का किस तरह स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसलिए चिकित्सा अनुसंधान,चिकित्सा इलैक्ट्रॉनिक्स,सिस्टम्स जीव विज्ञान,बॉयोटैक्नोलॉजी,जीनोमिक्स,मैथमेटिकल सिमुलेशन तथा सूचना और संचार जैसी विभिन्न विधाओं का संगम होना चाहिए। जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान को अपने अनुसंधान आधारित प्रकाशनों को सशक्त करना होगा,पेटेंट फाइल करने होंगे तथा भारतीय चिकित्सा प्रणालियों का समावेश करते हुए सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए मॉडल विकसित करना होगा।
14. हमें मेधावी तथा ईमानदार अनुसंधानकर्ताओं की जरूरत है। अनुसंधानकर्ताओं को यह पूरी तरह समझ लेना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवा की विभिन्न शाखाओं में नवान्वेषी समाधान अपेक्षित हैं। इसी के साथ,अनुसंधान निष्कर्षों को केवल अकादमिक क्षेत्र में सीमित रखने की बजाय जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करना होगा। इसलिए यह अत्यावश्क है कि अनुसंधानकर्ताओं एवं नीति-निर्माताओं के बीच सहयोग स्थापित किया जाए।
15. विश्व के विकसित देशों में गिनती में आने के लिए हमें एक स्वस्थ भारत का निर्माण करना होगा। अब सोचने का समय कम है। हमें अब कार्य शुरू करना होगा,तत्काल काम पर लगना होगा। जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान को इस प्रयास में महती भूमिका निभानी है। अपने ध्येय के अनुरूप,जो कि‘निर्धनों के चेहरे पर मुस्कराहट देखना’है,मुझे विश्वास है कि आप बदलाव के अग्रदूत बनेंगे तथा अपनी सफलता को आने वाले वर्षों के दौरान लाखों भारतीयों के चेहरों पर आप द्वारा लाई जाने वाली मुस्कराहट से नापेंगे।
अंत में इन्हीं शब्दों के साथ, मैं पुन: आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जयहिंद!