गांधी के सपनों के स्वच्छ और समर्थ भारत पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 12.03.2015
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1.गांधी के सपनों के स्वच्छ और समर्थ भारत पर इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के लिए आज आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सर्वप्रथम,इस अत्यंत प्रासंगिक विषय पर इस सेमिनार के आयोजन के लिए राजघाट समाधि समिति की मैं सराहना करता हूं। मैं विशिष्ट सभा के समक्ष अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए भी समिति का धन्यवाद करता हूं।
2.यह उपयुक्त है कि यह सेमिनार उस दिन आयोजित किया जा रहा है जिस दिन85वर्ष पूर्व हमारे स्वतंत्रता संग्राम के एक निर्णायक क्षण—सत्याग्रह के लिए महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की शुरुआत हुई थी । नमक बनाने के प्रतीकात्मक कार्य के जरिए गांधी जी द्वारा अन्यायपूर्ण नमक कानून तोड़ने से देशभर में व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ हुआ। इसने न केवल भारत की स्वतंत्रता की दिशा में ब्रिटिश साम्राज्य की बुनियाद हिला दी बल्कि हमारे राष्ट्र की दुर्दशा के बारे में विश्व का ध्यान आकर्षित करने में भी मदद की।
देवियो और सज्जनो,
3. गांधी जी अद्भुत गुणों वाले क्रांतिकारी थे, और उन्होंने एक शताब्दी पूर्व विशिष्ट दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया था। गांधी जी ने जीवन-भर प्रत्येक अनुभव से सीख हासिल की थी। उनके पास समस्या को दबाने के तरीके खोजने के बजाए उसका उन्मूलन करने के उपाय सुझाने की अंतर्दृष्टि और दक्षता थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ब्रिटिश प्रतिनिधि फिलिप नोएल बेकर ने एक बार कहा था, ‘गांधी जी सबसे गरीब,सबसे अकेले और थके-हारे लोगों के मित्र थे।’ उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि गांधी जी की ‘महानतम् उपलब्धियां अभी सामने आनी हैं।’
4. गांधी जी के दुखद निधन पर, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ठीक ही कहा था, ‘रोशनी बुझ गई है,किंतु यह हजारों वर्षों तक जलती रहेगी।’ तब से विश्व ने सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्यों में महान बदलाव देखे हैं। परंतु सत्य,नैतिकता और सदाचार के गांधीवादी विचारों का महत्व हमारी राष्ट्रीय चेतना का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। गांधी दर्शन कभी भी पुराना नहीं पड़ेगा क्योंकि उनकी मृत्यु के दशकों बाद भी विश्व के नेता मानव विकास के उनके आदर्शों का अनुकरण कर रहे हैं।
5. हमने हाल ही में दो महत्वपूर्ण पहलें (1) गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती के मौके पर 2 अक्तूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन,तथा (2) अपने राष्ट्र की विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत-में-निर्माण अभियान,शुरूकी हैं। स्वच्छ और समर्थ भारत के महान लक्ष्यों में गांधीवादी विमर्श का एक महत्वपूर्ण भाग शामिल था। मुझे उम्मीद है कि गांधी जी की संकल्पना के जरिए इस मंच पर विद्वानों की परिचर्चा से एक स्वच्छ और सक्षम भारत के निर्माण के लिए दीर्घकालीन जरूरत के प्रति अधिकाधिक जन-जागरूकता पैदा होगी।
देवियो और सज्जनो,
6.गांधी जी ने स्वच्छता के तीन आयामों की परिकल्पना की थी - एक स्वच्छ मन,एक स्वच्छ शरीर तथा स्वच्छ वातावरण। वह मानते थे कि ‘स्वच्छता पूजा के समान है’और कहते थे कि, ‘हम अस्वच्छ मन के समान ही अस्वच्छ शरीर से ईश्वर का आशीर्वाद नहीं पा सकते। एक स्वच्छ शरीर अस्वच्छ नगर में निवास नहीं कर सकता।’
7.गांधी जी ने जो कहा था उससे मार्गदर्शन प्राप्त करके स्वच्छ भारत मिशन में प्रत्येक परिवार के लिए शौचालय,अपशिष्ट निपटान व्यवस्था तथा साफ पेयजल सहित स्वच्छता सुविधाओं का प्रावधान करने की परिकल्पना शामिल की गई है। स्वच्छता की स्थिति की प्राप्ति के लिए सफल कार्यनीति में नागरिकों की सहभागिता,अपशिष्ट कम करने की दिशा में प्रयास तथा अपशिष्ट के प्रसंस्करण में सुधार शामिल होंगे।
देवियो और सज्जनो,
8.गांधी जी ने आर्थिक विकास में समता और सततता प्राप्त करने के लिए आत्मनिर्भर गांवों की आवश्यकता पर बल दिया था। इस दृढ़ विश्वास के साथ कि भारत अपने गांवों में बसता है,उन्होंने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं सहित एक ऐसे जीवन-शैली ढांचे का सुझाव दिया था जिससे लोग ग्रामीण इलाकों में खुशहाली से रहने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उनके लिए गांवों की पुनर्संरचना देश के पुनर्निमाण तथा आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता प्राप्त करने की दिशा में सबसे पहला कदम था। उन्होंने भारत द्वारा समग्र आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लिए समर्थ अर्थात् सक्षमता के ज़ज़्बे का समर्थन किया था।
9.भारत-में-निर्माण अभियान में आत्मनिर्भर तथा उत्पादक भारत के गांधी जी के स्वप्न को सच्चाई में बदलने की परिकल्पना की गई है। इसका लक्ष्य,निवेश को सुगम बनाकर, नवान्वेषण को बढ़ावा देकर,कौशल विकास को प्रेरित करके तथा सर्वोत्तम अवसंरचना स्थापित करके भारत को आर्थिक विकास के सभी मोर्चों पर समर्थ बनाना है।
10.लोकतंत्र, जनसांख्यिकी तथा मांग के फायदे भारत के पक्ष में हैं। हमारे देश में एक विश्वस्तरीय विनिर्माण ढांचे को स्थापित करने के लिए एक व्यापक कार्यनीति पर बल देने की जरूरत है। इस दिशा में प्रयासों में सहयोगात्मक सरकारी व्यवस्था, स्मार्ट शहरों तथा औद्योगिक क्लस्टरों का निर्माण;युवाओं में विशेषज्ञ कौशलों का विकास तथा बेहतर संयोजकता के लिए एकल मालवाहक गलियारों की स्थापना शामिल हैं। इसके लिए और अधिक ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। नवान्वेषण तथा नई प्रौद्यागिकी में अग्रणी चुनिंदा स्वदेशी कंपनियों का चयन करके उन्हें वैश्विक व्यवसाय की ओर उन्मुख करना चाहिए। उन्नत तथा पर्यावरण उन्मुख विनिर्माण कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर, ‘भारत-में-निर्माण’कार्यक्रम में इस नजरिये में बदलाव लाया जाना चाहिए कि भारत किस तरह निवेशकों से संपर्क बनाता है;एक परमिट जारी करने वाले प्राधिकारी की तरह नहीं बल्कि एक सच्चे व्यावसायिक साझीदार की तरह।
देवियो और सज्जनो,
11.भारत को सुसज्जित करने के सुव्यवस्थित प्रयासों से स्वच्छ और समर्थ भारत के गांधी जी के स्वप्न को साकार करने में सहायता मिलेगी,इसमें प्रमुख स्टेकधारकों सहित, समाज के बड़े तबके की सहायता और सहयोग जरूरी है। गांधी जी का स्वप्न सदियों के दौरान प्राप्त ज्ञान तथा मेधा के प्रकाश से अवलोकित था। इसलिए उन लोगों के कंधों पर इस बदलाव में प्रमुख भूमिका निभाने की भारी जिम्मेदारी है, जो उनके स्वप्न को समझते हैं।
12.मैं अपेक्षा करता हूं कि इस सेमिनार की परिचर्चाओं से गांधीजी की दूरदृष्टि की गहनता और विस्तार तथा उन तरीकों पर नया प्रकाश पड़ेगा जिनसे यह हमारे प्रयास का मार्गदर्शक बन सकती है। गांधी जी का स्वप्न हमारा स्वप्न है;उनकी परिकल्पना से हमें एक स्वच्छ, हरित तथा आत्मनिर्भर भारत की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में मार्गदर्शन मिलना चाहिए।
13.इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं एक बार पुन: इस महत्वपूर्ण सेमिनार के आयोजन के लिए राजघाट समाधि समिति की सराहना करता हूं। मैं इसके सभी भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं भी देता हूं।
धन्यवाद
जयहिन्द!