भारतीय सांख्यिकी संस्थान के 48वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

कोलकाता, पश्चिम बंगाल : 10.01.2014

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the 48th Convocation of Indian Statistical Institute1. आज, भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अड़तालीसवें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यह अनुसंधान, अध्ययन और अनुप्रयोग, प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का एक अग्रणी संस्थान है। मैं, इस सुखद अवसर पर आपको संबोधित करने का यह अच्छा अवसर प्रदान करने के लिए संस्थान का धन्यवाद करता हूं।

मित्रो,

2. इस विशिष्ट संस्थान की स्थापना प्रो. पी.सी महालनोबिस ने की थी जो अनुप्रयुक्त सांख्यिकी में अग्रणी कार्य के लिए प्रसिद्ध थे। उन्हें अपने आर्थिक विकास मॉडल के लिए भी जाना जाता था जिसे भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना में अपनाया गया था। उन्नीस सौ बीस के दशक में प्रोफेसर महालनोबिस की एक आधुनिक समाज के निर्माण में सांख्यिकी की क्षमता के बारे में एक अद्भुत संकल्पना थी। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में सांख्यिकी की सही पहचान की थी। वह देश में सांख्यिकी ढांचे का विकास करना चाहते थे। 1931 में, उन्होंने कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज के एक कमरे में सांख्यिकीय पुस्तकालय की स्थापना की। आठ दशक पहले किया गया यह मौलिक प्रयास अब एक विशाल संस्थान बन चुका है। आज, भारतीय सांख्यिकी संस्थान को सैद्धांतिक और अनुपयुक्त सांख्यिकी में एक विश्व स्तरीय अकादमिक संस्था के रूप में जाना जाता है। मुझे भारतीय सांख्यिकी संस्थान के साथ अपने संबंधों की मधुर यादें हैं जब मैंने आठ वर्षों तक संस्थान की परिषद की अध्यक्षता की थी। मैं गर्व के साथ सांख्यिकीय सिद्धांत और नवान्वेषी अनुप्रयोग के विकास में इस संस्थान के विशाल योगदान का उल्लेख करना चाहूंगा।

3. भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने असाधारण वैज्ञानिक, शिक्षक, अनुसंधानकर्ता, परामर्शक, उद्यमी, संस्थान निर्माता और अन्य पेशेवर तैयार किए हैं। भारतीय सांख्यिकी संस्थान के उत्पादों की गुणवत्ता उसके द्वारा प्रदत शिक्षा के उच्च स्तर का जीता-जागता साक्षी है। आज का दीक्षांत दिवस, इस संस्थान के विद्यार्थियों के एक नए समूह के उपयोगी शैक्षिक अनुभवों का परिणाम है। मैं, इस अवसर पर विद्यार्थियों में उल्लास और उत्साह की स्पष्ट भावना देख रहा हूं। स्नातक बन रहे विद्यार्थियों ने अपने परिश्रम के द्वारा अपने और अपने हितैषियों के चिरस्वप्नों को पूरा किया है। मैं इस सफलता के लिए आपको बधाई देता हूं और आपसे देश का प्रगति पथ निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए आग्रह करता हूं। हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के रूप में आप में अलग ढंग से विचार करने की क्षमता है। अपने यहां जो सीखा है उसे आप अपने चुने हुए क्षेत्र में स्थायी योगदान करने के लिए समझदारी से प्रयोग करें।

मित्रो,

4. एक विधा के रूप में सांख्यिकी का समाज में व्यापक प्रयोग है। कारोबार और सरकारी लेन-देन के तौर-तरीकों में पिछले कुछ वर्षों के दौरान बड़ा बदलाव आया है। आंकड़ा विज्ञान के प्रयोग और बहुत सारे निर्णयों से व्यवस्था और शासन परिदृश्य में एक नाटकीय बदलाव आया है।

5. वृहत आंकड़ों के विश्लेषण की बढ़ी हुई क्षमता का प्रभावी जन नीतियों के निर्णय की हमारी क्षमता पर एक सकारात्मक असर पड़ा है। इससे आखरी छोर का संयोजन सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिली है। इसने व्यापक सेवा सुपुर्दगी के लिए लोगों के विशाल वर्ग तक पहुंचना सुगम बना दिया है। वृहत आंकड़ों के समूहों के विश्लेषण की बढ़ी हुई क्षमता से मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में भी सुधार आया है। इससे भीषण जलवायु परिस्थितियों की सटीक भविष्यवाणी हाने लगी है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, इससे व्यापक बचाव करने और बहुमूल्य मानव जीवन को बचाने के लिए अत्यावश्यक समय प्रदान किया है।

6. आसूचना ग्रिड जैसे उग्रवाद विरोधी कार्यक्रमों की शुरुआत के लिए आंकड़ों का विश्लेषण तथा सांख्यिकीय तकनीकें प्रयोग में लाई गई हैं। जाली भारतीय मुद्रा के आकलन तथा नियंत्रण के लिए सांख्यिकीय प्रणालियां शुरू करने के प्रयास किए गए हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान विज्ञान कूटशास्त्र और सूचना के क्षेत्रों में ऐसी प्रौद्योगिकी और सिद्धांतों के विकास में शामिल है जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।

7. विशेषकर सामाजिक क्षेत्र में हमारी नीतियों की कारगरता विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा संग्रहित आंकड़ों की गुणवत्ता पर निर्भर है। श्रेष्ठ नीतियों के लिए श्रेष्ठ आंकड़ा मापदंडों की जरूरत है। इसलिए संग्रहीत सूचना की प्रमाणिकता पर अधिक बल दिया जाना चाहिए ताकि नीति का आधार तैयार हो सके। सांख्यिकीय संग्रहण अधिनियम 2008 का उद्देश्य अनेक सामाजिक, आर्थिक और अन्य मापदंडों पर आंकड़ों के संग्रहण को सुगम बनाना है। इस अधिनियम के तहत नागरिकों और सूचना मांगने वाले लोगों पर यह सुनिश्चित करने की सामूहिक जिम्मेदारी है कि सही और पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध करवाए जाएं। मुझे विश्वास है कि हमारी नीतियों पर गुणवत्तापूर्ण आंकड़ों तथा उनके सशक्त विश्लेषण का प्रभाव जारी रहेगा।

मित्रो,

8. प्रचालन और कार्यनीतिक निर्णय सांख्यिकी और संबंधित तकनीकों पर निर्भर होते हैं। कारपोरेट क्षेत्र गणित, अर्थशास्त्र, प्रचालन कार्य, अनुसंधान, श्रेष्ठ प्रबंधन और कंप्यूटर विज्ञान जैसे संबंधित विषयों का विस्तृत प्रयोग करते हैं। सामाजिक नेटवर्किंग साधनों के प्रयोग, विशाल रिटेल स्टोरों में ग्राहकों, वेबसाइट अवलोकन और क्रेडिट कार्डों के प्रयोग जैसे आंकड़ों का ग्राहक व्यवहार, जोखिम के मूल्यांकन, धोखाधड़ी पूर्ण लेन-देन का पता लगाने और नए ग्राहक वर्ग खोजने जैसे अब तक अज्ञात और बिलकुल अलग उद्देश्यों के लिए पूरा विश्लेषण किया जाता है।

9. यह एक तथ्य है कि सांख्यिकीय मॉडल तथा तकनीक से प्रयोक्ता को अधिक फायदा होता है। तथापि वृहत आंकड़ों का विश्लेषण करने तथा निष्कर्ष निकालने में समुचित सावधानी बरता जाना उचित है। व्यवस्थित आंकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें व्यवस्थित फॉर्मेट में बदलना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस पर अधिक जागरूकता के साथ कार्य किया जाना चाहिए। निष्कर्ष निकालने के लिए सिद्धांत की पर्याप्त जांच पड़ताल की जरूरत है, जिसके लिए सांख्यिकीविद तथा विषय के विशेषज्ञ का मिला-जुला ज्ञान आवश्यक है। इस संदर्भ में, पिछली सदी के फ्रेंच लेखक और दार्शनिक एलबर्ट कैमस का यह कथन स्मरणीय है कि ‘विश्व की बुराई लगभग हमेशा अज्ञान से पैदा होती है और यदि ज्ञानयुक्त न हो तो सद्भावना दुर्भावना जितना नुकसान कर सकती है।’

10. वृहत आंकड़ों, विश्लेषणात्मक और सर्वव्यापी संगणना ने आज बेजोड़ अवसर पैदा किए हैं। इससे इन क्षेत्रों में सुप्रशिक्षित पेशेवरों की मांग बढ़ गई है। तथापि विश्लेषणात्मक तकनीकें जटिल हैं, इसलिए इनके लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है। देश में सार्वजनिक तथा निजी सेक्टरों की विश्लेषणात्मक जरूरतों में सहयोग देने के लिए बड़ी संख्या में कुशल सांख्यिकीविदों की जरूरत है। ऐसे विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों को, जो सांख्यिकी तथा संबंधित विषय पढ़ाते हैं, अपने शिक्षण मानकों को उच्च बनाने पर समुचित ध्यान देना होगा। मैं, भारतीय सांख्यिकी संस्थान जैसे विशिष्ट संस्थान से आग्रह करता हूं कि वह इस महत्वपूर्ण विधा के अकादमिक प्रबंधन में बदलाव लाने के लिए आगे आए।

प्रिय विद्यार्थियो,

11. एक सुखद संयोग के कारण 2014 का कैलेंडर 1947 पूर्णत: के समान है, जिस वर्ष हमने अपना भाग्य निर्धारित किया था। तब बहुत अधिक उम्मीदें थीं और हम उन्हें साकार करने में काफी हद तक सफल रहे हैं। हम आज विश्व में अग्रणी बनने के कगार पर हैं। यह हमारे सभी देशवासियों के ही योगदान से संभव हुआ है। इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस देश का प्रत्येक नागरिक प्रगति और समृद्धि का लाभ उठाए। आज प्रौद्योगिकी हमें इस लक्ष्य को साकार करने की उम्मीद प्रदान करती है। हमारी जनशक्ति प्रौद्योगिकी के निर्माण और संचालन के साधन प्रदान करती है।

12. आज इस संस्थान के द्वार से निकलते हुए यह याद रखें कि आप यहां गहन प्रशिक्षण के माध्यम से अर्जित कौशल से हमारे देश के जनसामान्य के जीवन में नवान्वेषी बदलाव ला सकते हैं। अर्थशास्त्र और गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन का आपका ज्ञान, विशाल आंकड़ों को एकत्र और विश्लेषण करने की आपकी योग्यता, शासन और जननीति की गुणवत्ता सुधारने में एक उल्लेखनीय भूमिका निभा सकती है। मुझे विश्वास है कि आगे बढ़ने पर आप न केवल कारोबार और प्रौद्योगिकी पर प्रभाव डालेंगे बल्कि आप हमारे राष्ट्र के भविष्य को संवारने के प्रति भावना भी रखेंगे। हम आप सभी पर गौरव है और हमें आपसे बहुत आशाएं हैं। हमारे देश के योग्य नागरिक बनिए। अंत में, इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आपके सभी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं, इस अवसर पर यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति के लिए एक खुशहाल, स्वस्थ, कुशल और बौद्धिक रूप से संतुष्टिपूर्ण 2014 और आगे के समय की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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