भारत-प्रशांत द्वीपसमूह राष्ट्र मंच के द्वितीय शिखर सम्मेलन के शिष्टमंडल प्रमुखों द्वारा भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 20.08.2015
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महामहिमगण,
मैं आप सभी का भारत में स्वागत करता हूं। आपका राष्ट्रपति भवन में स्वागत करना एक हर्ष तथा गौरव का विषय है। भले ही भारत और प्रशांत द्वीपसमूह के देशों के बीच कई समुद्र और महाद्वीप हैं परंतु हमें आपके साथ मौजूद मैत्री और सहयोग की दीर्घ परंपरा पर गर्व है। हमारी जनता सदियों पुराने व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों से जुड़ी हुई है,जिसने हमारे बीच मौजूद भरोसे और प्रगाढ़ता में योगदान दिया है। हम विशेषकर - हम आप द्वारा भारतवंशियों को अपने घर से दूर सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए आपके देशों की सराहना करते हैं। हमारी सरकार प्रशांत द्वीपसमूह के देशों के अपने मित्रों के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण मानती है। हमारा मानना है कि आपके देशों के साथ हमारे आर्थिक संबंध तथा सहयोग भारत की विस्तारित‘एक्ट ईस्ट’नीति के महत्वपूर्ण कारक हैं।
महामहिमगण,
भारत को भारत-प्रशांत द्वीपसमूह सहयोग मंच के द्वितीय शिखर सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता हो रही है। इस मंच की स्थापना हमारे देशों और हमारी जनता के बीच स्थाई एवं परस्पर लाभदायक साझीदारी की सभी सदस्य राष्ट्रों की इच्छा की प्रतीक है। मैं इसकी सफलता में योगदान के लिए आपमें से हर एक की सरकार को धन्यवाद देता हूं। पिछले नवम्बर में फीजी में आयोजित प्रथम शिखर सम्मेलन के पश्चात एक वर्ष से भी कम समय में आपका नई दिल्ली और जयपुर में पुन: मिलना साझा लक्ष्यों के प्रति इसके सभी सदस्यों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
मुझे यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि केवल कुछ माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फीजी शिखर सम्मेलन में घोषित कार्यक्रमों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। हम उन क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं,जहां हमारे साझा हित हैं जैसे कि मानव संसाधन विकास,क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य सेवा,वहनीय, स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा,आपदा प्रबंधन के उपायों को अपनाना तथा अवसंरचना विकास आदि। भारत,आपके साथ साझीदारी करने तथा आपके अपने-अपने देशों के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के आपके प्रयासों में सार्थक योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में,भारत द्वारा प्रशांत द्वीपसमूह के देशों को दिया जा रहा सहायता अनुदान पिछले वर्ष125000 अमरीकी डालर से बढ़ाकर 200,000 अमरीकी डालर कर दिया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि इससे आपके द्वारा प्राथमिकता प्रदत्त विशिष्ट परियोजनाओं को सहयोग मिलेगा। हमें यह खुशी हो रही है कि भारत का तकनीकी तथा आर्थिक सहयोग कार्यक्रम,भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद छात्रवृत्तियां,भारतीय विदेश सेवा संस्थान द्वारा आयोजित विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल तथा इसी तरह की अन्य स्कीमों का आपके देशवासियों द्वारा लाभ उठाया जा रहा है। हमारा मानना है कि हमारी जनता के बीच इस तरह के आदान-प्रदान उनके आपसी संपर्क और परस्पर सद्भावना के अधिक अवसर उपलबध कराएंगे। मुझे विश्वास है कि हमारा द्विपक्षीय सहयोग बहुत संभावनाओं से युक्त है और उसका उपयोग किया जाना है। भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी,स्वास्थ्य, सौर ऊर्जा,आपदा न्यूनीकरण तथा प्रबंधन,कृषि खासकर नारियल तथा कॉइर तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज के क्षेत्रों में काफी प्रगति की है। हम विशेषकर स्थानीय रूप से प्रासंगिक प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर देते हुए,कौशल विकास तथा नवान्वेषण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमारी यह हार्दिक इच्छा है कि हम आप जैसे मित्र राष्ट्रों के साथ अपना ज्ञान और कौशल बांटें,खासकर वहां जहां इनका अनुकूलन सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
महामहिमगण, प्रशांत द्वीपसमूह के राष्ट्रों के समान ही भारत में भी द्वीपसमूहों की श्रृंखला है जो पर्यावरण में बदलाव के नकारात्मक प्रभाव को अनुभव कर रही है। आपके समान ही हम भी विकास को तीव्र करने के साथ-साथ नाजुक पारितंत्र को बचाने की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारा मानना है कि अपने देशों के बीच सर्वोत्तम युक्तियों और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से पर्यावरण में बदलाव के प्रभाव को कम करने के लिए धन की प्राप्ति तथा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में हमारे सहयोग में बहुत सहायता मिलेगी। भारत ने कार्बन मूल्यांकन,वनीकरण प्रोत्साहन, कम कार्बन के उपयोग तथा नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के विस्तार तथा सभी सेक्टरों में ऊर्जा दक्षता में सुधार जैसे कई घरेलू उपाय शुरू किए हैं। हमें आपके साथ इन क्षेत्रों में पर्यावरण की संरक्षा तथा आपके बहुमूल्य संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग करने में खुशी होगी।
प्रशांत द्वीपसमूह के राष्ट्रों को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन मिले हैं। हमें आपके खनिज,समुद्री तथा हाइड्रोकार्बन संसाधनों के दोहन में आपका सहायोग करने में खुशी होगी। हमारी सरकार तथा निजी क्षेत्र हमारे द्विपक्षीय व्यापार को सुदृढ़ करने तथा विविधतापूर्ण बनाने के लिए तथा मत्स्यपालन,कृषि, तेल एवं प्राकृतिक गैस,खनन तथा जल अलवनीकरण आदि में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए इच्छुक हैं। यह भारत-प्रशांत द्वीपसमूह राष्ट्र सहयोग मंच के सभी सदस्यों के हित में होगा कि वह हमारी अनुपूरकताओं को पहचानें,जिससे हम उन पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें।
महामहिमण, विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए हमारी उम्मीदवारी को आपके द्वारा दिए गए समर्थन के लिए हम आपके अत्यंत आभारी हैं। यह वर्ष संयुक्त राष्ट्र की70वीं वर्षगांठ का वर्ष है। अगले महीने आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की आगामी बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सुधार तथा विस्तार पर चर्चा तथा ठोस प्रस्तावों पर विचार किए जाने की उम्मीद है। एक अन्तर सरकारी विचार-विमर्श प्रस्ताव पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका है। उस पर हम आपका समर्थन चाहेंगे। हमारे देश वैश्विक शासन की संस्थाओं में सुधार की साझा प्रतिबद्धता से बंधे हुए हैं जिससे वे विकासशील देशों की साझा आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें। हमारा मानना है कि हमें संयुक्त राष्ट्र महासभा की भावी बैठक में इन काफी लंबे समय से लंबित सुधारों पर जोर देने के लिए मिलजुलकर कार्य करना होगा।
मुझे विश्वास है कि कल होने वाले आपके विचार-विमर्श तथा इस मंच के प्रयास भविष्य के लिए अधिक सहयोग के ठोस सुझावों में परिणत होंगे। मैं,हमारे साझा हित के क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर हमारी सरकार तथा जनता के बीच अधिकाधिक आदान-प्रदान की अपेक्षा रखता हूं।
व्यक्तिगत रूप से, मुझे इस बात की खुशी है कि आप में से कुछ अपने जीवन साथियों के साथ यहां आए हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस यात्रा का आनंद उठाएंगे तथा इस मंच के कार्यक्रमों के लिए नियमित रूप से भारत आते रहेंगे।
महामहिमगण,इन्हीं शब्दों के साथ,मैं एक बार फिर से आप सभी का स्वागत करता हूं तथा द्वितीय भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद!