बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा के हीरक जयंती समारोह तथा छब्बीसवें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

रांची, झारखंड : 10.01.2016

डाउनलोड : भाषण बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा के हीरक जयंती समारोह तथा छब्बीसवें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 541.21 किलोबाइट)

speech1. मुझे परोपकारी उद्योगपति,बी.एम बिरला द्वारा1955में स्थापित तथा बाद में उनके सुपुत्र जी.पी.बिरला तथा अब श्री सी.के.बिरला द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा के हीरक जयंती समारोह तथा विशेषकर अपने पूर्व छात्रों के26वें दीक्षांत समारोह के आयोजन के दौरान इस प्रात: आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है।

2. मैं उपाधि प्राप्तकर्ताओं आपको बधाई देता हूं,वर्षों के सच्चे प्रयास, परिश्रम और निष्ठा से आज आपको यह उपलब्धि प्राप्त हुई है। मैं इस उपलब्धि को दिलवाने में योगदान के लिए अभिभावकों और शिक्षकों की भी सराहना करता हूं। यहां प्राप्त बौद्धिकता,सामाजिकता और अन्य कौशल से आप अपने भावी जीवन में श्रेष्ठ प्रगति करेंगे। आप अपनी जीवनवृत्ति में अनेक पेशेवर उपलब्धियां हासिल करेंगे। यद्यपि मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आपको जनसाधारण के कल्याण के लिए अपने ज्ञान और तकनीकी विशेषज्ञता का भी प्रयोग करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप सभी मोर्चों पर सफल होंगे।

देवियो और सज्जनो,

3. बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा ने मामूली शुरुआत करके आज हमारे देश का एक अग्रणी इंजीनियर संस्थान बनने के लिए तीव्र प्रगति की है। इस संस्थान के सत्रह विभाग मैकेनिकल,सिविल,रसायन और वैद्युत इंजीनियरी,कंप्यूटर विज्ञान,भेषजविज्ञान और वास्तुकला जैसी पारंपरिक विधाओं तथा बायो इंजीनियरी,अंतरिक्ष इंजीनियरी और सुदूर संवेदन जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी सभी स्तरों पर कार्यक्रम प्रदान कर रहे हैं। अपनी स्थापना से ही बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा ने देश के उच्च शिक्षा कार्य को आगे बढ़ाने तथा राष्ट्रीय विकास के कार्य में युवाओं की क्षमता का प्रयोग करने के लिए असाधारण प्रतिबद्धता दर्शाई है।

4. 1947 में जब भारत स्वतंत्र बना तो हमने तीव्र औद्योगिकीकरण,उन्नत कृषि,संतुलित क्षेत्रीय विकास तथा आयात निर्भरता में कमी सहित सतत आर्थिक विकास का एक कार्यक्रम आरंभ किया था। हम अब तक की उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं,कुछ तथ्य यह दर्शाते हैं। स्वतंत्रता के समय केवल एक मिलियन टन इस्पात उत्पादन की तुलना में अब हम प्रति वर्ष90मिलियन टन से अधिक उत्पादन करते हैं जिससे हम विश्व के चौथे विशाल इस्पात उत्पादक देश बन गए हैं।1947में प्रति वर्ष एक लाख से कम ऑटोमोबाइल की तुलना में हम अब3.8 मिलियन ऑटोमोबाइल साथ के छठे सबसे बड़े उत्पादक हैं।2014-15 में 612मिलियन टन के साथ हम कोयले में विश्व के तीसरे सबसे विशाल उत्पादक हैं। गत वर्ष270 मिलियन टन के साथ हम सीमेंट उत्पादन के मामले में केवल चीन से पीछे हैं। हम इलेक्ट्रॉनिक सामान की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।2 ट्रिलियन से अधिक अमरीकी डॉलर के सफल घरेलू उत्पादन के साथ हम विश्व की नवीं विशालतम अर्थव्यवस्था हैं। क्रय शक्ति समता के मामले में हम तीसरी विशालतम अर्थव्यवस्था हैं। विश्व की विशाल अर्थव्यवस्थाओं में हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।

5. हमारे राष्ट्र की यह प्रभावी प्रगति हम सभी के लिए वास्तविक गौरव का विषय है। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा जैसे इंजीनियरी संस्थानों ने नेतृत्व के सभी स्तरों पर सुप्रशिक्षित प्रौद्योगिकीविदों के माध्यम से इस प्रगति में योगदान दिया है। यह इस संस्थान के लिए अत्यंत संतोष का विषय है कि इसके पूर्व विद्यार्थियों में अनेक कॉरपोरेट मुखिया,वैज्ञानिक,इंजीनियर और विख्यात व्यक्ति शामिल हैं। औद्योगिक फर्मों का संचालन कर रहे तकनीकीविदों के अलावा इसने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर,नेटवर्किंग, हार्डवेयर,कुशल खनन मशीनरी, गैस और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशाल संख्या में उद्यमी मुहैया करवाए हैं।

मित्रो,

6. भारत इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकता कि देश के250 मिलियन से अधिक लोग अभावग्रस्त भरण-पोषण कर रहे हैं। उन्हें गरीबी से बाहर निकालने का कार्य चुनौतिपूर्ण हो सकता है लेकिन संभव है। हमारी सामाजिक-आर्थिक प्रगति समान वितरण की प्रतिबद्धता से जुड़ी होनी चाहिए जिससे इसके लाभ हमारे समाज के सभी वर्गों विशेषकर पिछड़े, वंचित और उपेक्षित तक पहुंचें। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा ने शहरों और गांवों में सामाजिक उत्थान के लिए अनेक अग्रणी तैयार किए हैं। हैंडपंपों और अन्य ग्रामीण जलाशयों के लिए वहनीय जल शोधन संयंत्रों के निर्माण तथा अस्पताल शैया कार्य की पुन: अभिकल्पना के द्वारा इसके पूर्व विद्यार्थियों ने प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण लाभ सबसे गरीब को उपलब्ध करवाए हैं। गांधीजी ने कहा था, ‘व्यक्ति उतने ही अनुपात में महान बनता है जितना वह लोगों के कल्याण के लिए कार्य करता है।’ मैं अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के साधनों के जरिए सामाजिक रूप से प्रतिसंवेदी परियोजनाओं पर बल देते रहने के लिए सभी का आह्वान करता हूं। शैक्षिक संस्थानों के अनुसंधान को सबसे निचली सामाजिक-आर्थिक पायदान के लिए प्रासंगिक बनाएं।

मित्रो,

7. भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में विगत कुछ दशकों के दौरान अत्यधिक प्रगति हुई है। इस प्रगति की एक बढ़िया विशेषता उच्च शिक्षा प्रदान करने में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी है। निजी संस्थानों में उच्च शिक्षा में प्रवेशप्राप्त विद्यार्थियों का प्रतिशत ग्यारहवीं योजना अवधि की शुरुआत में 54प्रतिशत से बढ़कर बारहवीं योजना अवधि के आरंभ में 59प्रतिशत हो गया है। अधिक विद्यार्थी प्रवेश दर्ज करने वाली निजी उच्च शिक्षा संस्थानों की यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। प्रसार से अत्यधिक पहुंच बढ़ी है परंतु इससे गुणवत्ता को भी खतरा पैदा हो गया है।

8. अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ परस्पर संबद्धता से शैक्षिक विशेषज्ञता और पाठ्यक्रम सामग्री विद्यार्थियों और शिक्षकों का आदान-प्रदान;अनुसंधान सहयोग की संभावना तथा नए विचारों और सर्वोत्तम तरीकों का आदान-प्रदान जैसे संसाधन विनियम के मामले में लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क जैसे मौजूदा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी नेटवर्कों का पूर्ण प्रयोग करना महत्वपूर्ण होगा। संस्थान समझौता ज्ञापन करके विदेशी और घरेलू संस्थानों के साथ साझीदारी भी आरंभ कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

9. हमारी अर्थव्यवस्था की उत्पादनकारी क्षमता को साकार करने के लिए,विभिन्न नवान्वेषण कार्यकलापों पर प्रमुख बल देना आवश्यक है। पूंजी और श्रम से बढ़कर नवान्वेषण है जो एक अर्थव्यवस्था में बढ़े हुए उत्पादन के लिए निर्णायक कारक हैं। वर्तमान युवा नवान्वेषी विचारों से भरपूर हैं। उन्हें अपने नूतन विचारों की उड़ान के लिए एक मंच की जरूरत है। अन्य संस्थान कई केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में आरंभ नवान्वेषक क्लबों की अवधारणा का अनुकरण कर सकते हैं। ये क्लब,नवान्वेषणों के परामर्शन तथा इन्हें व्यवहारिक उत्पादों में तैयार करने के लिए, तकनीकी संस्थानों में विद्यमान नवान्वेषण विकास केंद्रों के साथ साझीदारी कर सकते हैं। नवान्वेषकों,तकनीकी संस्थानों तथा वित्त प्रदाताओं के बीच कड़ी को मजबूत बनाना आवश्यक है।

10. तैयार अनुकूल वातावरण के कारण आज युवाओं में उद्यमशीलता के प्रति गहरा उत्साह है। भारत के अनेक स्टार्ट-अप सफल हो गए हैं तथा उन्होंने दूसरों को प्रगति का पथ दिखाया है। उच्च शैक्षिक संस्थानों की विशिष्ट भूमिका अपने विद्यार्थियों की उद्यमीय योग्यता को संवारने की है। हमारे संस्थानों में उद्यमशील अध्ययनों को पाठ्यक्रम के तौर पर पढ़ाया जा सकता है। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा के लघु उद्योग उद्यमी पार्क जैसे अन्य सहयोगी उपाय रोजगार मांगने की बजाय रोजगार पैदा करने वाले विद्यार्थी तैयार करने के लिए आवश्यक हैं।

11. इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मुझे विश्वास है कि बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा हमारे औद्योगिक,सामाजिक और शैक्षिक आवश्यकताओं से जुड़े क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी; उच्च गुणवत्ता शिक्षा और अनुसंधान में राष्ट्र की क्षमता को निर्मित करने की दिशा में कार्य करता रहेगा। मैं एक बार पुन: स्नातक बने विद्यार्थियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

जयहिन्द।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.