आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के अखिल भारतीय सदस्य सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 24.01.2016
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आज आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने करदाताओं को न्याय प्रदान करके राष्ट्र सेवा के75वर्ष पूरे किए हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर,मैं आप सभी को बधाई तथा आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण परिवार को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और यह कामना करता हूं कि आने वाले वर्षों में और अधिक सार्थक व उपयोगी राष्ट्रसेवा करते रहें। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के स्थापित मॉडल को अप्रत्यक्ष कर, प्रशासन,रेल और विदेशी मुद्रा विनिमय के क्षेत्रों में न्यायाधिकरण स्थापित करने के लिए प्रयोग किया गया है। अन्य न्यायाधिकरणों के गठन में आयकर अपीलीय प्राधिकरण मॉडल के अनुकरण से यह देश का एकमात्र न्यायाधिकरण बन गया है।
2. भारत में आयकर 1860के अधिनियम द्वारा आरंभ हुआ था। 1941में न्यायाधिकरण की स्थापना तक, कर विवाद का अधिनिर्णय एक आंतरिक प्रशासनिक तंत्र के माध्यम से किया जाता था जिसमें निष्पक्षता और स्वतंत्रता की कमी थी। प्रत्यक्ष कराधान संबंधी मामलों में न्याय प्रदान करने के लिए न्यायाधिकरण की स्थापना ने निष्पक्ष,सुलभ और तीव्र न्याय की नींव रखी।
देवियो और सज्जनो,
3. भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्षों के दौरान प्रमुख बदलाव हुए हैं। जब24 जुलाई, 1860को भारत में आयकर आरंभ हुआ था तो 1860-61में प्रत्यक्ष करों का संग्रहण 30लाख रुपये था। वर्ष 2015-16 के लिए, प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान7.98 लाख करोड़ रुपए है। यह,शुरुआत के बाद, भारत में प्रत्यक्ष कर के बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है।
देवियो और सज्जनो,
4. आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण प्रत्यक्ष कर मुकदमा प्रणाली में अंतिम तथ्य खोजी प्राधिकरण है तथा यह करदाताओं और प्रशासन के साथ दूरीगत संवाद रखकर व्यवस्था में विश्वास पैदा करने में सफल रहा है। न्यायाधिकरण की स्वतंत्रता सबसे महत्त्वपूर्ण है।
5. कराधान प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों से करदाताओं की शिकायतें बढ़ती हैं। विवादों का तुरंत समाधान करदाताओं की शिकायतों को कम करने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है। शीघ्र न्याय के लिए संगठन में उच्च विधिक,तकनीकी और प्रौद्योगिक विशेषज्ञता की आवश्यकता है। इसके लिए तेजी से बदल रहे विधिक और आर्थिक स्थिति के ज्ञान को निरंतर अद्यतन बनाने की भी जरूरत है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण को इसके कार्य तथा घाना और नाइजीरिया जैसे विकासशील देशों की कर न्यायपालिकाओं की सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। मैं चाहता हूं कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण,कर न्यायाधिकार जहां मुकदमा प्रबंधन प्रणाली शैशव अवस्था में है,में अग्रणी भूमिका निभाए।
6. वर्षों से प्रत्यक्ष कर मुकदमों में अत्यधिक वृद्धि हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास से प्रत्यक्ष कर तथा करदाताओं की संख्या बहुत अधिक बढ़ी है,जिससे कर विवाद निवारण प्रणाली पर दबाव पड़ा है। सरकार ने सम्पूर्ण देश में आयकर अपीलीय प्राधिकरण शाखाओं की संख्या बढ़ाकर इन चुनौतियों का उत्तर दिया है। आज हमारे यहां63 शाखाएं हैं जो 27केंद्रों से कार्यरत हैं। कर विवादों और कर मुकदमों की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए नवान्वेषी कर मुकदमा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है।
7. अंतरण मूल्य निर्धारण,अंतरराष्ट्रीय कराधान तथा डिजीटल अर्थव्यवस्था का कर निर्धारण आधुनिक जटिल अर्थव्यवस्था के कराधान के अग्रणी क्षेत्र हैं जिसके लिए विशेष कौशल स्तर की आवश्यकता है। कराधान विभाग ने वर्षों के दौरान क्षमता विकास के जरिए चुनौतियों से निपटने में सक्रियता दिखाई है। इन क्षेत्रों में बढ़ते विवाद के लिए भारत को कर न्यायिक प्रणाली में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाए रखने हेतु कर विभाग तथा कर न्यायापालिका दोनों में प्रशिक्षित जन शक्ति की जरूरत है। मुझे बताया गया है कि सदस्यों के अखिल भारतीय सम्मेलन के तकनीकी सत्रों के दौरान आप कराधान के इन तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार कर रहे हैं—
(i) सीमा पार लेन-देन में कर न्याय विज्ञान
(ii) न्याय प्रदान करने की प्रणाली में प्रौद्योगिकी का उद्भव और
(iii) भारत में कारोबार करने की आसानी की तुलना में कर मुकदमेबाजी।
8. प्रौद्योगिकी के कारण,कारोबार की गति कई गुना बढ़ गई है। तकनीकी रूप से कुशल उद्यमी तथा वैश्विक भारतीय सर्वोत्तम विश्व पद्धतियों के बराबर न्याय प्रदान प्रणाली की मांग करते हैं। इन इक्कीसवीं शताब्दी के उद्यमियों की अपेक्षाओं को पूरा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। मुझे उम्मीद है कि आयकर अपीलीय प्राधिकरण परिवार तथा विधि मंत्रालय सक्रिय तौर पर इन चुनौतियों का उत्तर देंगे।
9. कर विवाद समाधान प्रणाली निवेश प्रोत्साहन तथा कारोबार को आकर्षित करने के माहौल का प्रमुख घटक है। भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनने की आशा कर रहा है,इसलिए आपको इस माहौल में एक अहम भूमिका निभानी है। विश्व बैंक समूह2016 रिपोर्ट के अनुसार,भारत का ‘कारोबार करने में आसानी’के मामले में 130वां स्थान है। इस स्तर को सुधारना होगा। शीघ्र न्याय,सुदृढ़ व्यवस्था, उपयुक्त दृष्टिकोण तथा कारोबार उन्मुख मुकदमा प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से आप भारत की उस विकास गाथा में योगदान कर सकते हैं जो आरंभ हो रही है।
10. ई-न्यायालयों की पहल सराहनीय है जिसके माध्यम से न्यायाधिकरण के सदस्य वीडियो कान्फ्रेंसिंग मॉडल के जरिए छोटे केंद्रों के मामले निपटा रहे हैं। राजकोट में एक महीने में300 अपीलें निपटाकर अहमदाबाद के आयकर अपीलीय प्राधिकरण सदस्यों द्वारा प्रस्तुत उदाहरण प्रौद्योगिकी पर आधारित नई प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों के प्रति सदस्यों की तत्परता को दर्शाता है। आपको सम्पूर्ण देश की इस प्रकार की परिपाटियों का अपनाना चाहिए तथा करदाताओं के द्वार तक कर न्याय प्रदान करने का वास्तविक प्रतीक बनना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
11. पिचहत्तर वर्ष किसी संगठन के कार्यकाल में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। आयकर अपीलीय प्राधिकरण ने इन वर्षों के दौरान,स्वयं को एक ऐसे संगठन के रूप में स्थापित किया है जो सर्वोत्तम पद्धतियों का पालन करता है तथा सदैव विकास के प्रति वचनबद्ध रहता है। मुझे उम्मीद है कि आयकर अपीलीय प्राधिकरण परिवार के सदस्य अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते रहेंगे तथा देश की प्रगति और विकास में योगदान देते रहेंगे। एक बार पुन: 75वर्ष पूरे करने तथा प्लेटिनम जुबली समारोह के लिए मेरी आप सभी को शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
जय हिंद!