अमूल के पशु आहार उत्पादन संयंत्र के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
खेड़ा, गुजरात : 30.11.2015
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1. अमूल के अत्याधुनिक पशु आहार उत्पादन संयंत्र के उद्घाटन के लिए आज यहां उपस्थित होना मेरा सौभाग्य है। सर्वप्रथम मैं,अमूल को अपनी प्रख्यात यात्रा के एक और पड़ाव तक पहुंचने के लिए बधाई देता हूं।
2. इस अवसर पर एक जीवंत राज्य गुजरात की यात्रा करने का अवसर प्राप्त करके भी मुझे प्रसन्नता हुई है जिसने व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास का मार्ग दिखाया है। गुजरात एक ऐतिहासिक राज्य है जहां प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल हैं। लोथल को विश्व का एक प्राचीन बंदरगाह माना जाता है। जैसे भरुच और खंबात तटीय नगर मौर्य और गुप्त साम्राज्य के समय महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र थे। गुजरात ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक अग्रणी भूमिका निभाई। आंदोलन के कुछ महान नेता इसी क्षेत्र से थे। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम ने स्वतंत्रता आंदोलन का सक्रिय केंद्र के रूप में कार्य किया।
3. गुजरात ने स्वतंत्रता के बाद से सभी मोर्चों पर प्रगति की है। यह गुजराती लोगों की परिश्रम और उद्यमशील प्रवृत्ति से संभव हुआ है। राज्य में विशालतम औद्योगिक निगम हैं जबकि इसकी कृषि विकास दर देश में सबसे अधिक में से है। यह डेयरी क्षेत्र के सहकारी आंदोलन में अग्रणी है।
4. इस अवसर पर,मैं सरदार वल्लभ भाई पटेल,मोरारजी देसाई,त्रिभुवनदास पटेल तथा डॉ. वर्गीज कुरियन जैसे महान नेताओं को अमूल सहकारी आंदोलन में उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व को प्रति सम्मान प्रकट करता हूं। मैं अमूल परिवार के 3.6मिलियन किसानों के शानदार योगदान की सराहना करता हूं;तथा राष्ट्रनिर्माण में प्रयासों के लिए 150मिलियन भारतीय दुग्ध उत्पादकों को नमन करता हूं।यह आपका समर्पण,सच्चाई, त्याग और परिश्रम है जिसने दुग्ध और डेयरी उत्पादों के क्षेत्रों में हमारे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।
देवियो और सज्जनो,
5. डेयरी क्षेत्र में सहकारी संस्थाओं की शुरुआत से पहले,दूध बिक्री व्यवस्था ठेकेदारों और बिचौलियों के नियंत्रण में थी। किसी विक्रेता संघ के अभाव में यह एक क्रेता बाजार था जहां डेयरी किसानों को कौड़ियों के दाम पर दूध बेचने के लिए विवश किया जाता था।1945 में,बॉम्बे दुग्ध योजना आरंभ की गई जिसके अंतर्गत बॉम्बे सरकार ने पाश्चुरीकरण के बाद खेड़ा के आणंद से बॉम्बे दुग्ध आपूर्ति के लिए एक निजी डेयरी इकाई - पोलसन्स से एक करार किया। यह व्यवस्था उन किसानों के सिवाय उन सभी के लिए सही थी जिनका दूध के ठेकेदारों के हाथों शोषण जारी रहा।
6. सरदार वल्लभ भाई पटेल के सलाह और मोरारजी देसाई के प्रयासों से दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्थाएं उनके सदस्य किसानों से दूध संग्रह करने के लिए गठित की गईं। पंद्रह दिन की दूध हड़ताल,जिसमें एक बूंद दूध व्यापारियों को नहीं बेचा गया,सफल रही। दूध संस्थाओं को एक संघ खेड़ा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड,अथवा अमूल डेयरी में बदल दिया गया जिसका 14दिसम्बर, 1946 को औपचारिक पंजीकरण किया गया। इसका उद्देश्य जिले के दूध उत्पादकों को उपयुक्त विपणन सुविधाएं मुहैया करवाना था। दो ग्रामीण सहकारी संस्थाएं जो प्रतिदिन लगभग 250 लीटर दूध पैदा करती थीं,के कुछ मुट्ठीभर किसानों के साथ जून, 1948में बॉम्बे दुग्ध योजना के लिए दूध के पाश्चुरीकरण करने हेतु अमूल डेयरी आरंभ हुई। यद्यपि1948 के अंत तक, 432किसान ग्रामीण संस्थाओं में शामिल हो गए। अमूल डेयरी की दूध की मात्रा5000 लीटर प्रतिदिन तक बढ़ गई।
7. 31 अक्तूबर, 1964 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अमूल के प्रथम पशु आहार संयंत्र का उद्घाटन करने के लिए आणंद पधारे। उन्होंने किसानों से बातचीत करते हुए खेड़ा जिले के गांव में रात गुजारने का मन बनाया। देश में मौजूदा दूध की कमी तथा डेयरी उत्पादों पर आयात निर्भरता के कारण वह अमूल मॉडल को व्यापक पैमाने पर अमल में लाने के लिए प्रेरित हुए। डेयरी विकास कार्यक्रम तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय,राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का सृजन किया गया। इस कार्य को डॉ. वर्गीज कुरियन को सौंपा गया जो उस समय अमूल का प्रबंधन देख रहे थे। डॉ. कुरियन और उनकी टीम के अथक प्रयासों के कारण‘ऑपरेशन फ्लड’जैसा कि इस पहल को कहा गया, विश्व का विशालतम डेयरी विकास कार्यक्रम बन गया। इसलिए,इस अमूल क्रांति जिसने हमारे राष्ट्र को विश्व के डेयरी मानचित्र पर प्रमुखता दिलाई;ने भारत को विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बना दिया।
8. अमूल डेयरी अब गुजरात सहकारी दूध विपणन परिसंघ के अंतर्गत एक समूह है। इस सर्वोच्च विपणन संस्था में गुजरात के3.6 मिलियन डेयरी किसान शामिल हैं जिसमें औसत दूध प्रापण16 मिलियन तथा वार्षिक उत्पादन 22000 करोड़ रुपये से अधिक है। आज अमूल एशिया का सबसे विशालतम तरल दुग्ध ब्रांड तथा भारत का सबसे विशाल खाद्य ब्रांड है। यह भारत के डेयरी उत्पादों का विशालतम निर्यातक भी है।
मित्रो,
9. मेरे विचार से,अमूल नि:स्वार्थ समर्पण और दूरदर्शी नेतृत्व की भावना का प्रतीक है।1946 से दूध की ‘बूंद’से ‘बाढ़’तक की अमूल की यात्रा चुनौतीपूर्ण थी। यह किसानों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील और सक्रिय होने तथा बदलती परिस्थितियों के अनुसार गतिशील बनने की अमूल की योग्यता के कारण संभव हुआ। डेयरी सहकारी आंदोलन से उत्पन्न‘अमूल मॉडल’या ‘आणंद प्रतिरूप’नामक संस्थागत ढांचे ने गरीब से गरीब किसानों को शामिल करते हुए इसे बिलियन रुपये मूल्य का ब्रांड बना दिया। अमूल ने संभार नवान्वेषण के जरिए पूरे देश में उच्च गुणवत्तापूर्ण,पैकेज वाले दूध तथा डेयरी उत्पादों की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित की है।
10. दूध उत्पादन और प्रसंस्करण से लेकर विपणन तक समग्र मूल श्रृंखला डेयरी किसानों या किसान नियमित संस्थाओं के स्वामित्व और नियंत्रण होने के कारण मॉडल ने किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किए हैं तथा मूल्य के उतार चढ़ाव से उनकी रक्षा की है। विगत एक वर्ष के दौरान, वैश्विक डेयरी उत्पाद कीमतों में तेज गिरावट से विश्वभर में 20 से 50 प्रतिशत तक डेयरी किसानों की दूध की कीमतों में कमी आई है। सुखद तुलना यह है कि अमूल डेयरी से जुड़े किसानों को अपनी सहकारी संस्था में दिए गए दुग्ध की ऊंची कीमतें प्राप्त हुई हैं। इन प्रयासों ने राष्ट्र की पोषण जरूरतों को पूरा करते हुए भारतीय किसानों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाते हुए उनके चेहरों पर मुस्कान पैदा की है।
11. ॒अमूल डेयरी शुरुआत से उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाने का चलन आरंभ करती रही है। महत्वपूर्ण डेयरी प्रौद्योगिकी से अमूल ने पनीर,मक्खन, संघनित दूध और बाल आहार जैसे उत्पादों में शुष्क भैंस का दूध छिड़कने की क्षमता प्राप्त की। पशुओं के स्वास्थ्य और बेहतरी के लिए इसने1950में एक चल पशु चिकित्सा डिस्पेंसरी आरंभ की। पशुओं की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए,इसने1964में पशु आहार संयंत्र की स्थापना की जहां गुटिका के आकार के पशु आहार वाली प्रौद्योगिकी ने इसके कुशल प्रयोग को सुनिश्चित किया है।
देवियो और सज्जनो,
12. डेयरी एक ऐसा क्षेत्र है जहां सरकारी सहयोग से सहकारी प्रयासों ने कमाल कर दिया है। उदाहरण के लिए,राष्ट्रीय दूध ग्रिड के माध्यम से भारत में दूध का सुदूर परिवहन संभव हो गया है। इस प्रक्रिया नवान्वेषण ने तरल दूध और दूध उत्पादों को देश में बेहतर बाजार ढूंढने में मदद की है। सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के प्रबंधन में चल रही राष्ट्रीय डेयरी योजना के जरिए डेयरी क्षेत्र के प्रति अपने सहयोग को अब प्राथमिकता दी है। यह देखते हुए कि हमारे दुधारू पशुओं की उत्पादकता अभी भी विश्व स्तर की तुलना में कम है,इसलिए योजना के प्रथम चरण में 2242करोड़ रुपयों को परिव्यय निवेश किया जाएगा। यह उम्मीद की जाती है कि इस उत्पादन की फलत: वृद्धि हमारे देश के दूध और दूध उत्पादों की अनुमानित मांग वृद्धि को पूरा करेगी।
13. इस संदर्भ में,मैं डॉ. कुरियन के इन शब्दों को याद करता हूं, ‘‘हमें अपने कार्य को संभालने के लिए अधिकांशत: अकेला छोड़ दिया गया है,परंतु अनेक सरकारों ने अत्यंत सहयोगपूर्ण भूमिका भी निभाई है। तथापि सहकारी क्षेत्र के पूरे देश में फलने-फूलने के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारें अपनी वृहद आर्थिक नीतियों के संबंध में,एक बराबरी का स्तर प्रदान करने में और मदद कर सकती हैं। हमारे नीति निर्माताओं के लिए यह पहचानना अत्यावश्यक है कि सहकारी संस्थाएं विकास के साधन के रूप में कार्य कर सकती हैं और इसलिए इन्हें सभी संभावित सहयोग की जरूरत होती है।’’डेयरी किसान आश्वस्त हो सकते है कि उन्हें सरकार की ओर से सभी प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाएगा।
मित्रो,
14. ग्राम स्वराज के अपने कार्यक्रम के लिए सहकारी संस्थाओं की आवश्यकता की परिकल्पना करते हुए,गांधी जी ने उल्लेख किया था, ‘‘सहकारी संस्थाएं न केवल ग्राम उद्योगों बल्कि ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहन देने के लिए आदर्श रूप में अनुकूल संगठन हैं।’’अमूल के अग्रणी किसानों की सहयोग भावना ने संपूर्ण राष्ट्र में बदलाव लाते हुए ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक क्रांति आरंभ कर दी है। अमूल प्रयोग किसानों के ज्ञान,लोकतांत्रिक ढांचे, पेशेवर प्रबंधन तथा उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभिग्रहण का मिश्रण है। यह अनुकरणीय मॉडल है तथा इसे अपनाने से हमारे कृषक समुदाय के सम्मुख अन्य क्षेत्रों की समस्याओं पर ध्यान देने में मदद मिल सकती है।
15. अमूल वास्वत में भारत का गौरव है। यह नि:स्वार्थ,समर्पण और दूरदर्शी नेतृत्व की भावना का प्रतीक है। यह किसान नेताओं,पेशेवरों और अन्य भागीदारों की वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि वह अमूल क्रांति का इस प्रकार विस्तार करे कि सभी किसान लाभान्वित हों। उन्होंने सभी का यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि यह विश्व स्तरीय संस्थान उसी उत्साह और निष्ठा तथा संस्थापकों द्वारा अमूल में संचारित निष्ठा, कौशल और ईमानदारी के मूल्यों के साथ प्रगति करता रहे। आज इस आधुनिक संयंत्र के आरंभ होने के साथ,अमूल पशुओं की पोषण आवश्यकताओं पर ध्यान देने के लिए पशु आहार उत्पादन में क्रांति पैदा कर देगा। मैं इस अवसर पर एक बार पुन: आपको बधाई देता हूं और आपके प्रयासों के शीघ्र सफल होने की कामना करता हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द।