भारत की राष्ट्रपति ने आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया
राष्ट्रपति भवन : 16.03.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 16 मार्च, 2023 को कोच्चि में आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की समुद्री ताकत भारत के सामरिक, सैन्य, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों के लिए सदा महत्वपूर्ण रही है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत का एक लंबा तटक्षेत्र, द्वीपीय भूभाग और एक बड़ी समुद्री आबादी है
इसलिए एक मजबूत और आधुनिक नौसेना बहुत अधिक महत्व रखती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 75 वर्षों से युद्ध के लिए तत्पर, बहु-आयामी और बहुमुखी भारतीय नौसेना से हमारे विरोधी भय खाते हैं और यह लगातार हमारे समुद्री हितों की रक्षा करती आ रही है और इसने सामाजिक-आर्थिक विकास सुविधाजनक बनाने के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण
का निर्माण भी किया है। राष्ट्र को, हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने, हमारे व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखने और आपदा के समय सहायता प्रदान करने में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर गर्व है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्षों में भारतीय नौसेना ने महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास किया है और हिंद महासागर क्षेत्र में मिशन के लिए तैनात और जवाब के लिए तैयार बल बनी है तथा हमारे समुद्री पड़ोस में किसी भी आकस्मिकता के लिए 'फ़र्स्ट रेस्पोंडर' के रूप में खुद को तैयार किया
है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना पर भरोसा है।
ध्वज प्रस्तुति समारोह से ठीक पहले आईएनएस विक्रांत की अपनी यात्रा के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में निर्मित आधुनिक विमान वाहक आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का एक प्रसिद्ध उदाहरण है। आज भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जिनके पास
स्वदेशी तकनीक से विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। उन्होंने भारतीय नौसेना की पूरी टीम, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और आईएनएस विक्रांत से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता और समर्पण के साथ देश की सेवा करने के लिए भारत को भारतीय
नौसेना के बहादुर पुरुषों और महिलाओं पर गर्व है।