मॉरीशस विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति को डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की
राष्ट्रपति भवन : 12.03.2024
मॉरीशस विश्वविद्यालय ने आज 12 मार्च, 2024 को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि मॉरीशस विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय सिर्फ आकांक्षी युवाओं के सपनों की सीढ़ी नहीं हैं; वरन यहाँ मानव जाति का भविष्य गढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि वह इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करके विशेष सम्मान महसूस कर रही हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे सब युवा, विशेषकर युवा महिला अपने जुनून का पता लगाने और अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे।
राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षा के परिवर्तनकारी प्रभाव के अपने व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि शिक्षा ही हमें कमजोरी और अभाव से अवसरों और आशा की ओर ले जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने युवाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने को प्राथमिकता दी है ताकि वे भारत को आने वाले समय की 'ज्ञान अर्थव्यवस्था' बना सकें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की दूरदर्शी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करके नवाचार का एक पावर हाउस बनेगी और इससे मानवता की भलाई होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य की इस रोमांचक यात्रा में भारत मॉरीशस जैसे अपने विशेष मित्रों के साथ साझेदारी करना चाहेगा। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हर साल 400 मॉरीशस के लोगों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत भारत में प्रशिक्षण दिया जाता है और लगभग मॉरीशस के 60 विद्यार्थियों को भारत में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मॉरीशस को एक करीबी समुद्री पड़ोसी, हिंद महासागर क्षेत्र में एक निकटवर्ती भागीदार और अफ्रीका आउटरीच के एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखता है।
यह देखते हुए कि लोगों के गहन आपसी संबंध भारत और मॉरीशस की विशेष मित्रता की नींव रहे हैं, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मॉरीशस और भारत के युवा इस विशेष साझेदारी को गहन करते रहेंगे।