भारत की राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति भवन : 24.07.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 24 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2022 प्रदान किए। राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार की स्थापना भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों और उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और टीमों को सम्मानित करने के उद्देश्य से की गई है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भूविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसमें भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन भी शामिल किया जाता है। इन विषयों को पब्लिक गुड भूविज्ञान कहा जाता है क्योंकि ये बड़ी संख्या में लोगों की सुरक्षा में उपयोगी होते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि खनन हमारी अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में शामिल है। देश के आर्थिक विकास में खनिज विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में अनेक प्रगतिशील बदलाव लाए गए हैं। इन बदलावों से खनन क्षेत्र की क्षमता और उत्पादकता में प्रगति हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और विकास का वही मार्ग सही सिद्ध होता है जो मानवता के कल्याण की दिशा में जाता है। इसलिए भू-वैज्ञानिक समुदाय को मानव केन्द्रित खनन की दिशा में आगे बढ़ते रहना है। उन्होंने खनिजों के कुशल उपयोग में योगदान देकर भारत की अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करने के लिए भारतीय भू-वैज्ञानिकों की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि आजकल रेयर अर्थ एलिमेंट्स, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स और सेमीकंडक्टिंग एलिमेंट्स जैसे खनिजों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए कुछ पारंपरिक खनिजों के खनन और उनके परिणामों का नए दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जा रहा है। उन्होंने आज के पुरस्कारों में सतत खनिज विकास के क्षेत्र में योगदान को स्वीकार करने के लिए खान मंत्रालय की सराहना की। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सतत खनिज विकास के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय तीनों आयामों पर समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है।