भारत की राष्ट्रपति ने महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव-ज्ञान ज्योति पर्व स्मरणोत्सव समारोह की शोभा बढ़ाई
राष्ट्रपति भवन : 12.02.2024
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 12 फरवरी, 2024 को टंकारा, गुजरात में महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव के अवसर पर 200वें जन्मोत्सव - ज्ञान ज्योति पर्व स्मरणोत्सव समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी भारत-भूमि धन्य रही है जिसने महर्षि दयानन्द सरस्वती जैसी अद्भुत विभूतियों को जन्म दिया है। स्वामी जी ने समाज सुधार का बीड़ा उठाया और सत्य को सिद्ध करने के लिए 'सत्यार्थ प्रकाश' नामक अमर ग्रन्थ की रचना की। उनके आदर्शों का लोकमान्य तिलक, लाला हंसराज, स्वामी श्रद्धानंद और लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों पर गहरा प्रभाव पड़ा। स्वामीजी और उनके असाधारण अनुयायियों ने भारत के लोगों में नई चेतना और आत्मविश्वास का संचार किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने 19वीं सदी के भारतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने समाज को आधुनिकता और सामाजिक न्याय का रास्ता दिखाया। उन्होंने बाल विवाह और बहुविवाह का कड़ा विरोध किया। उन्होंने विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया। वे नारी शिक्षा एवं नारी-स्वाभिमान के प्रबल पक्षधर थे। उनके द्वारा फैलाए गए प्रकाश से रूढ़ियों और अज्ञान का अंधेरा दूर हुआ। वह प्रकाश तब से लेकर आज तक हमारा मार्गदर्शन करता रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आर्य समाज द्वारा कन्या पाठशालाओं और छात्राओं के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना के द्वारा महिला सशक्तीकरण को अमूल्य योगदान दिया गया है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्वामीजी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में दो वर्षों के दौरान, आर्य समाज ने पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव, प्राकृतिक कृषि और नशामुक्ति से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं जो एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि अगले वर्ष आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो जाएंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आर्य समाज से जुड़े सभी लोग पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाने की स्वामी जी की सोच को कार्यरूप देने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।