भारत की राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर के निकट हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के डिवाइन रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय अभियान 'लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबिलिटी' का शुभारंभ किया।

राष्ट्रपति भवन : 08.07.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 8 जुलाई, 2024 को ओडिशा के भुवनेश्वर के पास हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के डिवाइन रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया। उन्होंने ब्रह्माकुमारी के एक राष्ट्रीय अभियान 'लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबिलिटी' का भी शुभारंभ किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति उपहारों से भरी है। जंगल, पहाड़, नदियाँ, झीलें, समुद्र, वर्षा, वायु - सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए आवश्यक हैं। लेकिन मनुष्य को यह स्मरण रखना चाहिए कि प्रकृति के उपहार हमारी जरूरतों के लिए है, लालच पूरा करने के लिए नहीं हैं। मनुष्य अपनी भोग-विलास के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और परिणामस्वरूप प्रकृति के प्रकोप का शिकार बन रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर और प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना आज के समय की मांग है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर जोर दिया है। हमारे दर्शन में पृथ्वी को माता और आकाश को पिता कहा गया है। नदी को माँ की उपाधि भी दी गई है। जल को जीवन कहा जाता है। हम वर्षा को भगवान इंद्र के रूप में और समुद्र को भगवान वरुण के रूप में पूजते हैं। हमारी कहानियों में सुनाया जाता है पहाड़ और वृक्ष चलते-फिरते हैं और जानवर एक-दूसरे से बात भी करते हैं। इसका मतलब यह है कि प्रकृति जड़ नहीं है, उसके भीतर चेतना की शक्ति भी है। यह सब प्रकृति के संरक्षण के लिए भारतीय दार्शनिकों के सुन्दर विचार हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की अनिश्चितता जैसी बड़ी चुनौतियां का सामना कर रही है। बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप, जंगल की आग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ अब बार-बार आती हैं। और ये घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव समाज में बड़े परिवर्तन लाते हैं। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा ताकि प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित हो। अक्सर नल खुले रहने के कारण पीने का पानी बर्बाद होता है। दिन में भी लाइटें जलती रहती हैं। इसी तरह घर हो या ऑफिस हम जरूरत नहीं होने पर पंखे या लाइट बंद करने पर ध्यान नहीं देते। हमारी प्लेटों में खाना छोड़ने की आदत आज भी बनी रहती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल प्रकृति-अनुकूल जीवनशैली पर चर्चा करना पर्याप्त नहीं है, हमें इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने सभी से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आदत डालने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अभियान 'लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबिलिटी' से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगों को प्रकृति से जोड़ने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि यह अभियान बैठकों, समितियों या सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अभियान से जुड़े सभी लोगों से देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर लोगों, विशेषकर ग्रामीण लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।

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