भारत की राष्ट्रपति ने भोपाल में 'उन्मेष' और 'उत्कर्ष' उत्सवों का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 03.08.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 3 अगस्त, 2023 को भोपाल, मध्य प्रदेश में 'उन्मेष; - अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव और 'उत्कर्ष' - लोक और जनजातीय प्रदर्शन कला महोत्सव का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य लोगों से जुड़ता है और लोगों को एक-दूसरे से भी जोड़ता है। उन्होंने कहा कि वही साहित्य और कलाएं सार्थक हैं जो 'मैं' और 'मेरा' से ऊपर उठकर रची और प्रस्तुत की गई हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं की प्रमुख पुस्तकों का अन्य भाषाओं में अनुवाद होने से भारतीय साहित्य और अधिक समृद्ध हो सकेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य ने मानवता को आईना भी दिखाया है, उसे बचाया भी है और आगे भी बढ़ाया है। साहित्य और कला ने संवेदनशीलता और करुणा को, यानी मनुष्य की मनुष्यता को बचाए रखा है। मानवीयता के संरक्षण के इस परम पुण्य अभियान में प्रतिभागी होने के नाते साहित्यकार और कलाकार सम्मान के अधिकारी हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य ने हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों को शक्ति प्रदान की। देश के कोने-कोने में अनेक रचनाकारों ने स्वाधीनता और पुनर्जागरण के आदर्शों को अभिव्यक्ति प्रदान की। भारतीय पुनर्जागरण और स्वाधीनता संग्राम के काल में लिखे गए उपन्यास, कहानियाँ, कविताएँ और नाटक आज भी लोकप्रिय हैं और इनका हमारे मन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कई चुनौतियों का सामना कर रहे विश्व में, हमें विभिन्न संस्कृतियों और मान्यताओं के लोगों के बीच बेहतर समझ बनाने के लिए प्रभावी तरीके खोजने होंगे। इस प्रयास में कहानीकारों और कवियों की केंद्रीय भूमिका है क्योंकि साहित्य में हमारे अनुभवों को जोड़ देने और मतभेदों को पार करने की अद्वितीय क्षमता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी साझी नियति को सामने लाने और अपने वैश्विक समुदाय को मजबूत करने के लिए साहित्य की क्षमता का उपयोग करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए जनजातीय भाई-बहनों की समुन्नति आवश्यक है। जनजातीय युवा भी अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं। हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि वे अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखते हुए विकास में भागीदार बनें।