भारत की राष्ट्रपति ने आदि महोत्सव का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 10.02.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 10 फरवरी, 2024 को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में आदि महोत्सव 2024 का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से परिपूर्ण है। लेकिन इस ‘विविधता में एकता’ का भाव सदैव विद्यमान रहा है। इसका कारण है हमारी एक-दूसरे की परंपरा, वेश-भूषा, खान-पान तथा भाषा को जानने, समझने और अपनाने का उत्साह। एक- दूसरे के प्रति यही सम्मान का भाव हमारी एकता के मूल में है। आदि महोत्सव में विभिन्न राज्यों की जनजातीय संस्कृति और विरासत का अनूठा संगम देखकर उन्होंने प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि यह देश के कोने-कोने के जनजातीय भाई-बहनों की जीवनशैली, संगीत, कला और खानपान से परिचित होने का अच्छा अवसर है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस महोत्सव के दौरान लोगों को जनजातीय समाज के जीवन के अनेक पहलुओं को जानने और समझने का मौका मिलेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिकता की अंधी दौड़ ने धरती मां और प्रकृति का बहुत अधिक नुकसान किया है। अंधाधुंध विकास की होड़ में एक ऐसा वातावरण बना दिया गया जिसमें यह सोच उत्पन्न हुई कि बिना प्रकृति को क्षति पहुंचाए प्रगति संभव ही नहीं है। जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। पूरी दुनिया में जनजातीय समुदाय सदियों से प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में रह रहे हैं। हमारे जनजाति भाई-बहन, अपने जीवन के हर पहलू में आस-पास के परिवेश, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का ध्यान रखते रहे हैं। हमें उनकी जीवन- शैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। आज जब पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या के निदान का प्रयास कर रहा है तब जनजातीय समुदाय की जीवन-शैली और भी अनुकरणीय हो जाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक युग की एक महत्वपूर्ण देन-प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन को  सुगम बनाया है। हमारा जनजातीय समुदाय आधुनिक विकास के लाभों से वंचित रहे, यह उचित नहीं है। देश के समग्र विकास में उनके योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और भविष्य में भी रहेगी। हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग सतत विकास के लिए हो और समाज के सभी लोगों, विशेषकर वंचित वर्गों का सर्वांगीण विकास हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में पारंपरिक ज्ञान का अनमोल भंडार है। यह ज्ञान दशकों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में परंपरागत तरीके से आगे बढ़ता रहा है। लेकिन अब कई परंपरागत कौशल समाप्त हो रहे हैं। इस ज्ञान परंपरा के विलुप्त होने का खतरा है। जिस तरह अनेक वनस्पतियां और जीव-जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं, वैसे ही पारंपरिक ज्ञान भी हमारी सामूहिक स्मृति से मिटते जा रहे हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम इस अमूल्य निधि को संचित करें, और आज की आवश्यकता के अनुसार इसका समुचित प्रयोग भी करें। इस प्रयास में भी प्रौद्योगिकी का अहम योगदान हो सकता है।

राष्ट्रपति ने अनुसूचित जनजातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड (वीसीएफ-एसटी) शुरू करने की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि इससे अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों में उद्यमिता और स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने जनजातीय समुदाय के युवाओं से आग्रह किया कि वे इस योजना का लाभ लेकर नए उद्यम स्थापित करें तथा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।

भारत की जनजातीय विरासत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में ट्राइफेड द्वारा “आदि महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष यह महोत्सव 10 से 18 फरवरी, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है।

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