भारत की राष्ट्रपति मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपन और प्रधानमंत्री जगनाथ से मुलाकात की
राष्ट्रपति भवन : 11.03.2024
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मॉरीशस की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर कल 11 मार्च, 2024 को मॉरीशस पहुँचीं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री, श्री प्रविंद कुमार जगनाथ अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और मॉरीशस के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों के साथ, पूरे राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रपति के आगमन पर उनके विशेष रूप से स्वागत के लिए सर शिवसागर रामगुलाम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।
दिन की अपनी पहली बैठक में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने स्टेट हाउस, ली-रेडुइट में मॉरीशस के राष्ट्रपति श्री पृथ्वीराजसिंह रूपन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने विशेष और बहुआयामी भारत-मॉरीशस संबंधों को और मजबूत करने के बारे में चर्चा की। राष्ट्रपति मुर्मु ने पिछले साल स्टेट हाउस के मैदान में लगाए गए आयुर्वेदिक उद्यान का भी दौरा किया।
बाद में, राष्ट्रपति ने सर शिवसागर रामगुलाम बॉटनिकल गार्डन, पाम्पलेमुसस का दौरा किया और सर शिवसागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जगनाथ की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
शाम को, प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगनाथ ने राष्ट्रपति का स्वागत किया और उनके सम्मान में भोज का आयोजन किया।
अपने भोज भाषण में, राष्ट्रपति ने कहा कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 56 वर्षों की छोटी-सी अवधि में, मॉरीशस एक अग्रणी लोकतंत्र, बहुलवाद का प्रतीक, एक समृद्ध देश, एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र, संपन्न पर्यटन स्थल, और सबसे महत्वपूर्ण बात - दुनिया के सबसे सुरक्षित और शांतिपूर्ण देशों में से एक, के रूप में उभरा है। उन्होंने दूरदर्शी मॉरीशस राष्ट्र-निर्माताओं की सराहना की जिन्होंने वहाँ की अर्थव्यवस्था को "मॉरीशस का चमत्कार" बना दिया जो न केवल अफ्रीका बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों को मॉरीशस में अपने भाइयों और बहनों की सफलता पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में तीव्र गति से प्रगति इसलिए संभव हो पाई है क्योंकि हमारी दोनों सरकारें एक-दूसरे को प्राथमिकता देती हैं और इस रिश्ते को गहरा करती रही हैं।
उन्होंने मॉरीशस के लिए एक नए विशेष प्रावधान की भी घोषणा की जिसके तहत भारतीय मूल की 7वीं पीढ़ी के मॉरीशसवासी अब प्रवासी भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होंगे – इससे युवा मॉरीशसवासी अपने पूर्वजों की भूमि से पुनः जुड़ पाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, मॉरीशस जैसा करीबी साझेदार हमारे साथ रहेगा। भारत "वसुधैव कुटुंबकम" और "सर्वजन सुखिन भवन्तु" के अपने मूल मूल्यों का पालन करते हुए वैश्विक शांति और समृद्धि का स्रोत बना रहेगा।