भारत की राष्ट्रपति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 07.03.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 7 मार्च, 2024 को नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रति गौरव की भावना हमारी राष्ट्रीय चेतना का आधार है। हमारे देश की समृद्ध संस्कृति का बोध होने पर, सहज ही, गौरव का भाव जागता है। हमारी संस्कृति की विरासत, संस्कृत भाषा में संचित है, संरक्षित है। इसलिए, संस्कृत भाषा में उपलब्ध सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना राष्ट्र सेवा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत भाषा ने हमारे विशाल भूखंड की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोया है। संस्कृत के शब्द भंडार से अनेक भारतीय भाषाओं को शक्ति मिली है और वे भाषाएं विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों में फलती-फूलती आगे बढ़ रही हैं।  संस्कृत भाषा देववाणी तो है ही, यह एक प्रकार से देशवाणी भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जिस भाषा में गार्गी, मैत्रेयी, अपाला और लोपामुद्रा जैसी महिला विभूतियों ने ज्ञान का अमर अवदान दिया हो उसके अध्ययन-अध्यापन में महिलाओं की भागीदारी अधिक से अधिक होनी ही चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज के दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या लगभग समान है। उन्होंने महिला सशक्तीकरण के प्रयासों के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिकता और नैतिकता से जुड़े विषयों पर अनगिनत उत्कृष्ट रचनाएं संस्कृत भाषा में उपलब्ध हैं। प्राचीन काल में आचार्यों द्वारा लोगों को दिए गए उपदेश आज भी प्रासंगिक है और हमेशा उपयोगी रहेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि सत्य बोलना, नैतिकतापूर्ण आचरण करना, स्वाध्याय में प्रमाद न करना, कर्तव्य से विमुख न होना तथा मंगलकारी कार्यों के प्रति सचेत रहना उनका संकल्प होना चाहिए। ऐसा करके वे अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकेंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में सफल होंगे।

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