भारत की राष्ट्रपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 08.11.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 8 नवंबर, 2023 को श्रीनगर (गढ़वाल) में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना में जन आंदोलन ने प्रमुख भूमिका थी। उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में शिक्षा के लिए चलाया गया आंदोलन इस क्षेत्र में विकसित जनचेतना का प्रतीक है।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 1973 में अपनी स्थापना से हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय ने समय के साथ अपने-आप को ढ़ाला है। उन्होंने कहा कि आज जब हम महिला नेतृत्व वाले विकास की दिशा में बढ़ रहे हैं तब 11वें दीक्षांत समारोह की विषय-वस्तु 'सशक्त महिला, समृद्ध राष्ट्र' इस विश्वविद्यालय की प्रगतिशील सोच को परिलक्षित करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने शिक्षा को सदैव महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति लोगों का लगाव राज्य की साक्षरता दर में भी परिलक्षित होता है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र ने हिंदी साहित्य को सुमित्रानंदन पंत से लेकर मनोहर श्याम जोशी, शिवानी, हिमांशु जोशी और मंगलेश डबराल तक कई महान प्रतिभाएं दी हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड पर्यावरण की दृष्टि से अति-संवेदनशील राज्य है। उन्होंने कहा कि सतत विकास और संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए अनुसंधान और नवाचारों की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं और बाध्यताओं को ध्यान में रखते हुए कैसे आर्थिक विकास किया जाए और रोजगार के अवसर पैदा किए जाएँ, यह आपके सामने चुनौती भी है और अवसर भी। उन्होंने कहा कि इस राज्य का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के कारण हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस विश्वविद्यालय के सभी हितधारकों को ज्ञान का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए करना चाहिए।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय इस वर्ष 1 दिसंबर को अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्वर्णिम यात्रा गर्व करने का अवसर है, लेकिन सभी हितधारकों के लिए भविष्य की योजनाएं तैयार करने और उन्हें सफल बनाने का संकल्प लेने का भी यह अवसर है।
राष्ट्रपति ने स्नातक छात्रों को अपनी जड़ों को न भूलने की सलाह दी; सच्चाई, ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे अपने नैतिक मूल्यों से कभी समझौता न करें; और उन लोगों की भरसक मदद करें जो विकास यात्रा में पीछे छूट गए हैं।