भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी आदिवासी महिलाओं के सम्मेलन में सम्बोधन

बेणेश्वर धाम : 14.02.2024

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी आदिवासी महिलाओं के सम्मेलन में सम्बोधन

जनजातीय महिलाओं के सशक्तीकरण के इस महत्वपूर्ण आयोजन में आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। माही, सोम, और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित बेणेश्वर धाम की यह भूमि बहुत ही पवित्र मानी जाती है। राजस्थान वीरों की भूमि है। यह इंद्रधनुषी संस्कृति की भूमि है। ‘पधारो म्हारे देस’की अतिथि सत्कार की भावना यहां की पहचान है। 

जब राजस्थान की वीरता की बात होती है तो यहां के आदिवासी समाज के भाई-बहनों का गौरवशाली इतिहास हमेशा याद किया जाता है। महाराणा प्रताप की सेना में आदिवासी वीरों की संख्या बहुत बड़ी थी। उन वीरों ने राणा का हरदम साथ दिया। आदिवासी माताएं और बहनें अपने पतियों और बेटों को मातृभूमि की सेवा में मर-मिटने के लिए खुशी-खुशी विदा करती थीं। मैं उन सभी ऐतिहासिक वीर-माताओं और बहनों को सादर नमन करती हूं। आधुनिक युग में भी हमारे देश की आदिवासी बहनें परिश्रम और प्रगति के अच्छे उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। 

पिछले साल दिसंबर में मैं जैसलमेर आयी थी जहां मैंने लखपति दीदी सम्मेलन को सम्बोधित किया था। वहां मैंने देखा कि कैसे स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने के बाद महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है। यह परिवर्तन देशभर में हो रहा है। मैंने अनेक राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए, उनसे बात-चीत करते हुए, वहां की महिलाओं के आत्म-विश्वास को महसूस किया है।

प्राय: गरीब व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं को क्रेडिट या लोन मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह खुशी की बात है कि महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर राजस्थान सरकार इस समस्या का समाधान निकाल रही है। स्वयं सहायता समूह न केवल Working Capital प्रदान करने का काम कर रहे हैं बल्कि Human Capital और Social Capital बनाने में भी सराहनीय काम करते हैं। 

मुझे बताया गया है कि महिलाओं के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान सरकार निशुल्क सेनेटरी पैड का वितरण कर रही है। इस विवेकशील, प्रगतिशील एवं संवेदनशील कदम के लिए मैं राज्य सरकार की सराहना करती हूँ। 

देवियो और सज्जनो, 

भारत ने आत्म-निर्भर बनने का संकल्प किया है। भारत आत्मनिर्भर तभी हो सकता है जब भारत की हर इकाई स्वावलम्बी हो। स्वावलंबन को प्रोत्साहन देने के लिए मैं सभी स्वयं सहायता समूहों और उससे जुड़े हर व्यक्ति की सराहना करती हूं। 

भारत सरकार ने लखपति दीदी कार्यक्रम की सफलता से प्रभावित होकर लखपति दीदी के लक्ष्य को 2 करोड़ से बढाकर 3 करोड़ करने का निश्चय किया है। मुझे खुशी है कि यह योजना सफलतापूर्वक अपने लक्ष्यों के अनुरूप कार्य कर रही है। 

देवियो और सज्जनो, 

राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय के हित में अनेक विशेष प्रावधान हमारे संविधान में शामिल किए गए हैं। जनजातीय समाज को अवसर की समानता मिले, इसकी व्यवस्था भी संविधान तथा अन्य अधिनियमों एवं संस्थानों द्वारा सुनिश्चित की जाती है। अनुसूचित जनजातियों के लोग स्वयं अपनी स्थानीय शासन व्यवस्था चला सकें, इसके लिए संविधान की 5वीं अनुसूची में विशेष व्यवस्था की गई है। इस अनुसूची में दी गई व्यवस्था 10 राज्यों में लागू है। इन राज्यों में राजस्थान भी शामिल है। जनजातीय समुदायों ने स्व-शासन के अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। 

समाज के अन्य वर्गों के लोग जनजातीय समुदाय से बहुत कुछ सीख सकते हैं। आज मानव-समाज अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। Global warming की समस्या हो या climate change की, या फिर मूल्यों के पतन की, आज हमें इन सब समस्याओं के समाधान खोजने हैं। तभी हम यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि आने वाली पीढ़ियां एक बेहतर जीवन जी सकें। इस संदर्भ में जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्य अनुकरणीय हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए कि कैसे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर खुशहाल रहना संभव है। हमें सीखना होगा कि कैसे कम से कम साधनों से, बिना प्रकृति को हानि पहुंचाए भी, जीवन जीना संभव है। 

जनजातीय समुदाय के लोग, स्वभाव से ही समानता और लोकतन्त्र के मूल्यों को मानते रहे हैं। महिला सशक्तीकरण समानता के मूल्यों का ही एक विशेष रूप है। 

देवियो और सज्जनो, 

हमारे Tribal समाज में भी एक वर्ग ऐसा है जो अत्यंत पिछड़ा हुआ है और जिसकी क्षमताओं और प्रतिभाओं का समुचित उपयोग नहीं हुआ है। इन विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास के लिए ‘प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान’ (पीएम – जनमन) की शुरुआत की गयी है। हमें यह देखना होगा कि हमारे विकास की यात्रा में कोई भी पीछे न छूटे। 

प्रधान मंत्री वन धन योजना के माध्यम से जनजातीय भाई-बहनों का आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। इस योजना के माध्यम सेआजीविका सृजन के माध्यमों की पहचान करके उद्यमियता को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

National Scheduled Tribes Finance and Development Corporation एक Micro Credit Scheme संचालित कर रही है जिससे स्वयं सहायता समूहों के आदिवासी सदस्यों को ऋण दिया जाता है। इसी  प्रकार अनुसूचित जनजातीय बहनों को कम दरों पर ऋण देने के लिए  “आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना” चलायी जा रही है। 

देवियो और सज्जनो, 

बिजली, पानी और सड़क का मजबूत infrastructure, आर्थिक एवं सामाजिक  विकास का आधार है। आज आदिवासी बहुल क्षेत्रों में infrastructure बनाने और बढ़ाने पर सरकार द्वारा तेजी से काम किया जा रहा है। हमारे  आदिवासी भाई-बहन technology का भी लाभ उठा सकें इसके लिए दूर के  इलाकों में digital infrastructure भी बढ़ाया जा रहा है। 

देवियो और सज्जनो, 

पूरे समाज को प्रयास करना है कि महिलाएं आर्थिक विकास को गति प्रदान  करें तथा women-led development की सोच को कार्यरूप दें। महिलाओं  में शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा करने से महिलाएं  देश और विश्व की प्रगति में बराबर की साझीदार बन सकेंगी। 

आज हमारे बीच उपस्थित जनजातीय बहनें और बेटियाँ भारत की विकास यात्रा में सराहनीय योगदान दे रही हैं। मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी  आप भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाती रहेंगी।  आपकी सफलता के बल पर ही, समस्त भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा।  आप सभी बेटियों और बहनों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद!  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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