भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार वितरण समारोह में सम्बोधन
नई दिल्ली : 11.12.2024
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आज ग्राम सशक्तीकरण के इस समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मैं ‘पंचायत पुरस्कारों’ के सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं। ओडिशा और त्रिपुरा को सर्वाधिक सात-सात पुरस्कार प्राप्त करने के लिए विशेष बधाई। आप सब के समर्पण और प्रयासों के बल पर आपकी पंचायतों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। मुझे विश्वास है कि यह सम्मान आपको और भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। साथ ही आपके उल्लेखनीय कार्यों से प्रेरणा लेकर अन्य ग्राम पंचायतें भी ग्राम विकास की दिशा में सार्थक प्रयास करेंगी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘ग्राम-स्वराज’ का सपना देखा था। उनके सपनों का आदर्श गांव एक स्वतंत्र इकाई या एक पूर्ण गणराज्य था। उनके आदर्श गांव में राजस्व सृजन, स्वच्छता, ग्रामीण उद्योग, महिलाओं की उच्च स्थिति जैसे घटक शामिल थे। भारत के संविधान में भी ग्राम पंचायतों को ऐसी शक्तियां प्रदान करने का निर्देश दिया गया है जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में सक्षम बनाएं।
हमारे देश की लगभग चौसठ प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। इसलिए गांवों और ग्रामवासियों का विकास और सशक्तीकरण भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अहम है। पंचायतों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए विगत एक दशक में सरकार ने उनके सशक्तीकरण के लिए गंभीर प्रयास किए हैं जिनका उद्देश्य ठोस परिणाम प्राप्त करना है।
‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ ग्रामीण स्थानीय निकायों को शासन संबंधी क्षमता विकसित करने में मदद कर रहा है। इससे उन्हें सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। पंचायती राज संस्थाओं में ई-शासन को मजबूत करने के लिए एक वेब आधारित पोर्टल, ‘ई ग्राम स्वराज’ शुरू किया है। ‘मेरी पंचायत’ मोबाइल एप भी एक सराहनीय पहल है जो किसान भाई- बहनों को मौसम पूर्वानुमान की जानकारी सहित, पंचायत से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं आसानी से उपलब्ध करा रही है। मुझे बताया गया है कि पंचायती राज मंत्रालय ने देश के उत्कृष्ट तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थानों के साथ मिलकर पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण प्रारंभ किया है। इससे जन-प्रतिनिधिगण लाभान्वित हो रहे हैं। ग्राम-पंचायतें न केवल स्थानीय स्व-शासन की इकाई के रूप में विकसित हुई हैं, बल्कि digital technology से युक्त होकर service provider की भूमिका भी निभा रही हैं।
देश के लगभग 90 प्रतिशत जनजाति भाई-बहन ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। जनजाति भाई-बहनों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए उनको विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए PESA अधिनियम बनाया गया है। मेरा मानना है कि इस अधिनियम को जमीनी स्तर पर लागू करने से जनजातीय समुदाय का और तेजी से विकास होगा।
देवियो और सज्जनो,
लोकतान्त्रिक व्यवस्था में चुनाव का बहुत महत्व होता है। यह प्रक्रिया जन- प्रतिनिधियों को लोगों के प्रति जिम्मेदार बनाती है। पंचायत के चुनाव समय पर हों, निष्पक्ष हो, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई बार चुनाव के दौरान और उसके बाद भी चुनावी हिंसा की खबरें आती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। चुनाव प्रक्रिया हमेशा सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न होनी चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि ग्रामवासी अपने ही बीच से, अपनी ही भलाई के लिए, अपने ही प्रतिनिधि चुन रहे हैं।
पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य जन-प्रतिनिधियों और अधिकारियों को जवाबदेह बनाना और प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाना है। इस प्रकार पंचायती राज की संस्थाओं का कार्य, व्यक्ति की गरिमा बढ़ाने का कार्य है। समाज उत्थान का कार्य है। राष्ट्र निर्माण का कार्य है।
देवियो और सज्जनो,
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अधिक संपन्न, समतावादी और संरक्षित विश्व की रचना के लिए वर्ष 2030 तक 17 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने का संकल्प लिया है जिसके प्रति भारत भी प्रतिबद्ध है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पंचायती राज मंत्रालय ने सभी सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीय स्तर पर 9 विषयों में समाहित किया है। आज के पुरस्कार भी इन्हीं विषयों के आधार पर दिये गए हैं। अभी हमने नौ ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामीण-विकास, जन-कल्याण और नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के प्रयासों पर आधारित एक लघु फिल्म देखी। साथ ही पुरस्कृत पंचायतों और संस्थानों के उत्कृष्ट प्रयासों के एक संकलन का विमोचन भी किया गया है। यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि पुरस्कृत पंचायतों ने रोजगार सृजन, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की बेहतरी तथा जल संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। पंचायतों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सौर और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने जैसे अनेक कदम उठाए हैं। ये सभी प्रयास सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए मैं सभी पुरस्कृत संस्थानों और पंचायती राज मंत्रालय की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से आज भारत विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र है। पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से महिलाओं का राजनैतिक सशक्तीकरण हुआ है। देश में लगभग 2 लाख 80 हजार ग्रामीण निकायों में लगभग 32 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, जिनमें 46 प्रतिशत महिलाएं हैं। मैंने देखा है कि आज राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार जीतने वाली कई पंचायतों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि महिला जन- प्रतिनिधि जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। मेरा सभी महिला जन-प्रतिनिधियों से निवेदन है कि वे पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन अपनी पूरी दक्षता से निर्भीक होकर करें। कुछ स्थानों पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पंचायतों के कार्य करने की प्रवृत्ति अभी भी दिखाई देती है। आप ऐसी प्रथा का उन्मूलन करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाएं और स्वयं को स्वतंत्र नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करें।
विकसित भारत की नींव आत्म-निर्भर और सक्षम स्थानीय निकायों के आधार पर ही रखी जा सकती है। उनकी भूमिका और दायित्व विकसित भारत के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण है। पंचायतों को अपने राजस्व के स्रोत विकसित कर के आत्म-निर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए। यह आत्म- निर्भरता ग्राम सभाओं को आत्मबल और देश को संबल प्रदान करेगी। मतदाता अपने जन-प्रतिनिधियों को बहुत ही भरोसे के साथ चुनते हैं। इसलिए जन-प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे इस विश्वास को अपने व्यवहार और कार्यों से बनाए रखें।
अंत में, देश भर के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों से मैं कहना चाहूंगी कि गांवों में अधिकांश विवाद ऐसे होते हैं जो स्थानीय स्तर पर सुलझाए जा सकते हैं। लेकिन फिर भी लोग कोर्ट-कचहरी में जाते हैं। इससे न केवल उनका धन और समय नष्ट होता है बल्कि कोर्ट और प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है। मेरी आपसे अपेक्षा है कि आप ग्रामवासियों के आपसी झगड़ों का पंचायत के स्तर पर ही समाधान करें। आपके पास इसके लिए अधिकार भी है और यह आपका कर्तव्य भी है। मैं पंचायती राज व्यवस्था के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं क्योंकि वही देश के स्वर्णिम भविष्य का आधार है।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!