भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी समारोह में संबोधन

रांची : 20.09.2024

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी समारोह में संबोधन

आज इस संस्थान की शताब्दी के उत्सव से जुड़े समारोह में भाग लेकर, मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इस संस्थान के शतायु होने पर, मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूं।

मेरा झारखंड से विशेष लगाव है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखंड आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से मुझे बहुत स्नेह मिलता है। राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहां जनसेवा का कार्य किया है। मैं अपने राज्यपाल कार्यकाल के दौरान इस संस्थान में आई थी। वर्ष 2017 में मैंने इस संस्थान द्वारा आयोजित ‘किसान मेला’ का उद्घाटन किया था। उस समय मैंने लाख उत्पादन में अच्छा कार्य कर रहे किसानों को सम्मानित किया था। उससे पहले भी मैं इस संस्थान की laboratories, research farm, और Museum में आयी थी। पिछले 100 वर्षों से इस संस्थान ने Lac, Resin, एवं Gum के वैज्ञानिक उत्पादन में सराहनीय कार्य किया है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के कई राज्यों में Lac Farming की जाती है। भारत के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक लाख उत्पादन झारखंड में होता है। भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समाज द्वारा किया जाता है। यह जनजातीय समाज की आय का एक महत्वपूर्ण साधन है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान ने Lac, Natural Resins एवं gums के अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ इन उत्पादों के व्यावसायिक विकास के लिए कदम उठाए हैं। Small Scale Lac Processing Unit एवं Integrated Lac Processing Unit का विकास; लाख आधारित प्राकृतिक पेंट, वार्निश और कॉस्मेटिक उत्पादों का विकास; फलों, सब्जियों और मसालों की shelf–life बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का विकास; ये सभी प्रयास व्यावसायिक विकास के अच्छे उदाहरण हैं। ये सभी कदम जनजातीय भाइयों और बहनों के जीवन-स्तर को सुधारने और उनके समावेशी विकास में मदद करेंगे।

मुझे बताया गया है कि इस संस्थान द्वारा लोगों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। किसानों और उद्यमियों की विशिष्ट समस्याओं के समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि हाल ही में यहां Processing and Food Engineering तथा Agricultural Chemical के Post-Graduate स्तर के courses शुरू किए गए हैं। मैं आशा करती हूं कि ये पाठ्यक्रम कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के उत्कृष्ट विशेषज्ञों का निर्माण करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

आज का दौर disruptive technologies का है। हमें इन तकनीकों का लाभ उठाना है। साथ ही इनके दुष्प्रभावों से भी बचना है। यह खुशी की बात है कि इस संस्थान में Automation and Plant Engineering Division की स्थापना की गई है। यह Division, robotics, internet of things, artificial intelligence enabled equipment के विकास पर केंद्रित है। इस division की स्थापना आपकी दूरदर्शी सोच का प्रमाण है।

अभी भी ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें हम और आगे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए pharmaceuticals और cosmetics Industries में उच्च स्तर के लाख की मांग है। यदि भारतीय लाख की गुणवत्ता, supply chain और marketing में सुधार किया जाए तो, हमारे किसान देश-विदेश में इसकी आपूर्ति कर पाएंगे और उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा।

देवियो और सज्जनो,

आज हमारे किसान भाई- बहन बड़ी संख्या में यहां पर उपस्थित हैं। अनेक किसान इस कार्यक्रम के साथ online भी जुड़े हैं। हम सब जानते हैं कि हमारे देश में बहुत बड़ी जनसंख्या की आजीविका कृषि आधारित है। सरकार द्वारा कृषि सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं। गांवों में कृषि आधारित उद्योगों का विस्तार किया जा रहा है। किसान उत्पाद संघ-FPO और PACS जैसे सहकारी संगठनों का प्रसार किया जा रहा है। सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम शुरू किया है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मांग को ध्यान में रखते हुए, सरकार प्राकृतिक खेती और इससे जुड़े उत्पादों की supply chain को सशक्त कर रही है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को अपने छोटे खर्चे पूरे करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। पीएम किसान समृद्धि केन्द्रों के माध्यम से किसानों की विभिन्न जरूरतों को एक ही जगह पूरा किया जा रहा है।

लेकिन अभी भी बहुत सी समस्याएं बनी हुई हैं। बहुत से किसान भाई-बहन गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं। कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के साथ-साथ, 21वीं सदी में कृषि के समक्ष तीन अन्य बड़ी चुनौतियां हैं - खाद्य और पोषण सुरक्षा को बनाए रखना, संसाधनों का Sustainable use, तथा जलवायु परिवर्तन। Secondary Agriculture से जुड़ी गतिविधियां इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती हैं।

Secondary Agriculture के अंतर्गत प्राथमिक कृषि उत्पाद के value addition के साथ ही मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियां भी आती हैं। Secondary Agriculture के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है। यदि रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध होंगे तो लोग आर्थिक कारणों से गांव नहीं छोड़ेंगे। Secondary Agriculture किसानों की आय बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

Secondary Agriculture गतिविधियों के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों यानि waste-material का भी सही प्रयोग किया जा सकता है। उनको प्रसंस्कृत करके उपयोगी तथा मूल्यवान वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा। साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी। Secondary Agriculture, waste to wealth का एक अच्छा उदाहरण है।

दो वर्ष पहले, सितंबर 2022 में, इस संस्थान के कार्य क्षेत्र में विस्तार किया गया है। इसका नाम Indian Institute of Natural Resins and Gums से बदलकर National Institute of Secondary Agriculture कर दिया गया है। Secondary Agriculture को बढ़ावा देने की दिशा में यह दूरगामी कदम है। इस संस्थान ने lac, natural resins एवं gums के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है। मैं आशा करती हूं कि Secondary Agriculture से संबंधित अन्य गतिविधियों में भी यह संस्थान अग्रणी भूमिका निभाएगा तथा भारत ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित करेगा। Secondary Agriculture के विकास के लिए इस संस्थान को अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए। आपके अनुभव का लाभ अन्य संस्थानों को मिलना चाहिए।

इस संस्थान ने Lac Farming से जुड़े परिवारों के प्रशिक्षण के लिए अच्छे कार्य किए हैं। अब आपको अपने व्यापक कार्य-क्षेत्र के अनुसार secondary agriculture में भी अधिक से अधिक लोगों को बेहतर प्रशिक्षण देना है। मैं सभी किसान भाइयों और बहनों, संस्थान से जुड़े सभी लोगों तथा यहां उपस्थित अन्य सभी लोगों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद,जय हिन्द!जय भारत!

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