भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राज्यपाल सम्मलेन के समापन सत्र में उद्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 03.08.2024
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आप सब की भागीदारी से इस सम्मेलन में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। उप-राष्ट्रपति जी, प्रधान मंत्री जी एवं गृह मंत्री जी ने अपने विचारों से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला है। इसके लिए मैं उन्हें विशेष रूप से धन्यवाद देती हूं।
इस सम्मेलन में राज्यपालों के छ: समूहों ने, अलग-अलग बैठकों में, महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक विश्लेषण एवं समीक्षा की है। मैं सभी समूहों के सारगर्भित विचारों और अच्छे सुझावों के लिए आप सब की सराहना करती हूं। मैं आशा करती हूं कि इन निष्कर्षों को कार्यरूप दिया जाएगा।
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लागू की गई दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता की स्थापना एक न्याय-संगत एवं इतिहास-सम्मत पहल है। राज्यपालों ने सुझाव दिया है कि इन कानूनों के बारे में लोगों के बीच सरल भाषा में जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। मैं आशा करती हूं कि राज्यपाल-गण द्वारा दिए गए सुझाव इस न्याय व्यवस्था को सुचारु रूप से क्रियान्वित करने में सहायक होंगे।
सरकार द्वारा देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। राज्य स्तर पर किए गए विभिन्न प्रयासों के परिणामों के आधार पर राज्यों की ranking नीति आयोग द्वारा की जाती है। मैं चाहूंगी कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ इन सभी rankings में, विभिन्न आयामों पर, सभी राज्य अपना बेहतर प्रदर्शन करें। राज्यों के समग्र और त्वरित विकास में ही देश का विकास निहित है। सभी राज्यों को एक दूसरे की best practices एवं अनुभवों से सीखते हुए आगे बढ़ना है। राज्यपाल, राज्य सरकारों के अंतर्गत आने वाले अधिकांश विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। देश में विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकांश युवा राज्य स्तर के विश्वविद्यालयों में ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि अधिकांश युवा विद्यार्थियों के भविष्य को सुधारने में आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है। इस भूमिका को अच्छी तरह निभाने के लिए आप सब, कुलपतियों से विचार-विमर्श करके उच्च-शिक्षण संस्थानों में सुधार ला सकते हैं।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में युवाओं की नशा-मुक्ति के लिए जन-जागरूकता बढ़ाने का सुझाव दिया गया। यह समस्या युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है। इस संदर्भ में आप सब, अभिभावक के रूप में युवा पीढ़ी का मार्ग-निर्देशन कर सकते हैं।
जन-कल्याण के कार्यक्रमों से कोई भी व्यक्ति वंचित न रह जाए, इसके लिए सरकार ने last mile delivery पर बहुत ज़ोर दिया है। इससे आम नागरिकों का जीवन बेहतर हुआ है। Aspirational Districts Programme, Aspirational Blocks Programme तथा Vibrant Villages Programme, जैसे कार्यक्रम, विकास क्रम में अपेक्षाकृत पीछे रह गए इलाकों का विकास करने के लिए शुरू किए गए हैं। इस सम्मेलन के आरंभिक सत्र में प्रधान मंत्री जी ने इन क्षेत्रों में राज्यपाल-गण द्वारा समय बिताने के महत्व पर प्रकाश डाला था। आप सभी का प्रयास होना चाहिए कि जन-कल्याण के सभी कार्यक्रमों का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को सही अर्थों में प्राप्त किया जा सके।
सार्थक और समग्र सामाजिक समावेश के लिए महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देकर महिला सशक्तीकरण को बल दिया जा सकता है। साथ ही, महिलाओं के start-ups को बढ़ावा देकर Women Led Development का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। मेरा अनुरोध है कि आप सब समय-समय पर ऐसी सक्रिय महिलाओं और महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रहे संस्थानों के प्रतिनिधियों से मिलें और उनका मार्गदर्शन करें।
देश के विकास की प्रक्रिया में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी को और बढ़ावा देकर आप सब समावेशी विकास के राष्ट्रीय संकल्प को सिद्ध करने में अपना योगदान दे सकते हैं। इस संदर्भ में संविधान द्वारा राज्यपालों को विशेष उत्तरदायित्व दिये गए हैं। उदाहरण के लिए पांचवी अनुसूची में यह प्रावधान है कि राज्यपाल किसी राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में शांति और सुशासन के लिए विशेष नियम बना सकते हैं। मुझे विश्वास है कि राज्यपाल-गण अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों से जुड़े अपने संवैधानिक कर्तव्यों का समुचित निर्वहन करेंगे। जनजातीय समुदायों के कल्याण हेतु जो संसाधन नियत किए जाते हैं उनका समुचित उपयोग हो, यह सुझाव राज्यपालों के समूह द्वारा दिया गया है। मैं आशा करती हूं कि आप सभी इस सुझाव को प्राथमिकता देंगे।
राज्यपालों के एक समूह ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान पर भी चर्चा की है। यह अभियान वन-आवरण में वृद्धि करते हुए जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान की दिशा में उपयोगी सिद्ध होगा। भारत सरकार Mission LiFE के माध्यम से पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवन शैली को प्रोत्साहित करने के लिए भी कार्य कर रही है। आप अपने राज्य के स्तर पर Mission LiFE और “एक पेड़ माँ के नाम” अभियानों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। Net-zero के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए राज्यपालों द्वारा Green Initiatives को अधिक से अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए।
इस वर्ष के बजट में देश के एक करोड़ किसानों को अगले दो वर्षों के दौरान प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। आप सभी सरकार की इस पहल के बारे में किसानों को जागरूक बना सकते हैं जिससे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले और किसान भी लाभान्वित हों। गुजरात में महिला किसानों को ‘प्राकृतिक कृषि सखी’ बनाने जैसी पहल को अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।
राज भवनों के परिवेश में भारतीयता झलकनी चाहिए। आप सबका प्रयास होना चाहिए कि जन-सामान्य का राज भवनों से जुड़ाव बढ़े। राज्य के निवासियों को लगना चाहिए कि राज-भवन जनता का भवन है और राज्यपाल जनता से जुड़ना चाहते हैं। मुझे बताया गया है कि कई राज भवनों में जन-सामान्य को भ्रमण करने की सुविधा प्रदान की गई है। अन्य राज भवन भी अपने दरवाजे जन-साधारण के लिए खोल सकते हैं। राज भवनों में सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करके जनता के जुड़ाव को बढ़ाया जा सकता है।
भारत सरकार के Digital Initiatives की पूरे विश्व में सराहना हो रही है। राज भवनों के काम-काज में पूरी तरह digital माध्यमों का उपयोग करने से एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत होगा। राज भवनों द्वारा समय-समय पर सेमिनार तथा गोष्ठियों के माध्यम से cyber security, data protection और technological innovation जैसे विषयों पर लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।
राज्य स्तर पर केंद्र सरकार की अनेक संस्थाएं कार्यरत हैं। प्रत्येक राज्य में ये सभी संस्थाएं सुचारु रूप से कार्य कर सकें यह जन-कल्याण और समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन संस्थाओं में बेहतर समन्वय बने, इस उद्देश्य के साथ इस सम्मेलन में विचार-विमर्श हुआ है। राज्यपाल, भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्य के बीच की कड़ी होते हैं। मैं आशा करती हूं कि राज्यपालों के समूह द्वारा दिये गए सुझाव के अनुसार केन्द्रीय संस्थानों के आपसी समन्वय एवं सहकारितापूर्ण संघवाद को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्यपाल के पद की विशिष्ट संवैधानिक गरिमा के कारण आप सभी पर देशवासियों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी भी है। यदि सभी राज्यपाल अपने स्तर पर, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तो उनके ऐसे योगदान उनकी पहचान भी बनेंगे तथा लोगों का मार्गदर्शन भी करेंगे।
मैं आप सब के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!