भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार वितरण के अवसर पर संबोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 23.01.2023

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इस समारोह में आप सभी प्रतिभाशाली बच्‍चों के बीच आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं सभी बच्चों को हार्दिक बधाई देती हूं। आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों को मैं विशेष बधाई देती हूं।

बच्चे हमारे देश की अमूल्य निधि हैं। बच्चों के भविष्‍य निर्माण के लिए किया गया हर प्रयास समाज और देश का भविष्य संवारेगा। हम सभी को बच्चों के सुरक्षित और खुशहाल बचपन तथा स्‍वर्णिम भविष्‍य के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। बच्‍चों को पुरस्‍कृत करके हम राष्‍ट्र निर्माण में उनके योगदान को प्रोत्‍साहित व सम्‍मानित कर रहे हैं।

आज के पुरस्‍कारों के लिए जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, वे चरित्र-निर्माण तथा समाज और संस्‍कृति के समग्र विकास से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार की परिकल्‍पना के लिए मैं महिला और बाल विकास मंत्री, सुश्री स्‍मृति ईरानी और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि एक राष्ट्रीय चयन समिति ने विभिन्न संस्थानों और संगठनों के साथ किए गए परामर्श को ध्यान में रखकर पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ऐसी प्रक्रिया के कारण पुरस्कारों की विश्वसनीयता और महत्ता बढ़ती है। मैं चयन समिति के सभी सदस्यों को साधुवाद देती हूँ।

कुछ पुरस्‍कार विजेताओं ने इतनी कम उम्र में ऐसे अदम्‍य साहस और वीरता का परिचय दिया है जिसके बारे में जानकर मैं आश्‍चर्यचकित ही नहीं अभिभूत भी हूं। इनके उदाहरण सभी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं। इस संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा ‘वीर बाल दिवस’ मनाए जाने की पहल बहुत ही सराहनीय है। स्वयं प्रधानमंत्री महोदय ने इस पहल को ऊर्जा प्रदान की है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, आज ‘Young Heroes of India’ नामक पुस्तक का विमोचन, एक महत्वपूर्ण कदम है। गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादों के अमर बलिदान से लेकर ओडिशा के वीर नाविक बालक बाजी राउत, आज़ाद हिन्द फौज की वीर किशोरी सरस्वती राजामनी और असम में जन्मी बाल-वीरांगना तिलेश्वरी बरुआ सहित इस पुस्तक में संकलित शौर्य गाथाएं भारत की गौरवशाली परंपरा का स्वर्णिम अध्याय हैं। ऐसी पुस्तकों से, हमारे देश के बच्चों और युवाओं में प्रेरणा का संचार होगा।

प्‍यारे बच्‍चो,

आज के दिन, स्‍वतंत्रता संग्राम से जुड़ी दो महान विभूतियों की जयंती पर, उनकी स्मृति को, सभी देशवासी सादर नमन करते हैं। 1857 के स्‍वाधीनता संग्राम में वीर सुरेन्‍द्र साए ने अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध संघर्ष किया और मरते दम तक उनके विरुद्ध लड़ाई लड़ते रहे। उन्हें लंबे समय तक जेल में कैद रखा गया जहां उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान किया।

आज ही, भारत माता के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती भी है। नेताजी की आरंभिक शिक्षा ओडिशा के कटक जिले में हुई थी। कटक के Protestant European School में पढ़ाई शुरू करने के बाद उन्होंने कटक में ही Ravenshaw Collegiate School में शिक्षा प्राप्त की। वहां अध्ययन करने के दौरान स्वामी विवेकानंद और श्री ऑरोबिंदो के विचारों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने भारतीय वस्त्र और वेषभूषा भी अपनाई। वे अत्यंत मेधावी विद्यार्थी थे। उन्होंनेICS की अत्‍यंत कठिन परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया। लेकिन देश प्रेम और स्‍वाभिमान के कारण उन्होंने इतनी प्रतिष्ठित नौकरी का परित्‍याग किया। एक समृद्ध परिवार में पले-बढ़े नेताजी ने संघर्ष की राह चुनी। स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय होने के कारण जब नेताजी पहली बार गिरफ्तार हुए तब उनकी आयु केवल 24 वर्ष थी। उनकी गिरफ्तारी की खबर सुनकर उनके पिताजी ने उनके बड़े भाई शरद चन्द्र बोस को एक पत्र में लिखा, "मुझे सुभाष पर गर्व है, तुम सब पर गर्व है।”

प्यारे बच्चो,

हम सभी भारतवासियों को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर गर्व है। नेताजी अपने प्राणों की बाजी लगाकर यूरोप से जापान तक, ब्रिटिश शासन के खिलाफ निरंतर युद्धरत रहे। उन्‍होंने आजादी मिलने से पहले ही भारतीय स्‍वाधीनता की भावना को अभिव्‍यक्‍त किया और मणिपुर तथा अंडमान में तिरंगा लहाराया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से हम सब को, विशेष रूप से बच्‍चों को प्रेरणा लेनी चाहिए। नेताजी की आजाद हिन्‍द फौज के द्वारा अपनाया गया ‘‘जय हिन्‍द’’ का उद्घोष सभी भारतवासियों का जयघोष बन गया। वे साहस और देशप्रेम के अद्भुत उदाहरण थे। मैंने थोड़ा विस्तार से नेताजी के बारे में इसलिए बताया कि हमारे देश के बच्चों और युवा पीढ़ी को ऐसे राष्ट्र-निर्माताओं के बारे में व्यापक जानकारी होनी चाहिए। नेताजी की जयंती को आज ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। नेताजी के जीवन से राष्‍ट्र-गौरव को सर्वोपरि मानने की शिक्षा मिलती है।

सभी देशवासी पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमें अपनी आज़ादी कठिन संघर्ष के बाद मिली थी। इसलिए नई पीढ़ी से अपेक्षा है कि आप सब इस आज़ादी की कीमत को पहचानें और इसे सुरक्षित रखें। आप देशहित के बारे में सोचें और जहां भी मौका मिले, देश के लिए काम करें। आप अपने दायित्‍वों के प्रति निरंतर प्रयासरत रहेंगे तो आपको अवश्य सफलता मिलेगी।

प्‍यारे बच्‍चो,

भारत के जीवन-मूल्यों में परोपकार को सबसे ऊंचा स्‍थान दिया गया है। जो केवल अपने लिए ही जीते हैं, उनका जीवन अधूरा है। उन्हीं का जीवन सार्थक है जो दूसरों के लिए जीते हैं। पूरी मानवता के लिए प्रेम की भावना और यही नहीं, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की देखभाल करने का संस्‍कार, भारतीय जीवन-मूल्‍यों का हिस्‍सा है। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि आज के बच्‍चे पर्यावरण के प्रति अधिक सचेत हैं। आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं उससे पर्यावरण पर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। मेरा आप सब से आग्रह है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाइए और जो पेड़ हैं उनकी रक्षा कीजिए। ऊर्जा की बचत कीजिए और इसके लिए बड़ों को भी प्रेरित कीजिए।

देवियो और सज्‍जनो,

जिस देश में ऐसे प्रतिभाशाली बच्‍चें हों वह देश तो सबसे आगे रहेगा ही। इन प्रतिभावान बच्‍चों से मिलकर भारत के स्‍वर्णिम भविष्‍य के बारे में मेरा विश्‍वास और अधिक मजबूत हो रहा है।

प्‍यारे बच्‍चो,

वर्ष 2047 में, जब देशवासी आज़ादी की शताब्‍दी का उत्‍सव मनाएंगे तब आप सभी होनहार बच्‍चे बड़ी-बड़ी जिम्‍मेदारियां निभा रहे होंगे। वर्ष 2047 का भारत विकसित और समृद्ध हो, इसके लिए आप सबको आज से ही प्रयास करना होगा। आप हमारे भविष्‍य के कर्णधार हैं। आपके प्रयासों से भारत की आन-बान-शान में निरंतर वृद्धि होती रहेगी, इसी मंगल कामना के साथ, मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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