भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का National Space Day कार्यक्रम में सम्बोधन

New Delhi : 23.08.2024
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  का National Space Day कार्यक्रम में सम्बोधन

वह ऐतिहासिक क्षण जब विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरा था, हर भारतीय के लिए अत्यंत प्रसन्नता का क्षण था। मैंने टच-डाउन का Live प्रसारण देखा था। हर भारतीय की तरह, मैं भी गर्व से भर गई थी।

इस सफलता के उपलक्ष्य में National Space Day मनाने की घोषणा करना एक सराहनीय कदम है। मैं समस्त देशवासियो और आप सभी को प्रथम National Space Day की बहुत-बहुत बधाई देती हूं।

अपने प्रारम्भिक दिनों से अब तक ISRO की यात्रा शानदार रही है। ISRO ने space sector में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। जैसा कि यहां उपस्थित वैज्ञानिक समुदाय के लोग जानते ही हैं कि एक-दो दिन पहले ही चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से प्राप्त जानकारी से यह धारणा मजबूत हुई है कि आरंभ में चंद्रमा पूरी तरह मैग्मा का महासागर था। वह धीरे-धीरे शीतल होते हुए वर्तमान स्वरूप की तरफ बढ़ा। इसे वैज्ञानिक भाषा में Lunar Magma Ocean Hypothesis कहते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भविष्य में ISRO द्वारा चंद्रमा के अध्ययन के लिए अन्य मिशन की भी योजनाएं हैं। मैं सम्पूर्ण ISRO परिवार तथा विशेषकर चंद्रयान मिशन से जुड़े सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं देती हूं।

आज के कार्यक्रम में विद्यार्थियों की भागीदारी देखकर मुझे खुशी हो रही है। ISRO द्वारा आयोजित भारतीय अंतरिक्ष हैकाथॉन और रोबोटिक्स चैलेंज के विजेताओं को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। मैं आशा करती हूं कि ISRO द्वारा चलाए जा रहे Space on Wheels और Space Tutors जैसे कार्यक्रम जन-सामान्य एवं विद्यार्थियों में space के बारे में उत्सुकता और जानकारी बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होंगे।

देवियो और सज्जनो,

Space sector के साथ-साथ ISRO ने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अमूल्य योगदान दिया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप ऐसे ही देश की विकास यात्रा में योगदान देते रहेंगे। इस महीने में, भारत के Space Programme के जनक माने जाने वाले डॉक्टर विक्रम साराभाई की जयंती भी मनायी जाती है। वे न केवल महान वैज्ञानिक थे बल्कि एक दूरदर्शी Institution Builder भी थे। उन्होंने space सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने कहा था and I quote “…those that can apply their insights to the problems of the community and of the nation discover an exciting area of activity where effort is rewarding even while the results show slowly.” unquote    
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उनका यह कथन अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि भारत के Space Programme का उद्देश्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त करते हुए देश का सामाजिक और आर्थिक विकास करना है। आज के इस आयोजन का विषय “Touching Lives while Touching the Moon: India’s Space Saga” भी इसी उद्देश्य से जुड़ा हुआ है।

देवियो और सज्जनो,

Space Exploration ने मनुष्य की क्षमताओं को बढ़ाया है। मानव की कल्पना को यथार्थ में बदला है। ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाया है। Space Exploration रोमांचकारी होने के साथ-साथ एक चुनौती भरा कार्य भी है। इसमें अनेक समस्याएं आती हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए किए जाने वाले अनुसंधान, विज्ञान के विकास को गति देते हैं और मानव जीवन को बेहतर बनाते हैं।

स्वास्थ्य और चिकित्सा, परिवहन, सुरक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, और सूचना प्रौद्योगिकी समेत ऐसे कई क्षेत्र हैं जो space sector में हुए विकास से लाभान्वित हुए हैं। उदाहरण के लिए आरंभिक चरण की Satellites को पृथ्वी की कक्षाओं का अध्ययन करने के लिए निर्मित किया गया था। उन Satellites से प्राप्त ज्ञान के बल पर satellite communication का विकास हो सका। आज इसके बिना मानव जीवन की कल्पना संभव नहीं है।

देवियो और सज्जनो,

भारत के space sector की प्रगति असाधारण है। चाहे वह कम संसाधनों में सफलतापूर्वक पूरा किया गया मंगल मिशन हो, या एक बार में सौ से अधिक satellites का सफल प्रक्षेपण हो, हमने अनेक प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।

निजी क्षेत्र के लिए space sector के खुलने से start-ups की संख्या में बहुत तेज गति से वृद्धि हुई है। इससे न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में उन्नति हुई है, बल्कि हमारी युवा-शक्ति को अपनी प्रतिभा दिखाने और उसे तराशने के नए अवसर भी मिले हैं। कुछ महीने पहले ही, भारत की एक कंपनी ने single-piece 3D printed semi-cryogenic engine संचालित रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया है जो कि इस तरह की पहली उपलब्धि है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विश्वास एवं साझेदारी बढ़ाने के लिए भी space sector एक अच्छा माध्यम है। उदाहरण के लिए पड़ोसी राष्ट्रों में संचार को बढ़ावा देने के लिए भारत ने वर्ष 2017 में South Asia Satellite GSAT-9 का सफल प्रक्षेपण किया था। अन्य देशों के साथ जुड़ाव के नए क्षितिज खोलने के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं।

ISRO, भारत का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मैं गगन-यान मिशन की भी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही हूं जिसमें भारतीय अंतरिक्ष टीम को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। मुझे विश्वास है कि इन सभी मिशन के फलस्वरूप ऐसे परिणाम सामने आएंगे जिनसे देश सामाजिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक रूप से लाभान्वित होगा।

देवियो और सज्जनो,

हमें भावी चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है। space debris अंतरिक्ष मिशन के लिए समस्या उत्पन्न कर सकती है। अंतरिक्ष अनुसंधान की गतिविधियां निरंतर चलती रहें, इस उद्देश्य के साथ “ISRO System for Safe & Sustainable Operations Management” facility का संचालन किया जा रहा है। यह एक सराहनीय कदम है। मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि भारत, वर्ष 2030 तक, अपने सभी अंतरिक्ष अभियानों को debris-free बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।

हमारे निष्ठावान वैज्ञानिकों ने न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके भारत के Space Programme को विश्व के श्रेष्ठतम Space Programmes में स्थान दिलाया है। इसके लिए वे सराहना के पात्र हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति होती रहेगी तथा हम उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करते रहेंगे। मैं भविष्य के सभी Space Missions के लिए शुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद,    
जय हिन्द!    
जय भारत!

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