भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का National Geoscience Awards 2023 Presentation Ceremony में सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 20.08.2024

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  National Geoscience Awards 2023 Presentation Ceremony  में सम्बोधन

आज National Geoscience Awards के इस समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं Geoscience के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों और अमूल्य योगदान के लिए वरिष्ठ और युवा पुरस्कार विजेताओं को बधाई देती हूं। इन पुरस्कारों के माध्यम से Geoscience के क्षेत्र में हो रही उन्नति और उससे जुड़े सभी लोगों के योगदान को मान्यता दी जाती है।

यह उल्लेखनीय है कि आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेता Geological Survey of India तथा अन्य राष्ट्रीय संगठनों, अनुसंधान संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों से हैं। पुरस्कार विजेताओं में यह विविधता Geoscience के प्रति बढ़ रही जागरूकता और इस क्षेत्र में देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अनुसंधान को दर्शाती है। आपके समर्पण, जिज्ञासा और नवाचार के कारण महत्वपूर्ण अध्ययन हुए हैं और Geoscience के क्षेत्र में प्रगति हुई है। Mineral exploration, sustainable mineral development, तथा basic और applied geosciences की श्रेणियों में ये प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया जाना geoscientific research की उन्नति का प्रमाण भी है। आप अपने कार्यों से न केवल पृथ्वी के संसाधनों के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करते हैं बल्कि भावी geoscientists के लिए भी मानक स्थापित करते हैं। मुझे विश्वास है कि आप इसी उत्साह के साथ इस क्षेत्र में अपना उपयोगी योगदान देते रहेंगे।

देवियो और सज्जनो,

जब धरती की geological history की बात होती है, तब समझ में आता है कि मानव इतिहास उसका एक छोटा सा ही भाग है। Human evolution में भी geological processes की भूमिका पर आज गहन अनुसंधान हो रहा है। हमारे आस-पास हो रहे extreme climatic events और natural disasters को समझने और उनका सामना करने के लिए भी geology की विस्तृत और गहरी समझ होना आवश्यक है। Geology एक बहुत specialized study है लेकिन हमारी बोल-चाल की भाषा से भी भू-गर्भ से जुड़ी घटनाओं के महत्व का पता चलता है। जब कोई बहुत ही बड़ा बदलाव होता है तो उसे ‘Tectonic Shift’ कहा जाता है और यह Paradigm Shift से भी बड़ा होता है।

हमारे देश में अनेक महान geologists के उदाहरण हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया और Indian geology में पथप्रदर्शक बने। मैं यहाँ Geological Survey of India के पहले भारतीय निदेशक श्री M. S. Krishnan और श्री D. N. Wadia का उल्लेख करना चाहूँगी जिन्होंने भारत में geological studies को स्थापित किया। आप सबका यह कर्तव्य है कि आप उनकी सोच और कार्यों से प्रेरणा लेकर इस क्षेत्र और देश के विकास के लिए अपना अमूल्य योगदान दें।

देवियो और सज्जनो,

भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, खनिज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना महत्वपूर्ण है। खनिज क्षेत्र के विकास के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि खान मंत्रालय ने National Geoscience Data Repository (NGDR) portal की शुरुआत की है, जो देश भर से geoscientific data को समेकित करता है। यह सराहनीय है कि GSI खनिज अन्वेषण की नयी तकनीकें खोजने के लिए, Artificial Intelligence जैसी उभरती technologies का उपयोग कर रहा है। ऐसे अनेक कदम खनिज संसाधनों की खोज और खनन में सहायता कर रहे हैं, जिससे हम अपनी प्राकृतिक संपदा को बेहतर ढंग से समझने और उसका उचित उपयोग करने में सक्षम हो पाएंगे।

Sustainable Development की दिशा में आगे बढ़ते हुए, भारत, Net Zero Carbon Emission हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। Clean energy को बड़े स्तर पर अपनाने के हमारे प्रयास इस लक्ष्य के अनुरूप हैं। विस्तृत भू-वैज्ञानिक ज्ञान low carbon energy परियोजनाओं की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है। Green transition के लिए critical minerals और rare earth elements जैसे खनिजों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस साल बजट में भारत सरकार ने National Critical Minerals Mission की घोषणा भी की है, जिसका उद्देश्य भारत को आर्थिक विकास और green transition के लिए आवश्यक raw material में आत्मनिर्भर बनाना है। मुझे बताया गया है कि इस mission के अंतर्गत, critical minerals की value chain को मज़बूत करने पर विशेष ज़ोर दिया जायेगा।

Sustainable mining की भी भारत के climate change सम्बन्धी लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह प्रशंसनीय है कि देश में जो सुधार और नवाचार किए जा रहे हैं, वे न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं। इस संबंध में geoscientists का योगदान अमूल्य है।

देवियो और सज्जनो,

GSI, कोलकाता में National Landslide Forecasting Center की हाल ही में स्थापना की गई है। मुझे बताया गया है कि यह center आने वाले दिनों में, उचित समय पर सभी भूस्खलन-संभावित राज्यों के लिए early warning bulletin जारी करेगा। अभी कुछ दिन पहले हमने देश के कई हिस्सों में भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं देखी जिनमें अनेक लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। मैं यह कहना चाहूंगी कि हम अपने systems को इतना foolproof और accurate बनाएं कि ऐसी आपदाओं से देश के किसी भी भाग में कम से कम नुकसान हो।

आज, मुझे यहां अनेक युवा विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को देखकर खुशी हो रही है। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि खनिज क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए आप अपने कौशल और क्षमता का पूरा उपयोग करें। आपका उत्साह और innovative spirit हमारे देश को आगे लेकर जायेंगे। भारत का भू-वैज्ञानिक इतिहास इसकी चट्टानों, मैदानों, fossils और marine beds में दर्ज है और इसे हम अपनी geological heritage कह सकते हैं। मैं युवाओं से कहना चाहूंगी कि geo-tourism और geo heritage sites जैसे concepts के महत्व को समझें और इन्हें बढ़ावा देने के लिए भी नए-नए सुझाव दें। भारत जैसे diverse topography वाले देश में तो geo tourism के माध्यम से लोगों को geoscience से संबन्धित जानकारी भी दी जा सकती है और उन्हें इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि आप सभी वैज्ञानिक और शोधकर्ता geoscience के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के लिए अथक प्रयास करेंगे और साथ ही sustainable development को भी बढ़ावा देंगे।

अंत में, एक बार फिर, मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देती हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद!   
जय हिन्द!   
जय भारत!

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