भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन
बेंगलुरु : 27.09.2022
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तायी भुवनेश्वरीया मक्कलाद, समस्त कन्नडिगरिगे, नन्ना, हृदयपूर्वक नमस्कारगलू!
भारत के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद, स्वदेश में अपनी पहली यात्रा पर मैं कर्नाटक के आप सभी भाई-बहनों के बीच आई हूं। कल मुझे मैसुरु में देवी चामुंडेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला। मेरी यह यात्रा माता चामुंडेश्वरी की कृपा से तथा कर्नाटकवासी भाई-बहनों के स्नेह के कारण संभव हुई है। अपनी इस यात्रा के लिए तथा आज के इस अभिनंदन के लिए राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत जी, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी तथा कर्नाटक के सभी भाई-बहनों को मैं धन्यवाद देती हूं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि कर्नाटक में आज़ादी का अमृत महोत्सव उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। हमारा देश राष्ट्रीय प्रगति के अमृत-काल से गुजर रहा है। यह उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता संग्राम और राष्ट्र-निर्माण में कर्नाटक की विभूतियों ने असाधारण योगदान दिया है।
रानी अब्बक्का, रानी चेन्नम्मा और संगोल्ली रायन्ना की वीर-गाथाएं सभी भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं। महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए सत्याग्रह के मार्ग पर चलने वाले हरडेकर मंजप्पा, टगडुरु रामचन्द्र राव तथा यशोधरम्मा दासप्पा काजन मानस में आदरणीय स्थान है। महात्मा गांधी के आह्वान पर किए गए ध्वज-सत्याग्रह की स्मृति में शिवपुरा में निर्मित सत्याग्रह-सौधा का तीर्थ स्थल की तरह सम्मान होना चाहिए। किशोरावस्था में ही देश की स्वाधीनता के लिए आत्म-बलिदान करने वाले बाणावारा रामा स्वामी जैसे अमर शहीद को भारतवासी सदैव याद रखेंगे।
देवियो और सज्जनो,
कर्नाटक का यह क्षेत्र अध्यात्म, दर्शन, साहित्य, संगीत, कला, भवन-निर्माण और सुंदर उद्यानों के प्रतिमान स्थापित करता रहा है।
UNESCO की World Heritage Sites की सूची में शामिल हम्पी के अवशेष भारत की ऐतिहासिक समृद्धि और भव्यता का उदाहरण हैं। ऐहोले, पट्टदकल, बादामी, बेलुरू, हलेबीडु, सोमनाथपुरा तथा मैसुरु जैसे अनेक स्थान भारतीय कला और संस्कृति की उत्कृष्ट धरोहर हैं।
कन्नड़ा कविता के संबंध में 9th Century में श्री विजय द्वारा रचित ग्रंथ ‘कविराज-मार्गा’ का मैं उल्लेख करना चाहूंगी। श्री विजय ने लिखा है कि अशिक्षित कन्नडिगा भी काव्य-प्रयोग में प्रवीण होता है। उसमें कविता का untutored genius विद्यमान होता है। कन्नड़ा के आदि कवि पंपा तथा रन्ना और पोन्ना जैसे कवि-रत्नों ने कन्नडिगा लोगों की संवेदनशीलता और उनके सुसंस्कृत होने का परिचय दिया है। कवि पंपा ने पूरी मानवता की एकता के भाव को आज से एक हजार वर्ष पहले चार सरल शब्दों में व्यक्त कर दिया था। उन्होंने लिखा है:
मानवकुलम ओन्दे वलम
अर्थात,
वस्तुतः समस्त मानव समाज एक ही है।
महान संत-कवि बसवन्ना ने अपने विचारों और व्यक्तित्व से कन्नड़ा भाषा और पूरे देश की विचारधारा परअपनी अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने राजनीति में अध्यात्म के समावेश का संदेश दिया। उन्होंने लोकतन्त्र पर आधारित व्यवस्था का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने सर्व-समावेशी समाज की स्थापना के लिए कदम उठाए। समस्त मानवता के प्रति निजत्व की भावनातथा किसी को भी पराया नहीं समझने की उदारता बसवन्ना ने अपने एक ‘वचन’ में इन शब्दों में व्यक्त की है:
इवनारवा इवनारवा
एन्देनी सदिरय्या।
इवनम्मवा, इवनम्मवा, इवनम्मवा,
एन्देनी सय्या।
कूडल-संगम-देवा!
निम्मा मानेया मगा,
एनि सय्या।
अर्थात:
हे भगवान कूडल-संगम-देवा!
मुझसे यह मत कहलाओ कि,
वह कौन है? वह कौन है?
मुझसे यह कहला दो कि,
वह हमारा है, हमारा है, हमारा है।
कहला दो कि वह,
आपके ही घर का बेटा है।
जगत-ज्योति बसवन्ना, अल्लम-प्रभु, अक्का-महादेवी, पुरंदर दासा और कनक दासा जैसे संत-कवियों ने अपने आचरण तथा वचनों और कीर्तनों से समाज को बेहतर बनाया। आधुनिक युग में भी महाकवि कुवेम्पु सहित अनेक महान कन्नड़ा साहित्यकारों नेदेश के साहित्य को समृद्ध किया है।
कर्नाटक से ही भारतीय संगीत की एक अनुपम धारा प्रवाहित हुईजिसमें मल्लिकार्जुन मंसूर, गंगूबाई हंगल, भीमसेन जोशी और बसवराज राजगुरु जैसी विभूतियां शामिल रही हैं। इस प्रकारकावेरी, कृष्णा, तुंगभद्रा और शरावती आदि नदियों के आशीर्वाद से सिंचित कर्नाटक और यहां की प्रतिभाओं ने भारतीय कला और संस्कृति को समृद्ध किया है।
जिस प्रकार यहां के चन्दन की सुगंधपूरे देश को तथा विश्व के अन्य देशों को सुवासित करती है वैसे ही कर्नाटक वासियों का मधुर स्वभाव भी पूरे देश और विश्व में सराहा जाता है। कन्नडिगा भाई-बहनों ने शांति-प्रिय, उदार और स्नेही होने का आदर्श प्रस्तुत किया है। कर्नाटक से छ: राज्यों की सीमाएं मिलती हैं। उन सभी राज्यों के लोग तो यहां आते ही हैं भारत के सभी क्षेत्रों के लोग विशेषकर युवा बड़ी संख्या में अपनी उच्च-शिक्षा, रोजगार तथा प्रगति के अवसर की तलाश में यहां आते हैंऔर यहां घुल-मिल जाते हैं।
इस विशेषता के लिए मैं सभी देशवासियों की ओर से कर्नाटक के लोगों की विशेष सराहना करती हूं।
बहनो और भाइयो,
आधुनिक औद्योगिक विकास में भी कर्नाटक ने अग्रणी भूमिका निभाई है। शिवासमुद्रम में भारत का ही नहीं संभवतः एशिया का पहला Hydro Power Station 20th Century की शुरुआत में ही स्थापित कर दिया गया था। मैसुरु के वोडेयार राजाओं ने अपनी वैश्विक सोच के अनुसार आधुनिक विकास की दृष्टि से इस क्षेत्र को अग्रगामी बनाया। भारत के राष्ट्र-निर्माताओं में सम्मानित स्थान रखने वाले इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया इसी धरती के सपूत थे। आज पूरे देश में उनके जन्म-दिवस को ‘Engineers Day’ के रूप में मनाया जाता है।
कर्नाटक की धरती में और यहां के लोगों में जरूर कुछ विशेषता है जो सदियों सेलोगों को आकर्षित करती रही है। अपनी जनता के लिए स्नेह रखने वालेन्याय-प्रिय और दूरदर्शी कर्नाटक के नाड-प्रभु केम्पेगौड़ा ने बेंगलुरु की स्थापना की थी। यह शहर गौरव के नए प्रतिमान स्थापित करता रहा है।
बीसवीं सदी में जमशेद जी टाटा ने Indian Institute of Science की स्थापना के लिए बेंगलुरु का ही चयन किया। आधुनिक भारत के विज्ञान-गौरव तथा नोबल पुरस्कार से सम्मानित C.V. Raman तो कहा करते थे कि पूरे विश्व में बेंगलुरु से अच्छा कोई शहर नहीं है। उन्होंने बेंगलुरु में ही Raman Research Institute की स्थापना की। कर्नाटक हमारे देश के प्रमुख education और research-hub के रूप मेंअमूल्य योगदान दे रहा है।
Information Technology में भारत की प्रतिष्ठा का बहुत बड़ा श्रेय कर्नाटक विशेषकर Silicon City बेंगलुरु को जाता है। Bio-technology, heavy engineering, aviation, research & development, space-science & technology जैसे अनेक क्षेत्रों में कर्नाटक एक अग्रणी राज्य है।
आज ही Hindustan Aeronautics Limited और ISRO के सहयोग से विकसित अत्याधुनिक तथा भारत की पहली Cryogenic and Semi-cryogenic Engine Manufacturing Facility का उद्घाटन करने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ।
भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में कर्नाटक का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले वित्त-वर्ष के दौरानकुल FDI की दृष्टि सेकर्नाटक प्रथम स्थान पर रहा।
कर्नाटक के दूरदर्शी राजनेताओं, business leaders और innovative entrepreneurs ने औद्योगिक विकास के लिए विशेषकर start-ups के लिए बहुत ही अच्छा eco-system विकसित किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत को five trillion dollar economy बनाने में कर्नाटक की प्रमुख भूमिका रहेगी।
हमारे देशवासी वर्ष 2047 में जब स्वाधीनता की शताब्दी मनाएंगे तब कर्नाटक के प्रमुख योगदान के बल पर भारत एक विकसित देश के रूप में स्थापित हो चुका होगा।
इसी विश्वास के साथ मैं कर्नाटक के भाई-बहनों को तथा सभी देशवासियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!