भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्बोधन(HINDI)

मुंबई : 03.09.2024

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्बोधन(HINDI)

आप सभी को मेरा नमस्कार!

अब मैं यह अनुरोध करती हूं कि आप सब इस पावन धरा पर छत्रपति शिवाजी महाराज की जय-जयकार करें:   

बोलिए, छत्रपति शिवाजी महाराज की...

हमारे संविधान के हस्तलिखित मूल पाठ के, 15वें भाग में छत्रपति शिवाजी महाराज का चित्र सुशोभित है। वह चित्र हमारे संविधान निर्माताओं के हृदय में छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति गहरे सम्मान का परिचय देता है। इसलिए संवैधानिक व्यवस्था से जुड़े इस समारोह के आरंभ में हम सभी छत्रपति शिवाजी महाराज को विशेष नमन करते हैं। इस अवसर पर, हम सब समाज-निर्माण तथा राष्ट्र-गौरव की उन सभी धाराओंसे जुड़ रहे हैं जो छत्रपति शिवाजी महाराज से होती हुई महात्मा जोतिबा फुले, वासुदेव बलवंत फड़के, महर्षि कर्वे, शाहूजी महाराज, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, विनायक दामोदर सावरकर और बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जैसी अनेक महान विभूतियों तक प्रवाहित होती रही हैं। आज का यह शताब्दी समारोह हम सब के लिए गर्व का अवसर है। इस समारोह के सभी आयोजकों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। महाराष्ट्र के सभी निवासियों के लिए मैं विशेष बधाई और शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि श्रीपाद कृष्ण कोल्हटकर की भावनाओं को आप सब के सम्मुख प्रस्तुत करने का मैं प्रयास करूंगी:

बहुत असोत सुंदर, सम्पन्न की महा,     
प्रिय अमुचा एक, महाराष्ट्र देश हा।

देवियो और सज्जनो,

इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का वर्णन नहीं है। हमारी इतिहास-दृष्टि, हमारे वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करती है। भारत केन्द्रित इतिहास-दृष्टि के अनुसार Bombay Legislative Council के गठन की ऐतिहासिक घटना हमारे महान स्वाधीनता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और श्रीमती एनी बेसेंट ने Home Rule Movement चलाया जिसके कारण भारत की जनता में स्व-शासन की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया। उस उमड़ती हुई जन-भावना को देखते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा अगस्त 1917 में यह घोषणा की गई कि भारत में Responsible Government के लक्ष्य को चरण-बद्ध तरीके से हासिल किया जाएगा; शासन के हर आयाम में, भारतवासियों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी और साथ ही, भारतीयों द्वारा स्व-शासन हेतु, संस्थानों को विकसित किया जाएगा। इस घोषणा के अनुरूप Montagu Chelmsford Reforms प्रस्तुत किए गए। उन Reforms को कानूनी रूप देते हुए Government of India Act, 1919 को पारित किया गया। वह Act वर्ष 1921 में प्रभावी हुआ। भारत के अन्य क्षेत्रों सहित Bombay Presidency में भी Provincial Legislature की स्थापना की गई तथा Bombay Legislative Council का गठन हुआ। वर्ष 1960 में महाराष्ट्र के पुनर्गठन के बाद इस Council के भौगोलिक कार्य क्षेत्र में परिवर्तन हुआ तथा इसका नाम Maharashtra Legislative Council रखा गया। इस प्रकार, आरंभ से लेकर आज तक इस Council ने 103 वर्षों तक यहां के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति दी है और Responsive Upper Chamber की भूमिका निभाई है। इसके लिए मैं सभी वर्तमान और पूर्ववर्ती सदस्यों के योगदान की सराहना करती हूं। अपने असाधारण योगदान के लिए आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी सदस्यों को मैं बहुत-बहुत बधाई देती हूं।

वर्ष 1919 में Government of India Act के पारित होने से लेकर वर्ष 1921 में Bombay Legislative Council के गठन तक की अवधि में हमारा स्वाधीनता संग्राम एक नए दौर में पहुंच गया था। अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार के बाद पूरे देश में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की लहर दौड़ गई थी। वर्ष 1921 में Prince of Wales के भारत भ्रमण का बड़े पैमाने पर बहिष्कार किया गया जिसमें मुंबई के लोगों ने असाधारण सक्रियता का परिचय दिया था। आप सबका यह महानगर स्वाधीनता सेनानियों का गढ़ रहा है। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक, हमारे स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक गौरवशाली अध्याय, यहीं शुरू हुए थे।

स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अनेक देश-प्रेमियों का यह विचार था कि तत्कालीन ब्रिटिश शासन व्यवस्था में भागीदारी करके भी देश-हित को बढ़ावा दिया जा सकता है। अनेक देश-प्रेमी Legislative Councils के सदस्य बने। Legislative Councils के अनेक भारतीय सदस्यों ने, विभिन्न अवसरों पर, देशवासियों का पक्ष लेते हुए ब्रिटिश सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए कई विधेयकों का प्रखर विरोध किया था।

बाबासाहब आंबेडकर Bombay Legislative Council के सदस्य रहे थे। संसदीय प्रणाली को समझने और दिशा देने में उनके जैसा व्यक्तित्व इतिहास में दुर्लभ है। उनकी सदस्यता और मार्गदर्शन से लाभान्वित होना इस Council का सौभाग्य रहा है। वस्तुतः तत्कालीन Bombay Presidency में Legislative Councils की परंपरा वर्ष 1862 से ही शुरू हो गई थी। ‘लोकहित-वादी’ गोपाल हरि देशमुख, जस्टिस महादेव गोविंद रानाडे, सर फिरोजशाह मेहता, लोकमान्य तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे अनेक महापुरुषों ने समय-समय पर Bombay Legislative Council की शोभा बढ़ाई थी। इस Legislative Council ने स्वस्थ वाद-विवाद और संवाद की परंपरा को स्थापित करके लोकतान्त्रिक मूल्यों को शक्ति दी है। साथ ही, Council के सदस्यों ने जन-कल्याण के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है। इस परिषद के पूर्व सभापति वि.स. पागे ने Employment Guarantee Scheme की परिकल्पना की थी। उस Scheme जैसी व्यवस्था बाद में ‘मनरेगा’ के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई गई। संसद में राज्य सभा तथा जिन विधान मंडलों में दो सदन हैं वहां विधान परिषदों को House of the Elders कहा जाता है। इन सदनों में न्यूनतम आयु सीमा अधिक होने के साथ-साथ प्रायः Elder Houses में अधिक अनुभवी सदस्यों का प्रतिनिधित्व देखा जाता है। ऐसे Elders ने अनेक अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं तथा संसदीय प्रणाली एवं विधायिका की कार्य संस्कृति को समृद्ध बनाया है। मुझे विश्वास है कि Maharashtra Legislative Council इस परंपरा को और अधिक शक्ति प्रदान करेगी।

देवियो और सज्जनो,

इस समारोह में जिस पुस्तक का विमोचन किया गया वह Upper Chamber के महत्व के साथ-साथ यहां की विधान परिषद के इतिहास पर भी प्रकाश डालती है। मुझे बताया गया है कि इस पुस्तक में एक अध्याय इस विधान परिषद की पहली महिला उप-सभापति सुश्री जेठी तुलसीदास सिपाही-मलानी को समर्पित है। यह महिलाओं के योगदान को सम्मानित करने तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में सराहनीय योगदान है। इसके लिए मैं इस पुस्तक से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं। यह विशेष प्रसन्नता की बात है कि


वर्तमान उप-सभापति डॉक्टर नीलम गोरहे जी इस परिषद में महिलाओं के विशिष्ट योगदान की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की वर्तमान मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, दोनों ही महिलाएं हैं।     
यह वीरमाता जीजाबाई भोसले की धरती है। महिलाओं द्वारा महाराष्ट्र के सामाजिक उत्थान को दिशा देने की ऐतिहासिक परंपरा में सावित्रीबाई फुले कावंदनीय स्थान है। उन्होंने बालिकाओं और वंचितों की शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रचा है। महाराष्ट्र की ऐसी अनेक महान महिलाओं की स्मृति को मैं नमन करती हूं। यह उल्लेखनीय है कि भारत की पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव भी महाराष्ट्र की ही श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जी को जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि महाराष्ट्र की बेटियां राज्य और देश का गौरव निरंतर बढ़ाती रहेंगी।

देवियो और सज्जनो,

महाराष्ट्र पूरे देश के सम्मुख सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्कर्ष के उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है। वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार State GDP की दृष्टि से महाराष्ट्र का देश में प्रथम स्थान है। इसके लिए विधान मण्डल के सभी सदस्य, राज्य सरकार की पूरी टीम और राज्य के सभी निवासी बधाई के पात्र हैं। मैं आशा करती हूं कि महाराष्ट्र की विकास यात्रा अनवरत तेज गति के साथ आगे बढ़ती रहेगी। मैं राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं।

अंत में, विख्यात कवि राजा बढ़े द्वारा रचित और महाराष्ट्र द्वारा ‘राज्य गीत’के रूप में अपनाए गए काव्य की पहली पंक्ति मैं आप सब के साथ साझा करना चाहूंगी:

“जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा”


जय हिन्द!     
जय महाराष्ट्र!

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