भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लक्ष्‍मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्‍ट्रीय लीडरशिप पुरस्‍कार प्रदान करने के अवसर पर सम्बोधन

नई दिल्ली : 07.12.2023

डाउनलोड : भाषण भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लक्ष्‍मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्‍ट्रीय लीडरशिप पुरस्‍कार प्रदान करने के अवसर पर सम्बोधन(हिन्दी, 141.63 किलोबाइट)

आज के इस कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देती हूँ। IIM Lucknow और JK organisation के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों को सम्मानित किया जा रहा है बल्कि नेतृत्व में नैतिकता और समाज के समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया जा रहा है।

आज इस कार्यक्रम में सम्मानित सभी awardees – Shri Sanjeev Bajaj, Shri Nithin Kamath, Dr V. Mohan, Dr Ritu Karidhal Srivastava, Dr Jamuna Tudu और Shri Piyush Tiwari ने अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावी और प्रेरणादायक नेतृत्व के उदाहरण पेश किए हैं। देश के प्रमुख उद्यमी श्री Lakshmipat Singhania के नाम से स्थापित इन पुरस्कारों का उद्देश्य उद्योग और व्यापार जगत में नैतिकता और परिवर्तनकारी सोच तथा कार्यों को प्रेरणा देना है। मैं Lakshmipat Singhania- IIM Lucknow National Leadership Awards की स्थापना के लिए आयोजकों को बधाई देती हूँ।

देश के उत्कृष्ट management शिक्षण संस्थान IIM Lucknow का मार्गदर्शक आदर्श वाक्य, "सुप्रबंधे राष्ट्र समृद्धि", है जिसका भावार्थ है - "अच्छे प्रबंधन में राष्ट्र की समृद्धि निहित है"। यह motto, leadership ethos के सार को समुचित रूप से व्यक्त करता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि IIM Lucknow जैसे शिक्षण संस्थान भविष्य के उद्योग तथा व्यापार का ऐसा नेतृत्व तैयार करने में संलग्न हैं जिसके मूल में सतत विकास और सामाजिक कल्याण की सोच है। मैं इस कल्याणकारी और दूरदर्शी सोच के लिए IIM Lucknow की पूरी टीम को बधाई देती हूँ।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानि ‘सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है’ की परंपरा भी समाज और विश्व कल्याण को बढ़ावा देती है। इस सन्दर्भ में मैनेजमेंट संस्थानों का कार्य और भी अहम हो जाता है। उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की अंधी दौड़ ने मानवता को हानि पहुंचाई है। जलवायु परिवर्तन और ecological disturbances उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। इसी तरह profit maximisation की अवधारणा पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इस अवधारणा को प्राथमिकता नहीं दी गई है।

परन्तु उद्यमशीलता को भारतीय संस्कृति में प्रतिष्ठा दी गयी है। नैतिकता पूर्ण अर्थोपार्जन को पुरुषार्थ माना गया है। आज भारत के युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं, यह एक अच्छी बात है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा startup ecosystem है। आज भारत में Unicorns की संख्या भी 100 से अधिक है। भारत का नाम विश्व के सबसे बेहतर unicorn hubs में लिया जाता है। यह हमारे देश के युवाओं के technical knowledge के अलावा उनके management skills और business leadership का उदाहरण है। यही नहीं, भारत के युवा आज विश्व की leading tech companies के heads और CEOs भी हैं।

हमें देश के और अधिक प्रभावी तथा समावेशी विकास के लिए अपने management शिक्षण संस्थानों की शिक्षा पद्धति में भी कुछ बदलाव लाने होंगे। मैं आज यहाँ उपस्थित managers, educationists और organisational heads से कहना चाहूंगी कि Indian management studies को भारत की कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ें। विदेशों में स्थित व्यवसायों पर case studies और लेखों की जगह भारत में स्थित भारतीय और multinational कंपनियों पर case studies लिखी और पढाई जानी चाहिए। IIM Lucknow में की जा रही research को केवल विश्व प्रसिद्ध विदेशी journals तक ही सीमित ना रखें। हमारे management institutes को अपनी research का focus भारत में स्थित research journals पर भी रखना चाहिए। ख़ास तौर से उन भारतीय journals पर ध्यान देना चाहिए जो open access domain में हैं और जिनकी पहुँच देश के विभिन्न हिस्सों में अध्ययनरत हर वर्ग के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं तक है। साथ ही, इनका प्रचार विश्व स्तर पर होना चाहिए।

Management education में सर्वाधिक सम्मानित विचारकों में शामिल Peter Drucker कहते थे कि वे अपनी management theories के प्रमुख आधार social sciences से ग्रहण करते थे। यही holistic management thought की पहचान है। हाल ही में उत्तराखंड में Silkyara tunnel में से जिस तरह 41 मजदूरों को निकाला गया है उसकी सराहना तो की ही जा रही है, उस पर leadership studies की बात भी की जा रही है। विशेषकर leadership in crisis और teamwork in crisis के लिए यह बहुत अच्छा और जीवंत विषय है।

आज पूरे विश्व में Artificial intelligence, Augmented intelligence, generative AI, large language models इत्यादि पर दिन-रात काम हो रहा है। बहुत से लोगों को घबराहट भी है कि नौकरियाँ तो नहीं चली जायेंगी। आज भारत में भी iSPIRT और Bhashini जैसे बहुत अच्छे Projects चल रहे हैं। मैं आग्रह करूँगी कि AI के सभी आयामों को management की शिक्षा से जोड़ा जाए। मैं मानती हूँ कि जो AI को जानकर इसका सही उपयोग करेगा उसे AI के कारण नौकरी खोने का कोई डर नहीं होना चाहिए। मेरा मानना है कि IIM Lucknow और इस तरह के अन्य संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर curriculum बनाना चाहिए। परिवर्तन की रफ़्तार बहुत तेज है। आर्थिक जगत में उसका प्रभाव भी अहम होता है। ऐसे में उद्योग, व्यापार और आर्थिक प्रबंधन के भावी नेतृत्व को भविष्य के लिए तैयार रखना होगा।

देश और दुनिया के बदलते परिदृश्य में नई-नई चुनौतियां आती रहेंगी। एक विश्व स्तरीय प्रबंधन संस्थान विद्यार्थियों को उद्यमों से जुड़ी अनेक समस्याओं को सुलझाने के लिए तैयार करता है। विश्व में हो रहे नए और सफल प्रयोगों से भी हमें सीखना चाहिए। Campus के आस-पास उद्योग, व्यापार और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक ecosystem विकसित करना चाहिए जिससे हमारे देश के लिए विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग सुगम हो। मुझे विश्वास है कि भारत के शिक्षण संस्थान और उद्योग इस दिशा में मिलकर कार्य करेंगे और देश के समावेशी विकास में अपना योगदान देंगे। अंत में सभी पुरस्कार विजेताओं को मैं फिर से बधाई देती हूँ। मैं आपके स्वर्णिम भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूँ।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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