भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह और 107वें वार्षिक दिवस के आयोजन में सम्बोधन
नई दिल्ली : 26.02.2024
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आज इस दीक्षान्त समारोह और कॉलेज के 107वें वार्षिक दिवस में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं आज उपाधि प्राप्त कर रही सभी बेटियों को बधाई देती हूँ और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।
एक महिला को आज भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनेक सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मुझे बताया गया है कि आपकेसंस्थान के लोगो में एक लैटिन वाक्य अंकित है - Per ardua ad astra जिसका अर्थ है "through adversity to the stars"।
मुझे पूरा विश्वास है कि आप जितनी विपरीत परिस्थितियों से गुजरी होंगी, उतनी ही आपकी संकल्प-शक्ति एवं मनोबल को दृढ़ता मिली होगी। आपकी सफलता समाज के लिए प्रेरणा है। आपकी सफलता महिला सशक्तीकरण को गति देगी और सामाजिक रूढ़ि को तोड़ने का कार्य करेगी।
देवियो और सज्जनो,
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एक अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थान है। मुझे बताया गया है कि वर्ष 1916 में LHMC की यात्रा एक छोटे से संस्थान की तरह शुरू हुई थी। आज इस संस्थान में 200 से अधिक under-graduate, 150 से अधिक post-graduate seats हैं। LHMC में post-doctoral courses भी शुरू किए गए हैं जिनके माध्यम से यहां शोध कार्य भी हो रहे हैं। LHMC और संबंधित अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य में, विशेषकर महिला स्वास्थ्य में, सुधार और जागरूकता लाने के लिए भी प्रयत्नशील हैं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि LHMC को Organ Transplant Retrieval Centre के रूप में रजिस्टर किया गया है। Anti-microbial resistance की समस्या के हल के लिए LHMC ने Comprehensive Antibiotic Stewardship Program की शुरुआत की है और इस संस्थान को National AMR Surveillance Network में भी शामिल किया गया है। मुझे बताया गया है कि आपका संस्थान अन्य संस्थानों के साथ मिलकर iDrone Initiative के अंतर्गत Blood Bag Delivery पर भी कार्य कर रहा है। रक्त की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह एक सराहनीय प्रयास है।
LHMC ने नॉर्वे सरकार के साथ मिलकर, National Human Milk Bank and Lactation Counseling Centre “वात्सल्य - मातृ अमृत कोश” की स्थापना की है जो अन्य milk banks को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ स्तनपान के प्रति जागरूकता लाने एवं शिशु-मृत्यु दर कम करने में सहायक सिद्ध होगा।
देवियो और सज्जनो,
LHMC के कई छात्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े हुए थे। मैं सुप्रसिद्ध गांधीवादी और भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं, महान स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर सुशीला नय्यर जी का जिक्र करना चाहूँगी जो इसी संस्थान की विद्यार्थी थी। उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया था। सुशीला बेन ने सेवाग्राम में कस्तूरबा गांधी जी के नाम पर एक अस्पताल की शुरुआत की थी। उन्होंने Gandhi Memorial Leprosy Foundation से जुड़कर Leprosy patients के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। सुशीला जी का जीवन हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत है जिन्होंने अमेरिका से Doctor of Public Health डिग्री हासिल करने के बाद भी वहां के आकर्षक career को छोड़कर देशसेवा को चुना।
एक और गांधीवादी, डॉक्टर टी एस सुंदरम जी ने भी इस संस्थान से शिक्षा ग्रहण की थी। डॉक्टर सुंदरम जी ने गांधी जी के पद-चिन्हों पर चलते हुए तमिलनाडु में Gandhigram Rural Institute एवं Kasturba Hospital की स्थापना की थी।
आज, मैं लेडी हार्डिंग को भी याद करना चाहूँगी जिन्होंने महिलाओं की पीड़ा को दूर करने के उद्देश्य से इस संस्थान का शिलान्यास किया था।
देवियो और सज्जनो,
कोरोना महामारी के दौरान healthcare professionals ने अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना, जिस समर्पण और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की उसकी मानवता हमेशा ऋणी रहेगी।
आज मेडिकल साइंस सिर्फ इलाज करने तक ही सीमित नहीं हैं। इसका कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक हो गया है। 4 th Industrial Revolution की वजह से physical, digital and biological realms के बीच की खाई समाप्त हो रही है। Synthetic biology में हो रहे नए-नए प्रयोग, CRISPR gene editing जैसी नई तकनीक सदियों से बनी हुई समस्याओं का हल खोजने में मददगार साबित हो रही हैं। लेकिन इन तकनीकों के दुरुपयोग का संकट भी बना हुआ है। मुझे आशा है कि आप अपने professional जीवन में नैतिकता और उच्च मूल्यों के अनुरूप कार्य करते हुए ‘one health’ की integrated approach से सभी समस्याओं का हल निकालने का प्रयास करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
किसी भी देश की चिकित्सा सुविधाओं का स्तर, उस देश के विकास स्तर का सूचक होता है। कई reports के अनुसार आज भी भारत में प्रति व्यक्ति doctors और nurses की संख्या आदर्श मानकों से कम है। देश की अधिकतम आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में होने के बावजूद भी healthcare की सुविधाएं शहरी क्षेत्रों में अधिक केन्द्रित हैं।
भारत सरकार ने हाल के वर्षों में medical education को व्यापक बनाने के अनेक प्रयास किए हैं जिनमें मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या बढ़ाने और नए कॉलेज शुरू किए जाने जैसे कदम शामिल हैं। सरकार ने “सर्वे सन्तु निरामयाः” की भावना के साथ आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की है जिसके माध्यम से देश के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के परिवारों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
देवियो और सज्जनो,
डॉक्टर को हमारे समाज के लोग भगवान समझते हैं। आप अपनी इस नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए उसी के अनुकूल आचरण करें। आप सही अर्थ में एक सफल डॉक्टर या नर्स तभी मानें जाएँगे जब आपमें पेशेवर दक्षता के साथ-साथ करुणा, दया और सहानुभूति जैसे मानवीय मूल्य विद्यमान हों।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि “परहित सरिस धरम नहिं भाई” जिसका अर्थ है दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है। आपको इसी बात को चरितार्थ करना है। एक अच्छे healthcare professional होने के लिए एक अच्छा इंसान होना भी जरूरी है। गांधी जी ने भी Knowledge without character और Science without humanity को पाप बताया है। इसलिए आपका प्राथमिक ध्येय धनोपार्जन नहीं, बल्कि ‘service before self’ होना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आज उपाधि प्राप्त कर रही सभी बेटियाँ जहां भी होंगी, वहां excellence के नए मानक स्थापित करेंगी। मैं एक बार फिर सभी बेटियों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूँ। 107 वर्षों के अद्वितीय सफर के लिए समस्त LHMC परिवार को बधाई देती हूँ। आशा करती हूं कि यह संस्थान न केवल आने वाले वर्षों में भी जनता की सेवा करता रहेगा, बल्कि अपने अनुभवों और कार्यों से देश के अन्य संस्थानों को भी राह दिखाएगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!