भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भगवान बिरसा मुंडा की जयंती की पूर्व संध्या पर संदेश
नई दिल्ली : 14.11.2024
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मेरे प्यारे देशवासियो,
नमस्कार!
जोहार!
सभी देशवासियों को मैं ‘जनजातीय गौरव दिवस’ की बधाई देती हूं। हम सब, ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के साल भर चलने वाले उत्सव का शुभारंभ कर रहे हैं। सभी देशवासियों की ओर से, मैं भगवान बिरसा मुंडा की पावन स्मृति को सादर नमन करती हूं।
जनजातीय गौरव तथा संविधान के आदर्शों के प्रति देश में नई चेतना का संचार हो रहा है तथा इस चेतना को कार्यरूप दिया जा रहा है। यह भावना जनजातीय समाज सहित पूरे देश के उज्ज्वल भविष्य का आधार बनेगी।
दो वर्ष पहले, झारखंड राज्य में स्थित भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू में जाकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने का सौभाग्य मुझे मिला था।
पिछले वर्ष ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी उलिहातू जाकर, भगवान बिरसा मुंडा का आशीर्वाद लिया। किसी प्रधानमंत्री द्वारा उलिहातू की वह पहली यात्रा थी। इससे जनजातीय समाज के लोगों को बहुत खुशी हुई। उसी दिन, झारखंड से ही ‘पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा-अभियान’ यानी PM-JANMAN का शुभारंभ किया गया।
प्यारे देशवासियो,
अठारहवीं सदी से ही, जनजातीय समाज ने, ब्रिटिश हुकूमत के अन्याय का संगठित विरोध किया था। वर्ष 1855 में संथाल-हूल का नेतृत्व करने वाले बहादुर भाइयों सिद्धो-कान्हू और चांद-भैरव के साथ फूलो-झानो जैसी वीरांगना बहनों ने भी असाधारण साहस का परिचय दिया था। जब मैं झारखंड में राज्यपाल थी, तब उरीमारी गांव में जाकर वीर महानायकों सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मुझे मिला था।
वर्ष 2021 से भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने की परंपरा का सूत्रपात किया है। जनजातीय समुदाय के प्रति सम्मान व्यक्त करने के इस निर्णय की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है। जनजातीय लोगों के गौरवशाली योगदान से देशवासियों को परिचित कराने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। जनजातीय महानायकों की स्मृति में देश के विभिन्न क्षेत्रों में संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। रांची में भगवान बिरसा मुंडा का संग्रहालय एक तीर्थ स्थल की तरह सम्मानित हो गया है। राष्ट्रपति भवन में भी ‘जनजातीय दर्पण’ नामक संग्रहालय विकसित किया गया है।
प्यारे देशवासियो,
मैं तिलका मांझी तथा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर लक्ष्मण नायक जैसे अनेक जनजातीय महानायकों की कहानियां सुनते हुए बड़ी हुई। लेकिन, सामान्य लोगों के बीच उन महानायकों के विषय में उतनी जानकारी नहीं होती थी। सरकार के प्रयासों द्वारा अब जनजातीय स्वाधीनता सेनानियों की कथाओं से लोग भली-भांति परिचित होने लगे हैं।
युगों-युगों से, जनजातीय समाज के लोग, हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध बनाते रहे हैं। रामायण की कथा में हमारे समाज के शाश्वत जीवन-मूल्य दिखाई देते हैं। अपने लंबे वनवास के दौरान, प्रभु श्रीराम, जनजातीय समाज के लोगों के साथ, उन्हीं की तरह रहे। भगवान श्रीराम ने वनवासियों को अपनाया और वनवासियों ने प्रभु श्रीराम को अपनाया। जनजातीय समाज का यह अपनापन और समरसता ही हमारी संस्कृति और सभ्यता का आधार है।
प्यारे देशवासियो,
मुझे यह साझा करते हुए प्रसन्नता होती है कि जनजातीय भाषा ‘संथाली’ को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रयासों में मेरा भी योगदान था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में यह संभव हुआ था।
स्वाधीनता के कई दशकों के बाद भी जनजातीय समुदाय के अधिकांश लोगों को अपना घर न होने तथा बिजली-पानी-सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कठिन जीवन बिताना पड़ता था। बीमारी की हालत में इलाज के खर्च का बोझ उनके जीवन को और कठिन कर देता था। उनके लिए विकास के रास्ते भी सुगम नहीं थे। जनजातीय समाज के भाई-बहन अपनी सदियों पुरानी कला विरासत के बल पर बहुत सुंदर वस्तुएं बनाते हैं। कुछ ऐसे कानून थे जिनसे जनजातीय लोगों के कुछ उद्यमों पर रोक लग गई थी। साथ ही, अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की जानकारी और सुविधाओं की कमी उनके विकास में बाधक थी। इस प्रकार, आवास, यातायात, चिकित्सा, शिक्षा तथा रोजगार की आवश्यकताएं पूरी न होने के कारण वे लोग विकास की मुख्यधारा से दूर रह गए थे।
लेकिन, अब इन सुविधाओं को उन तक पहुंचाया जा रहा है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। साथ ही, उनके लिए आर्थिक विकास के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
वर्तमान सरकार ने जनजातीय विकास और कल्याण की यात्रा को तेज गति से बहुत आगे बढ़ाया है। बहुत बड़े पैमाने पर अनेक अभियान और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
विकास और कल्याण के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जनजातीय समाज तक सभी सुविधाएं पहुंचाने के विशेष उपाय किए गए हैं। इसके अलावा, जनजातीय समुदायों के लिए अलग से विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।
देश के लगभग 750 जनजातीय समूहों के लोग हमारे लिए विशेष स्थान रखते हैं। इनमें PVTG समूहों की संख्या 75 है। वे देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। पिछले वर्ष जून में मैंने देश के PVTG समुदायों के भाई-बहनों को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया था। उनके साथ मैंने काफी समय बिताया था तथा उनकी समस्याओं के समाधानों पर बातचीत की थी। राष्ट्रपति भवन में सभी क्षेत्रों व राज्यों के जनजातीय समूहों से मैं मिलती रही हूं। विभिन्न राज्यों तथा संघ राज्यक्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान, मैं वहां के जनजातीय समुदायों पर केन्द्रित कार्यक्रमों में शामिल होती हूं, उनसे बातचीत करती हूं। मैं जनजातीय बहनों से भेंट करने को विशेष प्राथमिकता देती हूं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि बड़ी संख्या में, हमारी जनजातीय बहनें, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से, तथा अन्य माध्यमों से, आर्थिक आत्म-निर्भरता प्राप्त कर रही हैं। उनके लिए विकास के अवसर बढ़ रहे हैं।
प्रमुख राष्ट्रीय योजनाओं के लाभ सभी जनजातीय लाभार्थियों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचें, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
पिछले वर्ष ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आरंभ किए गए PM-जनमन अभियान का उद्देश्य देश के PVTG समुदायों के लोगों का व्यापक विकास करना है। इस अभियान के तहत 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से, तीन वर्ष की समय सीमा के पहले ही, अनेक सुविधाओं को PVTG समुदाय के लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन 2 अक्टूबर को, भगवान बिरसा मुंडा की धरती से ही, केंद्र सरकार द्वारा ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ का आरंभ किया गया है। लगभग 80 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले इस अभियान का लक्ष्य है कि हर जनजातीय व्यक्ति को सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे। सड़कों और मोबाइल कनेक्टिविटी के द्वारा हर जनजातीय गांव जुड़ सके। सभी जनजातीय परिवारों के पास अपना पक्का घर हो। विकास और कल्याण के इस अभियान से लगभग 63 हजार जनजातीय गांव लाभान्वित होंगे। इस देशव्यापी अभियान से 5 करोड़ से भी अधिक जनजातीय लोगों को लाभ पहुंचेगा।
प्यारे देशवासियो,
जनजातीय बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए देश में 700 से अधिक Eklavya Model Residential School बनाए जा रहे हैं। मैंने कई एकलव्य विद्यालयों की आधारशिला रखी है और अन्य अनेक विद्यालयों का उद्घाटन किया है। यह प्रसन्नता की बात है कि 30 लाख से अधिक जनजातीय विद्यार्थियों को scholarship मिल रही है। विदेश में पढ़ाई करने के लिए भी scholarship दी जा रही है। जनजातीय समाज के युवा Civil Services में, Medical और Engineering में तथा अन्य क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर शामिल हो रहे हैं।
वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य के तहत जनजातीय समाज से Sickle Cell Anemia बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य भी रखा गया है।
यह तथ्य उल्लेखनीय है कि Development Action Plan for Scheduled Tribes यानी अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्रवाई योजना हेतु धनराशि के आबंटन में पिछले दशक के दौरान कई गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2024-25 के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट 13 हजार करोड़ रुपए का है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 74 प्रतिशत अधिक है।
जब हमारे जनजातीय भाई-बहन विकसित होंगे तभी हमारा देश भी सही अर्थों में विकसित होगा। जनजातीय समाज के लोगों की तेज गति से प्रगति हो यह हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है।
हमारी प्राथमिकता है कि जनजातीय समाज की सदियों पुरानी पहचान बनी रहे और साथ ही उनका आधुनिक विकास भी होता रहे।
प्यारे देशवासियो,
मैंने जनजातीय समाज के दुख-दर्द को केवल देखा ही नहीं है, खुद महसूस भी किया है। जनसेवा की मेरी यात्रा का आरंभ Tribes Advisory Council की सदस्य के रूप में हुआ था। अब जनजातीय लोगों के जीवन को बेहतर होता देखकर मुझे खुशी होती है।
जनजातीय समाज की प्रतिभाओं को अधिक मान्यता भी मिल रही है। जनजातीय समुदाय के लगभग 100 लोगों को बीते 10 वर्षों के दौरान पद्म विभूषण, पद्म भूषण तथा पद्म श्री पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
अनेक राज्यों के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री, केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रीगण तथा उच्च पदों पर आसीन अनेक व्यक्ति जनजातीय समाज से आते हैं।
जनजातीय समाज के लोगों सहित, सभी देशवासियों का जो अपार स्नेह मुझे मिलता है वह मुझे कभी-कभी भावुक बना देता है। मेरी इस भावुकता के पीछे आज की यह सुखद सच्चाई भी है कि जनजातीय भाई-बहनों और युवाओं के लिए आज विकास का खुला आसमान उपलब्ध है। वे जितनी भी ऊंची उड़ान भरना चाहें, समाज और सरकार उनके साथ हैं।
इसी आशा और विश्वास के साथ मैं सभी देशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की बधाई देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!