भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय कला महोत्सव में सम्बोधन

राष्ट्रपति निलयम, सिकंदराबाद : 28.09.2024

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आज हम सब राष्ट्रपति निलयम में देश की समृद्ध संस्कृति और ‘विविधता में एकता’ का उत्सव मना रहे हैं। हम यहां पूर्वोत्तर भारत की अनूठी कला-संस्कृति को जीवंत रूप में देख रहे हैं। मुझे यहां के pavilions में उत्कृष्ट हस्तशिल्प, हथकरघा और अन्य कलाओं का प्रदर्शन देखने को मिला। पूर्वोत्तर के GI उत्पादों से लेकर असम के माजुली मास्क, त्रिपुरा के रिगनाई कपड़ा, अरुणाचल प्रदेश के मोंपा वस्त्र और मिजोरम के पुंचेई कपड़ा, प्रत्येक उत्पाद अपने आप में अनूठा है। नागालैंड के कारीगरों द्वारा नेटल यार्न की hand-spinning, मणिपुर के lotus silk निकालने की प्रक्रिया, मेघालय की खेनेग कढ़ाई और सिक्किम की थंगका पेंटिंग को देखकर बहुत अच्छा लगा।

देवियो और सज्जनो,

पूर्वोत्तर के राज्यों की सांस्कृतिक विविधता, उनके लोकनृत्य, संगीत, कला और पारंपरिक पहनावे हमारे देश की धरोहर हैं। इस क्षेत्र की परम्पराओं और समुदायों की जानकारी से सभी देशवासियों को और अधिक परिचित कराने की दिशा में यह महोत्सव एक प्रयास है। मुझे विश्वास है कि यह सांस्कृतिक उत्सव, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। मुझे आशा है कि अगले आठ दिनों में, अधिक से अधिक लोग इस महोत्सव में आएंगे, पूर्वोत्तर की संस्कृति के साथ जुड़ेंगे, और इसे अपने यादों में संजो कर ले जाएंगे।

यह उत्सव सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का भी एक अवसर है। पूर्वोत्तर की परंपराओं और प्रतिभाओं को आगे लाकर, आप सब इन राज्यों के कारीगरों, कलाकारों और समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। उनकी प्रतिभा को व्यापक स्तर पर लोगों तक पहुंचाने तथा उनके विकास के नए अवसर पैदा करने के लिए एक मंच भी प्रदान कर रहे हैं। North-East के लोग अपने अतिथि-सत्कार, परिश्रम और उत्साह के लिए जाने जाते हैं। मैं जब भी वहां के राज्यों में गई हूं, मुझे लोगों का भरपूर स्नेह मिला है।

इस वर्ष फरवरी में, राष्ट्रपति भवन में, 'विविधता का अमृत महोत्सव' आयोजित किया गया था। यह भारतीय कला महोत्सव उसी की अगली कड़ी है। उस उत्सव के दौरान हमने अपने देश की सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों के उत्साह और जिज्ञासा को देखा था। उस पहल से प्रेरित होकर, इस उत्सव को सिकंदराबाद में आयोजित किया गया है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। भारत सरकार की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की पहल के अंतर्गत राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इस अवसर पर मैं आप सब को यह बताना चाहूंगी कि राष्ट्रपति भवन के साथ-साथ राष्ट्रपति निवास, शिमला और राष्ट्रपति निलयम, सिकंदराबाद के द्वार सामान्य लोगों के लिए खुले रहते हैं। इन संपदाओं का भ्रमण करके लोगों को हमारे देश की समृद्ध विरासत और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर मिल रहा है।

मैं सभी कलाकारों और कारीगरों की सराहना करती हूं जो इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए यहां आए हैं। आपकी प्रतिभा और समर्पण प्रशंसनीय हैं। मैं इस आयोजन के लिए DONER मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय की भी सराहना करती हूं। मुझे विश्वास है कि सभी संस्थाओं की और सामान्य-जन की भागीदारी से यह प्रयास सफल होगा।

धन्यवाद, 
जय हिंद! 
जय भारत!

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