भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के अवसर पर सम्बोधन
नई दिल्ली : 17.10.2023
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 115.62 किलोबाइट)
मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी विजेताओं को बधाई देती हूं। आप सब पुरस्कार विजेताओं के उन सहयोगियों की भी मैं सराहना करती हूं जिनका योगदान आपकी उपलब्धि में सहायक रहा है।
वहीदा रहमान जी को ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। मैं वहीदा जी को हार्दिक बधाई देती हूं। उन्होंने अपनी कला और व्यक्तित्व से फिल्म जगत के शिखर पर अपना स्थान बनाया है। अपने निजी जीवन में भी उन्होंने गरिमा, आत्म-विश्वास और मौलिकता से युक्त महिला के रूप में अपनी पहचान बनाई है। मुझे बताया गया है कि उन्होंने फिल्मों में काम करने के लिए कोई दूसरा नाम रखने से इनकार कर दिया था, जबकि दूसरा नाम रखना उस दौर का चलन था। उन्होंने कई ऐसी फिल्में चुनीं जिनमें उनकी भूमिका, महिलाओं से जुड़े बंधनों को तोड़ती थी। वहीदा जी ने यह मिसाल पेश की है कि women empowerment के लिए खुद महिलाओं को भी पहल करनी चाहिए।
आज श्रेष्ठ अभिनय के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाली पल्लवी जोशी, आलिया भट्ट और कृति सेनन जैसी अभिनेत्रियों ने भी सशक्त महिला चरित्रों की भूमिकाएं निभाई हैं। मुझे खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेरा ने ‘एक था गांव’ नामक अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता का चित्रण किया है। महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान में वृद्धि होगी।
देवियो और सज्जनो,
इस पुरस्कार समारोह में हमने भारत की विविधताओं और उनमें निहित एकता का दर्शन किया है। यहां उपस्थित प्रतिभाशाली लोगों ने अनेक भाषाओं, क्षेत्रीय विशेषताओं, सामाजिक मान्यताओं, उपलब्धियों और समस्याओं को सार्थक अभिव्यक्ति प्रदान की है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में कई पीढ़ियों और वर्गों के लोग एक साथ आते हैं। इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं में एक ओर वहीदा रहमान जी हैं तो दूसरी ओर बाल कलाकार भाविन हैं जो गुजरात के निवासी हैं और रबारी जनजातीय समुदाय से आते हैं। मुझे बताया गया है कि मास्टर भाविन फिल्में मुश्किल से देख पाते हैं क्योंकि उनके गांव से सिनेमा हॉल बहुत दूर है।
फिल्म जगत के सभी भाइयो और बहनो,
अपनी फिल्मों के जरिए आप सब भारतीय समाज के विविधतापूर्ण यथार्थ से जीवंत परिचय कराते हैं। सिनेमा हमारे समाज का दस्तावेज़ भी है और उसे बेहतर बनाने का माध्यम भी है। आप सभी artist भी हैं और change-agent भी हैं। आप सब देश के बारे में जानकारी भी देते हैं और देशवासियों को एक- दूसरे से जोड़ते भी हैं।
फिल्म केवल एक industry नहीं है। यह केवल व्यापार और मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है। यह जागरूकता और संवेदनशीलता फैलाने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम है।
मुझे इस वर्ष की पुरस्कृत फिल्मों के बारे में जो जानकारी दी गई है उससे मैं बहुत प्रभावित हुई हूं। इन फिल्मों में जलवायु परिवर्तन, girls’ trafficking, नारी का उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और सामाजिक शोषण जैसी समस्याओं का चित्रण किया गया है। जनजातीय समुदायों का प्रकृति तथा कला से प्रेम, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों की स्थापना, विपत्तियों के बीच अदम्य उत्साह से संघर्ष करना, शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और कला तथा संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों जैसे विविध विषयों पर अच्छी फिल्में बनाई गई हैं। मैं लीक से हटकर ऐसी फिल्में बनाने वाले सभी लोगों की विशेष सराहना करती हूं। ऐसी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कारों के माध्यम से प्रोत्साहित करने के लिए मैं सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर जी, उनकी पूरी टीम तथा निर्णायक मण्डल के सदस्यों की प्रशंसा करती हूं। मेरा यह विचार है कि भारतीय फिल्मों को देश की सामाजिक विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का वाहक होना चाहिए। मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि ऐसी फिल्में न सिर्फ़ देश और समाज के लिए हितकारी होंगी, बल्कि व्यवसायिक रूप से भी सफल होंगी। मेरा आप लोगों से आग्रह है कि इस प्रयोग को आप और मजबूती से करें।
देवियो और सज्जनो,
चंद्रयान की सफलता पर सभी देशवासी गर्व का अनुभव करते हैं और ISRO के वैज्ञानिकों के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। सर्वश्रेष्ठ feature film के पुरस्कार से सम्मानित ‘Rocketry: The Nambi Effect’ नामक फिल्म द्वारा वर्ष 2019 में पद्म-भूषण से सम्मानित किए गए ISRO के भूतपूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन जी की संघर्षपूर्ण जीवन-गाथा का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है। मैं इस फिल्म की पूरी टीम को बधाई देती हूं। सार्थक फिल्मों में समाज और देश की उपलब्धियों का भी चित्रण होता है और समस्याओं का भी।
सभी देशवासियों ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है तथा स्वाधीनता संग्राम में बलिदान देने वाले पूर्वजों का सादर स्मरण किया है। जलियांवाला बाग का नरसंहार और उसके बाद की घटनाएं हमारी सामूहिक चेतना का अभिन्न अंग हैं। आज पुरस्कृत ‘सरदार उधम’ नामक फिल्म के द्वारा जलियांवाला बाग से जुड़ी स्वाधीनता संग्राम की एक महत्वपूर्ण धारा से दर्शकों का परिचय होता है।
परम वीर चक्र से सम्मानित भारत-माता के अमर सपूत, कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा की जीवन-गाथा पर आधारित फिल्म ‘शेरशाह’ को विशेष पुरस्कार प्रदान करने के लिए मैं निर्णायक मण्डल की सराहना करती हूं और उस फिल्म से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं। राष्ट्रीय एकता के महत्व को रेखांकित करने के लिए इसे हमारे संविधान की प्रस्तावना तथा अन्य प्रावधानों में स्थान दिया गया है। सिनेमा द्वारा ऐसे राष्ट्रीय आदर्शों का प्रसार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय एकता के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मैं ‘Kashmir Files’ की टीम को बधाई देती हूं।
जनजातीय संघर्ष को नेतृत्व प्रदान करने वाले महानायक अल्लुरि सीताराम राजू की जीवनी से प्रेरणा लेकर एस. एस. राजामौली जी ने ‘RRR’ नामक बहुत ही लोकप्रिय फिल्म बनाई है। उस फिल्म के एक गीत को best song का Academy Award भी मिला है। मैं उस फिल्म की सफलता तथा अंतर-राष्ट्रीय मान्यता के लिए उनकी पूरी टीम को बधाई देती हूं।
आज के पुरस्कारों की लंबी किन्तु प्रभावशाली सूची में से मैं कुछ फिल्मों और लोगों का ही उल्लेख कर पाई हूं। आज पुरस्कृत सभी फिल्मों और उनसे जुड़े सभी लोगों ने समाज और सिनेमा को बहुत प्रभावशाली योगदान दिया है। मैं सबको हार्दिक बधाई देती हूं।
मुझे विश्वास है कि प्रतिभाओं से समृद्ध हमारे देश में सिनेमा से जुड़े लोग विश्वस्तरीय उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करते रहेंगे। विकसित भारत के निर्माण में फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, इसी विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!