भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय, सिकंदराबाद को राष्ट्रपति-निशान प्रदान करने के अवसर पर संबोधन
सिकंदराबाद : 20.12.2024
मुझे इस त्रि-सेवा प्रशिक्षण संस्थान को राष्ट्रपति निशान प्रदान करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह अवसर हमारे सशस्त्र बलों के भविष्य के रणनीतिक अघिकारी तैयार करने में रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करने का भी अवसर है।
मैं, पिछले पांच दशकों में इस संस्थान की यात्रा और भारतीय थल सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बल के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण के उच्च मानकों को प्राप्त करने में भागीदार सभी लोगों को बधाई देती हूं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारतीय अधिकारियों के अलावा, विदेशी मित्र देशों के सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारियों को भी वर्षों से यहां प्रशिक्षित किया गया है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को और मजबूत करने में सहयोग मिला है।
मुझे बताया गया है कि यह संस्थान प्रभावी निर्णय लेने के लिए सशस्त्र बलों के अधिकारियों को ज्ञान और कौशल प्रदान करता है। रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय भारतीय सशस्त्र बलों को उनके सामने आने वाली वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण विकसित करने के साथ कार्य करता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह कॉलेज एकीकृत संचालन के लिए अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुझे आज महिला अधिकारियों को देखकर प्रसन्नता हुई है। मैं रक्षा सेवाओं के विभिन्न कार्यक्रमों में, विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने के लिए महिला अधिकारियों को प्रोत्साहित और उनकी सराहना करती रही हूं। आप उन सभी महिलाओं और युवा बेटियों के लिए प्रेरणा हैं जो आगे बढ़ने का सपना देखती हैं।
मुझे बताया गया है कि इस कॉलेज द्वारा दी जाने वाली शिक्षा सशस्त्र बलों की परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रिय अधिकारियो,
हम सब अपने जीवन में प्रौद्योगिकी में हो रहे परिवर्तन से पड़ रहे प्रभाव को देख रहे हैं और उसमें शामिल भी हो रहे हैं। प्रौद्योगिकी में प्रगति होने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। युद्ध की पारंपरिक परिभाषाओं और पद्धतियों को उभरती प्रौद्योगिकियों और नई रणनीतिक साझेदारियों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत उभरती प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उच्च प्राथमिकता दे रहा है और दक्षता बढ़ाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए भारतीय रक्षा प्रणालियों में उनका उपयोग कर रहा है।
भारत सरकार ने रक्षा उद्योग की स्वदेशी निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। मेक इन इंडिया, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और रक्षा औद्योगिक गलियारों के विकास जैसी पहलों के माध्यम से सरकार भारतीय और विदेशी निवेशकों को हमारे रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। स्वदेश में निर्माण को ध्यान में रखते हुए, कई रक्षा उत्पादों का यहीं निर्माण किया जाएगा और उनका आयात नहीं किया जाएगा। अब भारत में ही तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का निर्माण करके आत्मनिर्भरता के एक नए चरण की शुरुआत करने का समय आ गया है। आप सब से अपेक्षा की जाती है कि आप आत्मनिर्भर बनने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में पूरे मन से योगदान दें। भारत, रक्षा आधुनिकीकरण के क्षेत्र में अपने पारंपरिक बलों को उन्नत करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, साइबर वारफेयर क्षमताओं और अंतरिक्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों सहित अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने के समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर, भारत रणनीतिक रक्षा साझेदारी बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। बहुपक्षीय आर्थिक और सैन्य ढांचे तथा कार्यक्रमों के माध्यम से, क्षेत्रीय और वैश्विक रक्षा चर्चाओं में भारत का प्रभाव काफी बढ़ा है। वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा क्षमताओं से भारत की ताकत और दूरदर्शिता दोनों का पता चलता है। आत्मनिर्भरता, तकनीकी उन्नति और रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा तो कर ही रहा है साथ ही, वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान दे रहा है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, भारत के रक्षा क्षेत्र का विकास करते रहना है और इसे समय-अनुकूल बनना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश, तेजी से जुड़ती जा रही और जटिल दुनिया में ताकत, लचीलेपन और सहयोग का स्रोत बना रहे।
प्रिय अधिकारियो,
हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ-साथ परिचालन गतिशीलता (ऑपरेशनल डायनामिक्स) में हो रहे बदलाव से स्वयं को अपडेट रखना आवश्यक है। ग्रे जोन वारफेयर और हाइब्रिड वारफेयर के इस युग में, रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। आज के दौर में युद्ध, युद्ध के मैदानों में ही नहीं इससे बाहर भी लड़े जाते हैं। आज का समय मनोवैज्ञानिक युद्ध का समय है। मैं, आप सब से समय के साथ चलने और तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत रहने का आग्रह करती हूं।
भारत की बढ़ी हुई रक्षा प्रबंधन क्षमता से कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी को सुदृढ़ करने और रक्षा निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे वैश्विक सुरक्षा मंचों पर भारत को सक्रिय रुख बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। भारतीय रक्षा क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों की भारत की अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक ऐसे प्रमुख देश के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, जो वैश्विक सुरक्षा खतरों का सक्रिय रूप से जवाब दे सके। मुझे विश्वास है कि आपके सामूहिक प्रयासों और व्यक्तिगत उत्कृष्टता के आधार पर, भारत वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के सपने को साकार कर पाएगा।
अंत में, मैं आप सब के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!