भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस) की स्वर्ण जयंती समारोह में संबोधन
बेंगलुरु : 03.01.2025
आज एक ऐतिहासिक अवसर है और इस अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, यानी निम्हांस, अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है। यह जयंती न केवल इस प्रतिष्ठित संस्थान के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं, इस अवसर पर संस्थान के पूर्व और वर्तमान संकाय सदस्यों, प्रशासकों और विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ। मानसिक स्वास्थ्य के महान उद्देश्य के प्रति आप सब के समर्पण से निम्हांस ने हमारे समाज में एक अनुकरणीय भूमिका निभाई है। रोगी की सम्पूर्ण देखभाल तथा नवोन्मेषी अनुसंधान और गहन शैक्षणिक कार्यक्रम से यह संस्थान मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान बन गया है।
मैं समझती हूं कि इस संस्थान का इतिहास 19वीं शताब्दी का है और इस प्रकार इसके लगातार विकास से आधुनिक भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के विकास का पता चलता है। आज का अवसर हमारे प्रथम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, निम्हांस से पूर्व के अखिल भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के 70 वर्ष पूरे होने का भी स्मरणोत्सव है, साथ ही राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में एक दशक पूरा होने का भी है।
निम्हांस ने अपनी स्थापना के बाद से इस क्षेत्र में आई जटिल चुनौतियों का समाधान करने में भी अभिनव भूमिका निभाई है। समुदाय आधारित मानसिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र बेल्लारी मॉडल ने इतिहास कायम किया है। यह केंद्र, जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने के लिए टेली मानस (MANAS) प्लैटफ़ार्म, प्रौद्योगिकी का प्रयोग करता है। यह प्रसन्नता की बात है कि पूरे देश में 53 टेली मानस सेल ने पिछले दो वर्षों के दौरान लगभग 17 लाख लोगों को उनकी भाषा में सेवा प्रदान की है। इस सेवा के लिए निम्हांस प्रशंसा का पात्र है। मैं इस प्लैटफ़ार्म का सहयोग करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को भी बधाई देती हूं।
यहां के नवाचार की इस परंपरा को अब वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निम्हांस को स्वास्थ्य संवर्धन के लिए नेल्सन मंडेला पुरस्कार से सम्मानित किया है, यह देश के लिए गर्व की बात है।
देवियो और सज्जनो,
अतीत में, कुछ समुदाय मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और चिंताओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते थे। किन्तु आजकल मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। मानसिक बीमारियों से जुड़ी अवैज्ञानिक मान्यताएँ और प्रथाएं अब बीते दिनों की बात हो चुकी है हैं। इसलिए विभिन्न मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए अब चिकित्सा सुविधा प्राप्त करना अब आसान हो गया है।
आज जब दुनिया भर में कई तरह की मानसिक समस्याएँ महामारी का रूप ले रही हैं, इसलिए विशेष रूप से यह एक स्वागत योग्य कार्य है। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के कारण ऐसी चिंताएं बढ़ी हैं। कई वैश्विक कारणों से ऐसा हो रहा है। हर आयु वर्ग को लीक से अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सामाजिक दबावों और तुलना करने के कारण आज किशोरों और युवाओं को अपनी पढ़ाई में अधिक अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। कामकाजी पेशेवरों को और अधिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है और बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोग सामाजिक परिवर्तनों के कारण अकेलेपन से परेशान हैं। घरेलू जिम्मेदारियों और परिवार की देखभाल का बोझ उठाने वाली महिलाएं कई तरह की ऐसी मानसिक बीमारियों से परेशान होती हैं, जिन पर आमतौर पर ध्यान नहीं दिया जाता।
हालांकि, यह जानकर वास्तव में प्रसन्नता होती है कि इस संबंध में बढ़ती हुई जागरूकता से रोगी अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर पा रहे हैं। संगठनों ने ऐसे मुद्दों पर कार्य करने के लिए तंत्र स्थापित करना आरंभ कर दिया है। टेली मानस जैसी पहल कहीं भी और कभी भी परामर्श की सुविधा प्रदान करती है।
निम्हांस ने भी ऐसी चिंताओं को दूर करने के लिए कई अन्य पहल चलाई हैं। “संवाद” प्लैटफार्म पर बच्चों और किशोरों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जाता है। मनोभ्रंश से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल सहित वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग किया गया है। कमजोर महिलाओं को हो जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सेवाएं और देखभाल उपलब्ध हैं।
मेरा मानना है कि निम्हांस ने साबित कर दिखाया है कि स्वास्थ्य सेवा की आधुनिक प्रणालियाँ, मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के कष्टों को कम करने के लिए योग जैसी पारंपरिक पद्धतियों से सफलतापूर्वक जोड़ी जा सकती हैं। निम्हांस की एकीकृत चिकित्सा सेवाएँ मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को बढ़ावा देने और मनोरोग और तंत्रिका संबंधी विकारों के उपचार में योग और आयुर्वेद के प्रयोग की जाँच करने के लिए सभी के लिए एक मॉडल रही हैं।
ध्यान के विभिन्न प्रकार के प्रयोग भी नकारात्मक मानसिक स्थितियों से निपटने में कारगर हैं, और मुझे विश्वास है कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सेवा मॉडल से जोड़ा जा रहा है। ध्यान के पारंपरिक प्रयोगों की उल्लेखनीय बात यह है कि ये सभी के लिए फायदेमंद हैं। हमारे प्राचीन ऋषियों और द्रष्टाओं से प्राप्त ज्ञान और जीवन के पाठ हम सब को एक आध्यात्मिक वातावरण विकसित करने में मदद कर सकते हैं हम जीवन के उन उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं जो मन के संतुलन को प्रभावित करते हैं। हमारे शास्त्रों से हमें पता चलता है कि दुनिया में हम जो कुछ भी देखते हैं वह मन के कारण देखते हैं।
एक स्वस्थ मन एक स्वस्थ समाज की नींव है। मुझे विश्वास है कि ज्ञान और बुद्धि के साथ-साथ करुणा और दया से आप सब और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हुए अन्य विशेषज्ञ हर समय, हर स्थिति में उच्चतम गुणवत्तायुक्त चिकित्सकीय प्रदान कर सकेंगे।
जैसे-जैसे मन और मस्तिष्क की देखभाल आज दुनिया में अत्यधिक प्रासंगिक होती जा रही है, मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन पर अधिक ध्यान देना आने वाले वर्षों में और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।
देवियों और सज्जनो,
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि निम्हांस में विभिन्न स्तरों पर महिला-पुरुष का अनुपात अच्छा है। मैंने पाया है कि स्नातक विद्यार्थियों में से 79.7 प्रतिशत और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों में से 61.4 प्रतिशत महिलाएं हैं। मेरा मानना है कि महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य सेवा के देखभाल और अनुसंधान क्षेत्र में एक विशेष कार्य कर सकती हैं।
आज ही मैंने मनोचिकित्सा के सब-स्पेशलिटी ब्लॉक, केंद्रीय प्रयोगशाला परिसर और भीम छात्रावास का उद्घाटन भी किया है। मैं, एक बार फिर आप सब को पचास वर्ष से देश की सेवा करने पर बधाई देती हूं, और आपके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद!
जय भारत