भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मॉरीशस विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट उपाधि प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह में संबोधन।

मॉरीशस विश्वविद्यालय : 12.03.2024

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मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है कि मैं आज के शुभ दिन कि शुरुआत, मॉरीशस के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में मॉरीशस राष्ट्रीय दिवस मनाकर कर रही हूं। इस महत्वपूर्ण दिवस पर, मैं सभी मॉरीशस भाइयों-बहनों को 1.4 अरब से अधिक भारतीयों की तरफ से शुभकामनाएं देती हूं, साथ ही मैं, चैंप्स डे मार्स में आज होने वाले आनंदमय समारोह में शामिल होने के लिए भी उत्सुक हूं।

मॉरीशस पहुंचने के बाद मेरा जो हृदयस्पर्शी स्नेह और गर्मजोशी से स्वागत किया गया है, उससे मैं अभिभूत हूं। यह भारत-मॉरीशस संबंधों की ताकत और हमारे लोगों के करीबी संबंधों को दर्शाता है।

आज मॉरीशस विश्वविद्यालय में आप सभी के बीच उपस्थित होकर, मुझे स्मरण हो रहा है कि शिक्षा ने हमारे दोनों देशों के बीच इस विशेष संबंध के साथ-साथ मॉरीशस के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1901 में, महात्मा गांधी ने भारतीय गिरमिटिया श्रमिकों को खुद को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप वे राजनीतिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो पाए और मॉरीशस में परिवर्तन शुरू हुआ। सर शिवसागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जगनाथ जैसे मॉरीशस नेताओं ने बाद में दूरदर्शी नेतृत्व से इस समृद्ध नींव पर एक जीवंत, बहुलवादी और समृद्ध मॉरीशस बनाया है और अफ्रीका और दुनिया के लिए प्रेरणा बना है।

शिक्षा का यह बल मेरे साथ भी व्यक्तिगत स्तर पर प्रतिलक्षित होता है, क्योंकि शिक्षा एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण साधन रही है जिसका मेरी जीवन यात्रा पर परिवर्तनकारी प्रभाव रहा है। मेरे गांव की कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने वाली प्रथम महिला होने के नाते, शिक्षा के माध्यम से कमजोर लोगों को सशक्त करने संबंधी मुद्दा, मेरे पूरे प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन में मेरे दिल के करीब रहा है, और जिसके प्रति मैं समर्पित रही हूं।

ओडिशा राज्य में मेरे गृह जिले मयूरभंज में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बच्चों को पढ़ाने में लगाए गए समय के दौरान, मैंने पाया कि सही शिक्षा युवाओं में जोश भरती है, और इसका दूरगामी प्रभाव होता है। शिक्षा से न केवल उनके अपने जीवन में परिवर्तन आता है, बल्कि उनके परिवार, उनके गांव और समग्र रूप से व्यापक समाज पर भी दिखाई देता है। शिक्षा ही हमें कमजोरी और अभाव से अवसरों और आशा की ओर ले जाती है। शिक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे यह भी एहसास हुआ कि शिक्षा के साथ जुड़ाव कई मायनों में एक गहन अनुभव देता है। एक बच्चे को शिक्षित करने में, मैं स्वयं भी लगातार सीखती और विकसित होती जाती थी। यहां उपस्थित सभी शिक्षक इस बात से सहमत होंगे कि सिखाना और सीखना अक्सर साथ-साथ चलता है।

मेरा मानना ​​है कि मॉरीशस विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय सिर्फ आकांक्षी युवाओं के सपनों की सीढ़ी नहीं हैं; वरन यहाँ मानव जाति का भविष्य गढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि वह इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करके विशेष सम्मान महसूस कर रही हूं। मुझे उम्मीद है कि इससे सब युवा, विशेषकर युवा महिला अपने जुनून का पता लगाने और अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे। मैं, इस सम्मान के लिए मॉरीशस विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. ऑट्रे को धन्यवाद देती हूं। मुझे मॉरीशस विश्वविद्यालय से यह डिग्री प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जो 1965 में अपनी स्थापना के बाद से एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ है और जहां उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जाती है जो मॉरीशस की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

महानुभाव, चांसलर ऑट्रे, देवियो और सज्जनो,

शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानते हुए और यह देखते हुए कि भारत की आधी आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है, भारत सरकार ने युवाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने को प्राथमिकता दी है ताकि वे भारत को आने वाले समय की 'ज्ञान अर्थव्यवस्था' बना सकें। मुझे विश्वास है कि भारत की दूरदर्शी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करके नवाचार का एक पावर हाउस बनेगी और इससे मानवता की भलाई होगी। भारत ने पिछले एक दशक से भी कम समय में लगभग 400 नए विश्वविद्यालय, 5300 नए कॉलेज, 75 नए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, 14 नए एम्स, 7 नई आईआईटी और 7 नए आईआईएम स्थापित किए हैं, जिनमें से आधे नए विश्वविद्यालय और अधिकांश नए महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं।

भविष्य की इस रोमांचक यात्रा में भारत मॉरीशस जैसे अपने विशेष मित्रों के साथ साझेदारी करना चाहेगा। हर साल 400 मॉरीशस के छात्रों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत भारत में प्रशिक्षण दिया जाता है और लगभग मॉरीशस के 60 विद्यार्थियों को भारत में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उनमें से अनेक छत्र आज मॉरीशस की नौकरशाही और सार्वजनिक जीवन में उच्च पदों पर सेवा दे रहे हैं। वर्ष 2020 के बाद से, 500 से अधिक मॉरीशस छात्रों ने भारत के ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों से लाभ उठाया है। मॉरीशस के सैकड़ों युवा भी ‘भारत को जानें’ कार्यक्रम और कई अन्य आदान-प्रदान कार्यक्रमों के तहत भारत का दौरा करके अपनी भारतीय जड़ों से फिर से जुड़ रहे हैं। भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अपनी 'अमृत काल' यात्रा शुरू कर चुका है और मुझे विश्वास है कि दोनों देशों के युवाओं के बीच मित्रता के इन सम्बन्धों से हमारे रिश्ते में और विस्तार होगा। मैं, अपने मॉरीशस मित्रों से आग्रह करती हूं कि वे भारत के साथ अपनी विशेष निकटता का लाभ उठाएं और उपलब्ध आर्थिक अवसरों का लाभ उठाएं।

भारत, मॉरीशस को एक करीबी समुद्री पड़ोसी, हिंद महासागर क्षेत्र में एक निकटवर्ती भागीदार और अफ्रीका आउटरीच का एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखता है। हमारी आकांक्षा है कि मॉरीशस एक अग्रणी अर्थव्यवस्था और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के स्थान के रूप में प्रगति करता रहे। यह देखते हुए कि लोगों के गहन आपसी संबंध भारत और मॉरीशस की विशेष मित्रता की नींव रहे हैं, मेरा पूरा विश्वास ​​है कि भविष्य में हमारे द्विपक्षीय संबंध हमारे युवाओं के हाथों में रहेंगे। मैं, आशा करती हूं कि मॉरीशस और भारत के युवा इस विशेष साझेदारी को गहन करते रहेंगे।

मैं, एक बार फिर मेरा स्वागत करने और मेरा सम्मान करने के लिए मॉरीशस विश्वविद्यालय को धन्यवाद देती हूं। मैं कुलाधिपति, सभी सम्मानित संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और विद्यर्थियों को उनके शैक्षणिक जीवन में सफलता के लिए शुभकामनाएं देती हूं। मेरे युवा मित्रों से आशा करती हूँ की आप सब अपनी मातृ संस्था और अपने देश का गौरव बढ़ाएँगे। आप दुनिया को बेहतर बनाते रहें।

धन्यवाद!

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