भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत के अवसर पर संबोधन।
तुरा : 16.01.2024
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मैं, आज इस कार्यक्रम में शामिल होकर और मेघालय के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ बातचीत करके प्रसन्न हूँ। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी यात्राओं के दौरान, मैंने महिलाओं के कई स्वयं सहायता समूहों से मुलाकात और बातचीत की है। इन बातचीतों के दौरान, मैंने पाया कि जब से उन्होंने कमाना और अपने परिवारों के लिए आर्थिक योगदान देना शुरू किया है, तब से वे सब अपने जीवन से अधिक खुश और अधिक संतुष्ट हैं। ऐसे स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों की महिलाओं ने अपना एक नया स्वरूप पाया है।
मैंने, आज यहां उपस्थित सभी महिलाओं में वही आत्मविश्वास और वही ऊर्जा देखी है। मैं, उमक्रेम गांव की निवासी श्रीमती वदलिन्ती की प्रशंसा करूंगी जिन्होने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने और बढ़ावा देने का अनुकरणीय कार्य किया है। उन्होंने न केवल स्वयं ऐसे कार्य आरंभ किए हैं बल्कि अपने क्षेत्र के कई अन्य किसानों को कृषि के लिए पर्यावरण-अनुकूल परम्पराओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया है और उनकी मदद की है। मैं, मेघालय के अन्य स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं की भी सराहना करती हूं जो बेकरी और अन्य कार्यों के माध्यम से आजीविका अर्जित कर रही हैं और नई-नई पहलों के माध्यम से क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान कर रही हैं। आप सब अपने क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
मुझे बताया गया है कि आज यहां 'लखपति दीदी' उद्यमी भी उपस्थित हैं। लखपति दीदी पहल महिला उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और ग्रामीण लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर आरंभ की गई है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, उनके परिवारों और
समग्र रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है। उनकी विकास यात्राओं से राज्य और क्षेत्र की अन्य महिलाओं को आगे आने और उद्यमी बनने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
देवियो और सज्जनो,
भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि महिलाओं का देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में सक्रिय और बड़ा योगदान हो। श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। श्रम कानूनों में अनेक सुरक्षात्मक एवं सहायक प्रावधान शामिल किए गए हैं। सरकार ने ऐसी कई योजनाएं आरंभ की हैं जिनसे महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
सरकार ने न केवल महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बहुत से कदम उठाए हैं, बल्कि उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' से लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।
हालाँकि, महिला सशक्तीकरण की दिशा में अभी भी एक लंबा रास्ता तय किया जाना बाकी है। आज भी कभी-कभी, महिलाओं को अपने ही परिवार में उचित स्थान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अब समय आ गया है कि लोग अपने आसपास महिलाओं के मूल्य और गुणों को स्वीकार करना आरंभ करें और उन्हें सहयोग प्रदान करें।
देवियो और सज्जनो,
देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के विजन को साकार करने के लिए महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में सशक्त होना आवश्यक है। भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में, चाहे वह क्षेत्र रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल, शिक्षा, उद्यशीलता, कृषि का हो या कोई अन्य क्षेत्र हो, अपनी पहचान बना रही हैं साथ ही अन्य महिलाओं का भी मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। उनको केवल, कुछ प्रोत्साहित करने वाले शब्दों और कार्यों से सहयोग दिए जाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि हम निकट भविष्य में इस दिशा में और अधिक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। अंत में, मैं आप सब के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ। बड़े सपने देखें और अपने सपनों को साकार करने के प्रयास करते रहें।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!