भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का केंद्रीय विद्युत अभियांत्रिकी सेवा और भारतीय व्यापार सेवा के प्रोबेशनर्स द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन।

राष्ट्रपति भवन : 05.10.2023

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भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का केंद्रीय विद्युत अभियांत्रिकी सेवा और भारतीय व्यापार सेवा के प्रोबेशनर्स द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन।

मैं, इस प्रतिष्ठित सेवाओं में आप सब के चयन के लिए आप सभी को बधाई देती हूं। मेरा मानना ​​है कि आपके प्रशिक्षण ने आपको भारत के विद्युत और व्यापार क्षेत्रों की प्रगति में प्रभावी योगदान देने में समर्थ बनाया है। ये दोनों सेवाएँ देश की आर्थिक वृद्धि और विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों क्षेत्रों में एक और बात समान है, वह है कि इन सेवाओं में कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाता है और एक इंटरकनेक्टेड इको- सिस्टम ऊर्जा और व्यापार क्षेत्रों को और बढ़ावा देता है।

सेंट्रल पावर इंजीनियरिंग सर्विस के प्यारे अधिकारियों,

विद्युत क्षेत्र भारत के विकास के प्रमुख प्रेरकों में से एक है। आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य एक सुदृढ़ विद्युत क्षेत्र से गहराई से जुड़ा हुआ है। सभी को निर्बाध विद्युत आपूर्ति और जीवन स्तर में सुधार का लक्ष्य, आप सब के समर्पण और प्रतिबद्धता से इंजीनियरिंग समाधान प्रदान कर एक मजबूत विद्युत बुनियादी ढांचे के विस्तार और रखरखाव से संभव होगा।

मुझे बताया गया है कि केंद्रीय विद्युत अभियांत्रिकी सेवा के अधिकारी बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण के क्षेत्रों के योजनाबद्ध विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। सेवा के अधिकारियों ने बिजली प्रणालियों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, भारत के पास लगभग 424 गीगा वाट की बिजली क्षमता है जो निर्बाध बिजली प्रवाह के लिए एक इंटरकनेक्टेड नेशनल ग्रिड है। इसका श्रेय सेंट्रल पावर इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों को जाता है।

प्यारे अधिकारियों,

किसी देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति का एक संकेत ऊर्जा की मांग और खपत है। इसलिए, जैसे-जैसे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है, बिजली की मांग और खपत निश्चित रूप से बढ़ेगी और देश का तेजी से विकास होगा। साथ ही, बढ़ती जागरूकता और प्रगति के साथ, बिजली आपूर्ति के संबंध में उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा प्रमुख स्तंभ हैं। अंतर-राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों में ऊर्जा दक्षता को 'प्रथम ईंधन' माना जाता है। यह जलवायु परिवर्तन शमन के कुछ सबसे तेज़ और सबसे लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करती है। इससे ऊर्जा बिल भी कम होता है और ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होती है। मेरा आप सब से आग्रह है की आप ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करें ताकि जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों को हासिल करना आसान हो सके। आप सब को एनर्जी ट्रांजिशन और ग्रिड एकीकरण की प्रक्रिया में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन आपको चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने में सार्थक भूमिका निभानी है।

प्यारे युवा अधिकारियों,

आप सब को पावर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नई-नई तकनीकें खोजनी चाहिए और उन्हें अपनाना चाहिए। आपको प्रौद्योगिकी और नवाचार का अधिक से अधिक उपयोग करके बड़ी उपलब्धि हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। बिजली क्षेत्र का भविष्य अनुसंधान और नवाचार में निहित है, चाहे वह ऊर्जा भंडारण, ग्रिड प्रबंधन, अथवा ऊर्जा उत्पादन के नए रूपों में हो । मैं चाहती हूं कि आप विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को महत्व दें ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में रहे।

भारतीय व्यापार सेवा के प्यारे अधिकारियों,

जैसा कि हम जानते हैं, व्यापार अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ है। इससे निवेश बढ़ता है, रोजगार सृजित होता है, आर्थिक विकास को गति मिलती है और जीवन स्तर में सुधार होता है। व्यापार चर्चा लगभग सभी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों और शिखर सम्मेलनों का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधिमंडलों के साथ मेरी बैठकों के दौरान भी व्यापार संबंधी मुद्दों पर चर्चा होती है। मैं, यह बताना चाहूंगी कि भारत वैश्विक व्यापार सुविधा प्रयासों में सबसे आगे है। भारत डिजिटल और स्थाई व्यापार सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है और आप व्यापार संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। आप, भारतीय व्यापार सेवा अधिकारी, न केवल व्यापार नियामक हैं, बल्कि व्यापार करने में सहायक भी होते हैं।

आपकी सेवा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और व्यापार संचालन की बारीकियों दोनों के ज्ञान की मांग करती है ताकि आप व्यापार वार्ता और व्यापार नीतियों में नए आयाम खोल सकें और भारत के व्यापार को बढ़ाने के लिए नई गति प्रदान कर सकें। भारत से निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति बनाने में भी आप सब की प्रमुख भूमिका है। जैसा कि आप जानते हैं, विदेश व्यापार नीति 2023 निर्यातकों के साथ 'विश्वास' और 'साझेदारी' के सिद्धांतों पर आधारित है। यह निर्यातकों के लिए व्यापार को आसान बनाने में सुविधा के लिए प्रक्रिया पुन: इंजीनियरिंग प्रक्रिया और स्वचालन पर भी ध्यान केंद्रित करती है। उभरते अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य को समझने के लिए आपको व्यापार विश्लेषण के नवीनतम उपकरणों को समझने और उनका उपयोग करना होगा। वैश्विक चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने के लिए आपको समग्र दृष्टिकोण के साथ-साथ विशिष्ट डोमेन दक्षता रखने की भी आवश्यकता पड़ेगी।

प्रिय अधिकारियों,

जैसा कि हम जानते हैं, किसी राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक हित आपस में जुड़े होते हैं, इसलिए आप जो भी निर्णय लेंगे और जो कदम उठाएंगे, उसका प्रभाव देश के समग्र विकास पर पड़ेगा। आपको खुद को भारत के व्यापक लक्ष्यों और आर्थिक हितों के अनुरूप बनाना चाहिए।

मैं आप सभी को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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