भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ‘डे एट सी’ पर संबोधन

गोवा : 07.11.2024

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ‘डे एट सी’ पर संबोधन(हिन्दी, 531.35 किलोबाइट)

मैं आज भारतीय नौसेना की पश्चिमी नौसेना कमान के 'धवल वर्दीधारी जवानों' से मिलकर प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूँ। मैं भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हमारी नौसेना के जोशीले और ऊर्जावान योद्धाओं को देखकर अत्यंत प्रभावित हूँ।

इससे पूर्व, मैं दिसंबर 2022 में विशाखापत्तनम में नौसेना दिवस पर ‘ऑपरेशनल डेमन्स्ट्रेशन’ के दौरान नौसेना के युद्ध कौशल की साक्षी बनी थी। आज, भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर आपके साथ कॉम्बैट फॉर्मेशन में समुद्र की यात्रा करना वास्तव में एक अनूठा अनुभव है। मुझे विश्वास है कि हमारी समुद्री सीमाएँ और हमारे महान राष्ट्र से लगने वाला विशाल समुद्री क्षेत्र भारतीय नौसेना के मजबूत हाथों में सुरक्षित है।

देवियों और सज्जनों,

भारत का समुद्री इतिहास कई हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन भारत की समुद्री गतिविधियों ने समुद्र तटों और महासागरों के आरपार व्यापार और वाणिज्य, संचार और सभ्यतागत संबंधों को प्रोत्साहित किया। इन गतिविधियों ने सदियों तक हमारी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारत इस मामले में भी भाग्यशाली है कि उसके पास अनुकूल समुद्री क्षेत्र मौजूद है। 7500 किलोमीटर से अधिक लंबी समुद्र तटीय सीमाएं भारत को आर्थिक विकास, क्षेत्रीय संपर्क और रणनीतिक प्रभाव में वृद्धि के तमाम अवसर प्रदान करती हैं। हमारे पास विपुल समुद्री क्षमता उपलब्ध है, हमें विकसित राष्ट्र बनने की अपनी यात्रा में इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।

वैश्विक भू-राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य में चल रही उठा-पटक, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में हो रहे बदलाओं के कारण समय की यह मांग हैं कि हम अपनी नौसैनिक शक्ति को मजबूत करना जारी रखें ताकि हम इस क्षेत्र और इससे परे अपने राष्ट्रीय समुद्री हितों की अनवरत रूप से रक्षा कर सकें और उन्हें आगे बढ़ा सकें। यह भारतीय नौसेना की तत्परता और दृढ़ प्रतिबद्धता का ही प्रतिफल है कि भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण सुनिश्चित किया है।

भारतीय नौसैनिक बेड़े में आईएनएस विक्रांत को शामिल करने और उसका परिचालन शुरू करने, भारत की दूसरी ‘परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी’ आईएनएस अरिघात को कमीशन किए जाने तथा अग्रिमपंक्ति के उन्नत युद्धपोतों और अत्याधुनिक नौसैनिक अवसंरचना की उपलब्धता के कारण भारत की समुद्री शक्ति में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। इन उपलब्धियों ने एक दुर्जेय क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और भी अधिक सुदृढ़ किया है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना अब मात्र एक 'खरीदार' न रहकर 'निर्माता' के रूप में उभर रही है। नौसेना में हो रहा यह बदलाव आत्मनिर्भर तथा विकसित राष्ट्र बनने के भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगा।

देवियों और सज्जनों,

भारतीय नौसेना की यूनिटों का भारत की विशाल समुद्री सीमाओं पर लम्बी अवधियों के लिए तैनात रहना उनकी क्षमताओं और रणनीतिक प्रभावशीलता को दर्शाता है। आपकी सकारात्मक, सक्रिय और त्वरित कार्रवाइयों ने समुद्र में कई लोगों का जीवन बचाने में मदद की है। यह मेरे लिए एक विशेष क्षण था जब इस वर्ष के आरंभ में बुल्गारिया के राष्ट्रपति ने मुझे कॉल करके उनके एक अपहृत पोत से भारतीय नौसेना द्वारा बुल्गारियाई चालक दल को मुक्त करवाने के लिए भारतीय नौसेना का आभार व्यक्त किया। इस प्रकार के परस्पर सहयोग से बुल्गारिया के लोगों और वहाँ की सरकार के साथ हमारे मजबूत संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय नौसेना अग्निपथ योजना को अपनाने और महिलाओं को भर्ती करने जैसे परिवर्तनकारी कदम उठा रही है। मैं 'नारी शक्ति' को बढ़ावा देने के संबंध में नौसेना द्वारा किए जा रहे अग्रणी प्रयासों का विशेष उल्लेख करना चाहती हूँ। भारतीय नौसेना वह पहली सेवा है जिसने महिला अग्निवीरों की भर्ती शुरू की। भारतीय नौसेना ने महिलाओं को सभी रैंकों और भूमिकाओं में भर्ती करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इससे भी एक कदम और आगे बढ़कर, हमारी इन महिला समुद्री योद्धाओं की युद्ध क्षमता का भरपूर लाभ उठाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। भारतीय नौसेना ने युद्धपोत पर अपनी पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त की है। इसके साथ ही महिलाओं को नौसेना के विमानों में पायलेट के रूप में नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हाल ही में, भारतीय नौसेना में पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट ने अपनी सेवाएँ आरंभ की हैं। ये उपलब्धियां लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करती हैं।

आप भारत और विदेशों में आपदाओं और आकस्मिक घटनाओं के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने में भी अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। आपके इन कार्यों से भारत की साख मजबूत हुई है और इससे 'पसंदीदा सुरक्षा भागीदार' तथा 'प्रथम बचावकर्ता' के रूप में क्षेत्र में भारत का कद बढ़ा है।

सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, मुझे आप सब पर गर्व है। मैं भारतीय नौसेना के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि आप हर चुनौती पर विजय प्राप्त करें!

धन्यवाद!
जय हिंद!

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