भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय सांख्यिकी सेवा के परिवीक्षा अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 14.01.2025
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 648.9 किलोबाइट)
भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रिय परिवीक्षा अधिकारियो,
मैं, कठिन प्रतियोगी परीक्षा पास करके इस प्रतिष्ठित सेवा में आपके चयन के लिए आप सबको बधाई देती हूँ। इस सेवा में आपको अपने लंबे करियर के दौरान विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की सेवा करने के अपार अवसर प्राप्त होंगे। मुझे विश्वास है कि आप हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे और लोगों की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान देंगे।
सांख्यिकी के उपकरणों और मात्रात्मक तकनीकों की, नीतिगत निर्णयों के लिए अनुभवजन्य आधार प्रदान करके प्रभावी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्राचीन सभ्यताओं में भी सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता था, जब शासक कराधान उद्देश्यों के लिए जनगणना के बुनियादी आंकड़ों का उपयोग करते थे। आधुनिक समय में भी सांख्यिकी किसी देश की स्थिति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाकर नीतियों के निर्माण करने मे सहायता करती है। सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या और रोजगार इत्यादि का डेटा एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों पर निर्भर करती हैं और यही नीति-निर्माण का आधार बनता है। सांख्यिकी विश्लेषण शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक साधन है। सांख्यिकी कुशल शासन का आधार तो है ही साथ ही सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी है।
प्रिय परिवीक्षा अधिकारियो,
आप सब सरकार और विभिन्न संगठनों के उपयोग के साथ-साथ नागरिकों की जानकारी के लिए आधिकारिक आंकड़े संकलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सटीक डेटा एकत्र करना आपका कर्तव्य है यही डेटा ठोस और निष्पक्ष निर्णयों का आधार बनता है। सरकार को नीतियां तैयार करने, लागू करने और निगरानी करने के साथ-साथ नीति की समीक्षा करने तथा नीति के प्रभाव का आकलन करने के लिए डेटा की आवश्यकता होती है। नागरिक भी इस डेटा का, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को निष्पक्षता से समझने और आकलन करने के लिए उपयोग करते हैं। आपको अपने काम के लिए सांख्यिकीय पद्धतियों की पूरी दक्षता से जानकारी होनी जरूरी है, ताकि इसका प्रयोग आप देश की डेटा और सूचना आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कर सकें।
मुझे बताया गया है कि आप सबको अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को जांचने के लिए राष्ट्रीय खाते, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और ऐसे अन्य महत्वपूर्ण सूचकांक तैयार करने होते हैं। आपको जनसंख्या, मानव विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय के विभिन्न सामाजिक आंकड़े; गरीबी और दिव्यांगजनों पर मल्टी-डोमेन आंकड़े; तथा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से संबंधित इंडिकेटर भी तैयार करने और उनका विश्लेषण करना पड़ता है। ये प्रामाणिक डेटा आर्थिक विकास की स्थिति का पता लगाने और प्रभावी नीतियां बनाने के लिए महत्वपूर्ण साधन के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं। ये आंकड़े नीति निर्माताओं के लिए नैदानिक माध्यम की तरह हैं। प्रभावी कार्यक्रम निर्माण के लिए सटीक नैदानिक डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। मैं, आप सब से कहना चाहती हूं कि डेटा एकत्र करते समय आम जनता, विशेषकर गरीबों और वंचितों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहें। आपके द्वारा एकत्र किए गए प्रत्येक डेटा को संसाधित, विश्लेषण किया जाता है और अंततः इसका प्रयोग लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए किया जाता है। समाज के विभिन्न वर्गों का विकास होता है तो देश भी समृद्ध होता है। उदाहरण के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित प्रामाणिक डेटा साक्षरता दर, विद्यालय नामांकन अनुपात, स्वास्थ्य अवसंरचना और बीमारियों के फैलाव की निगरानी का आधार होगा।
प्रिय परिवीक्षा अधिकारियो,
मैं जोर देना चाहूंगी कि आप अपने कार्य के लिए शीघ्र ही नवीनतम और उन्नत तकनीकों को सीखें और उनका उपयोग अवश्य करें। पूरी दुनिया में जनरेटिव एआई, ऑग्मेन्टिड रियलिटी, प्रिडिक्टिव एनालाइसेस और मशीन लर्निंग के बढ़ते उपयोग ने आप सब के लिए इन नई तकनीकों का प्रभावी ढंग से प्रयोग करना अनिवार्य बना दिया है।
शोध एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारियों को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आप सब द्वारा किए गए शोध से ऐसी नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा जो देश की उत्तरोत्तर आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। गहन सांख्यिकीय मॉडलिंग और पूर्वानुमान तकनीकों के माध्यम से आप कृषि, उद्योग और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक योजना बनाने में योगदान दे सकते हैं। रोजगार, उत्पादकता और आय असमानता के पैटर्न का अध्ययन करके, आप नीति निर्माताओं को लक्षित समाधान प्रस्तुत करने में सहयोग दे सकते हैं।
प्रिय परिवीक्षा अधिकारियो,
जैसे-जैसे भारत समावेशी और सतत विकास की ओर बढ़ रहा है, पर्यावरण के प्रभावों और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में सांख्यिकीय अनुसंधान की एक बड़ी भूमिका रहेगी। ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन से संबंधित संकेतकों को ट्रैक करने के लिए आईएसएस अधिकारियों द्वारा किए गए शोध से भारत सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए डेटा-आधारित रणनीति तैयार कर सकता है। इन कार्यनीतियों से भारत को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में और मदद मिलेगी। मुझे विश्वास है कि भारत की वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की यात्रा के दौरान, सुविचारित निर्णय लेने, पारदर्शिता बढ़ाने और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने में आप सब महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मैं आप सब को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!