भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय विदेश सेवा 2023 बैच के परिवीक्षा अधिकारियों को संबोधन।
राष्ट्रपति भवन : 19.08.2024
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 88.52 किलोबाइट)
मैं, राष्ट्रपति भवन में आप सबका हार्दिक स्वागत करती हूं। देश की विशिष्ट सेवा में संलग्न प्रतिष्ठित भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने पर मैं आप सब को बधाई देती हूँ।
मैंने इस बैच की प्रोफाइल देखी है और पाया है की इस बैच में भारत की विविध संस्कृति, क्षेत्र और भाषाई पृष्ठभूमि के लोग हैं। आपमें से अनेक के पास विभिन्न क्षेत्रों में कार्य का समृद्ध अनुभव भी है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि इस सेवा में महिला-पुरुष के अधिकारियों की संख्या में संतुलन बन रहा है।
आपके गहन प्रशिक्षण अनुभव के बारे में सुनकर मुझे खुशी हुई। अच्छे राजनयिक को असाधारण रूप से कुशल होना चाहिए - आपको एक प्रभावी संप्रेषक और रणनीतिक विचारक होना चाहिए। साथ ही, आपको, अपने तैनाती वाले देश के साथ-साथ भारत की भी गहरी राजनीतिक और सांस्कृतिक समझ होनी चाहिए।
मुझे बताया गया है कि आप सभी जल्द ही विदेशी भाषा प्रशिक्षण के लिए विदेश में अपनी पहली पोस्टिंग के लिए रवाना होंगे। मेरी आपको सलाह है कि आप जितनी संभव हो उतनी अधिक भाषाएँ सीखें और नई संस्कृतियों, लोगों और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए तत्पर रहें। इन कौशल और ग्रहणशीलता के माध्यम से आप एक प्रभावी और कुशल राजनयिक बन सकेंगे।
प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियों,
विदेश नीति कोई अमूर्त कवायद अथवा अभिजात कार्य नहीं है। यह घरेलू नीतियों के विस्तार के रूप में बनाई गई विदेश नीति का उद्देश्य देश के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हितों और देश की अखंडता को सुरक्षित करना है। इसलिए, आप सबकी यह जिम्मेदारी है कि आप सब को न केवल देश हितों की सुरक्षा करनी है, बल्कि वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के व्यापक रणनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए वैश्विक एजेंडे को भी आकार देना में
भूमिका निभानी है। और मुझे विश्वास है कि भारतीय लोकाचार के स्वीकार भाव, सद्भाव और एकता से प्रेरित विश्व समृद्ध, शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण बनेगा।
आपने बहुत ही रोमांचक दौर में राजनयिक सेवा में प्रवेश किया है। भारत के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों का दायरा और क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। हम नए आत्मविश्वास और उत्साह के साथ दुनिया से जुड़ रहे हैं और वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने में मदद कर रहे हैं; वह चाहे जलवायु परिवर्तन हो, आपदा से निपटना हो, साइबर सुरक्षा हो, महामारी का सामना करना हो, अथवा अंतर-राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ सैद्धांतिक रुख अपनाना हो। आज तेजी से बदलते और संघर्षरत विश्व में हमें एक विश्वासपात्र 'विश्व बंधु' के रूप में देखा जाता है।
अपनी हाल की विदेश यात्राओं में, मैंने स्वयं देखा है कि विशेषकर ग्लोबल साउथ के देशों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में हमारी विकास साझेदारी परियोजनाओं के कारण हमने अपार सद्भाव कमाया है। फिल्मों, योग, आयुर्वेद और भारतीय कला, शिल्प, नृत्य और संगीत सहित भारतीय सॉफ्ट पावर में भी विश्व की अत्यधिक रुचि है।
मैंने यह भी महसूस किया है कि विदेशों में हमारे मित्र और साझेदार अब हमसे बहुत अधिक उम्मीदें रखते हैं, जिन पर हमें खरा उतरना है। ऐसे में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आपको अपने तैनाती वाले देश में व्यापार और वैज्ञानिक समुदाय, सांस्कृतिक प्रतिनिधियों और मीडिया सहित हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ाव बढ़ाना है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको हमारे जीवंत भारतीय प्रवासियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को सावधानीपूर्वक विकसित करना और बढ़ावा देना है। अपनी विदेश यात्राओं के दौरान उनसे हुई मुलाकातों में, मैं उनकी अनेक उपलब्धियों और अपनी मातृभूमि से जुड़े रहने और उसके विकास में योगदान देने के लिए उनके उत्साह से प्रभावित हुई हूं।
कृपया याद रखें कि संकट के समय में, भारतीय मिशन विदेश में भारतीय नागरिकों का दूसरा घर है, और आप उनकी एकमात्र आशा होते हैं। वंदे भारत मिशन (कोविड), ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन), ऑपरेशन कावेरी (सूडान) और ऑपरेशन अजय (इज़राइल), जहां से हमारे राजनयिक लाखों भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाए हैं, वह एक अनुकरणीय कार्य हैं। आपको विदेश में भारतीय भाई-बहनों के लिए हमेशा मौजूद रहने की इस गौरवपूर्ण परंपरा को बनाए रखना है।
प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियों,
हमने अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, किन्तु अनेक चुनौतियाँ भी हमारे सामने हैं। आज विश्व में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। अनेक स्थानों पर युद्ध जैसी स्थितियाँ, मानवीय संकट और अव्यवस्था, नए खतरे और गैर-पारंपरिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां कूटनीति और विदेश नीति के लिए नए साधन हैं। हालाँकि, जब उनके प्रशासन या विनियमन की बात आती है, तो अनिश्चितता दिखाई देती है, क्योंकि तकनीकी प्रगति किसी भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है। इसलिए हमें सतर्क और सावधान रहना है। इन सभी चुनौतियों का प्रभावी तरीके से जवाब देना और हमारे राष्ट्रीय हित को सुरक्षित करने के लिए समाधान करने के कार्य आपका है।
प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियों,
याद रखें, कि आप केवल भारत सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। आप 1.4 अरब भारतीयों और उनकी आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप हमारी विविध और बहुलवादी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, आप हमारी 5000 साल पुरानी समृद्ध सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं, और आप एक ऐसे समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मूल रूप में एक अप्रत्याशित विश्व में अच्छाई और स्थिरता बनाए रखने की शक्ति रखता है। इस प्रकार हमारी बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है।
एक कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करके और एक विशिष्ट सेवा में आकार आपने अपनी क्षमताओं को साबित कर दिया है। बहुत कम लोगों को देश और लोगों की सेवा करने का यह विशेषाधिकार मिलता है, और मुझे आशा है कि आप जो भी कार्य करेंगे उसमें सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के सिद्धांतों को अपनाते हुए इस विशेषाधिकार का सम्मान बने रखेंगे।
आप जहां भी सेवा प्रदान करें, देश के तिरंगे को ऊंचा रखें और हमारी गौरवशाली परंपराओं की सजीवता बनाए रखें।
धन्यवाद!
जय हिंद!