भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारत-मलावी बिजनेस मीट में सम्बोधन।
लिलोंग्वे : 17.10.2024
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पहली भारतीय राष्ट्रपति के रूप में "वार्म हार्ट ऑफ अफ्रीका" का दौरा करना मेरे लिए बहुत प्रसन्नता की बात है। मुझे भारत और मलावी के व्यापारिक समुदाय को संबोधित करते हुए खुशी हो रही है।
भारत और मलावी के सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं। भारत 1964 में मलावी की आजादी के तुरंत बाद मलावी के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। हालांकि, दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संबंध 140 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे हैं। संयोगवश, यह वर्ष दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना का 60वां वर्ष भी है।
क्योंकि अफ्रीका एक महत्वपूर्ण व्यापार और निवेश स्थान के रूप में उभरा है इसलिए अब हमारी साझेदारी केवल सरकारों तक सीमित नहीं है। भारत का इस साझेदारी को आगे बढ़ाने में सबसे आगे रहा है। भारत की बहुराष्ट्रीय और एसएमई कंपनियों द्वारा अफ्रीका में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ा रही हैं। इन क्षेत्रों में दूरसंचार, हाइड्रोकार्बन अन्वेषण, कृषि, प्रकाश विनिर्माण, आईटी और आईटी शिक्षा, जल प्रसंस्करण और आपूर्ति प्रबंधन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और खुदरा पेट्रोलियम वस्तुएँ, रसायन, दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स, कोयला, ऑटोमोबाइल, फूलों की खेती, इंजीनियरिंग परामर्श और प्रबंधन, कागज, कपड़ा और अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
मित्रों,
भारत का वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' बनने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने व्यावसायिक दृष्टिकोण में सुधार करने के साथ-साथ 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' के लिए प्रशासनिक सुधार करने के साथ-साथ अन्य अनेक उपाय किए हैं। इन सुधारों और पहलों का उद्देश्य देश के व्यापारिक माहौल को बदलना और हमारे व्यापार करने के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव लाना है।
वर्ष 2021 से 2024 तक, भारत सालाना 8 प्रतिशत की औसत विकास दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है, जो अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और जल्दी ही शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा। भात सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत है: 'सुधार से परिवर्तन'।
भारत की सफलता की आशाजनक कहानी सबके सामने है। वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने 778 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया। आज भारत विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम है। भारत में 111 यूनिकॉर्न हैं, जिनका मूल्यांकन 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, भारत ने महत्वाकांक्षी पहल शुरू की है। विशेषकर कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जा रहा है। ये पहल हमारी अन्य पहलों जैसे "स्किल इंडिया", "डिजिटल इंडिया", "स्टार्ट-अप इंडिया", "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" की पूरक पहल हैं।
पिछले दशक में भारत में ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ताओं की संख्या 60 मिलियन से बढ़कर 940 मिलियन से अधिक हो गई है। इसी तरह, पिछले दस वर्षों में लगभग 7,00,000 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है।
पिछले 10 वर्षों में भारत में 250 मिलियन लोगों की गरीबी से निजात दिलाई गई है। केवल समझाने के दृष्टि से कहूँ तो यह संख्या मलावी की जनसंख्या से 10 गुना से अधिक है।
मित्रों,
भारत और मलावी के ऐतिहासिक व्यापारिक संबंध हैं। यह दिलचस्प बात है कि 1923 में स्थापित न्यासालैंड इंडियन ट्रेडर्स एसोसिएशन (NITA) में, जो बाद में 1936 में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) बन गया, इसके सदस्यों में बड़ी संख्या में भारतीय थे।
कोविड महामारी के कारण हुई मंदी के बावजूद भारत और मलावी के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ता रहा है। भारत वर्तमान में मलावी का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और विभिन्न क्षेत्रों में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश के साथ भारत, मलावी में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है।
मित्रों,
मलावी में भरपूर प्राकृतिक भंडार और उपजाऊ कृषि भूमि है। दूसरी ओर, भारत के पास उपभोक्ताओं का एक बड़ा आधार है और भारत की बड़ी आबादी के लिए ऊर्जा, खनिज और खाद्य-पदार्थ की मांग बढ़ रही है। दोनों देश अनेक क्षेत्रों में तालमेल बनाकर चल सकते हैं। कृषि, खनन, ऊर्जा, पर्यटन आदि क्षेत्रों में हमारे सहयोग को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
मैं, आप सभी को अपनी क्षमता को पहचानने और यह बैठक आयोजित करने के लिए बधाई देती हूं, और मैं आज सफलतापूर्वक विचार-विमर्श करने की आशा करती हूं।
मुझे विश्वास है कि आज की बिजनेस मीट में होने वाली चर्चा दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक संबंधों को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी ।
धन्यवाद।