भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76 आरआर (2023 बैच) के भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षा अधिकारियों से मुलाक़ात के अवसर पर संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 30.09.2024
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मुझे 76वें नियमित भर्ती (2023) बैच के भारतीय पुलिस सेवा के प्रोबेशनर्स से मिलकर प्रसन्नता हो रही है। मैं, आपको सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में बेसिक कोर्स प्रशिक्षण के चरण-1 के सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर बधाई देती हूं। इस प्रतिष्ठित अकादमी में लिया गया प्रशिक्षण आपके लिए एक सपने के साकार होने जैसा रहा होगा। वहाँ आप सभी ने जो आत्मविश्वास हासिल किया उसे आपके अंदर देखा जा सकता है।
दस दिन पहले ही आप सब अकादमी से निकले हो। पिछले वर्ष से आप परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। कठोर प्रशिक्षण के बाद, आप वर्दी पहनकर और जल्दी से जल्दी देश की सेवा करने के लिए उत्साहित और उत्सुक होंगे। देश की अलग-अलग अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय पुलिस सेवा का अपना महत्व है। कानून और व्यवस्था न केवल शासन का आधार है; यह आधुनिक राज्य व्यवस्था का भी आधार है। सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि कई स्थानों और अनेक स्थितियों में आप सब देश की जनता के समक्ष राज्य-व्यवस्था के मॉडल होंगे, और आप राज्य की प्रशासनिक मशीनरी का प्रथम इंटरफ़ेस होंगे। इसलिए, आप सबको कुशल किन्तु सहानुभूतिपूर्ण होने के साथ निडर लेकिन मित्रवत बनना होगा।
चूंकि भारत आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों को छूएगा, इसलिए आपकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। कानून का शासन कायम होने पर ही आर्थिक विकास और सामाजिक विकास होना संभव है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने, न्याय सुनिश्चित करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हुए बिना प्रगति का कोई अर्थ नहीं है।
देखने में यह सब एक कठिन कार्य लग सकता है। लेकिन आपको अपने महान पूर्व अधिकारियों द्वारा छोड़ी गई विरासत का लाभ मिलेगा। क्योंकि पूर्व के प्रतिबद्ध और समर्पित पुलिस सेवा के अधिकारियों के बिना भारत ने आज़ादी के बाद से जो उल्लेखनीय प्रगति की है वह नहीं की होती। साथ ही, मुझे विश्वास है कि जिस प्रतिष्ठित अकादमी में उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया था और आपने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वहाँ पर आप सब ने बहुत कुछ सीखा होगा।
भारतीय पुलिस सेवा के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने का विचार सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिया था। वर्ष 1948 में जब इसकी स्थापना हुई थी तो उन्होंने कहा था कि यह भारत में अपनी तरह का पहला संस्थान होगा। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की थी कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित करेगा। जैसे-जैसे इसमें विकास हुआ, यह गर्व के साथ कहा जा सकता है कि अकादमी के प्रभारी व्यक्तियों ने पीढ़ी- दर-पीढ़ी सरदार पटेल के सपने को काफी हद तक पूरा किया है।
प्रिय आईपीएस प्रोबेशनर्स,
आपके वरिष्ठ अधिकारी और सहकर्मी भी आपकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के निर्वहन में सहयोग देंगे। वास्तव में आपकी पीढ़ी को एक सुविधा यह है कि आप प्रौद्योगिकी के जानकार हैं। प्रौद्योगिकी में आई प्रगति से कानून और व्यवस्था बनाए रखने, अपराध की रोकथाम और पता लगाने के साथ-साथ पुलिस-व्यवस्था के अन्य पहलुओं को लाभ हुआ है। हालाँकि, दूसरी और अपराधियों और आतंकवादियों ने भी प्रौद्योगिकी को अपनाना आरंभ कर दिया है। जब दुनिया में साइबर अपराध और साइबर संघर्ष बढ़ रहा है, तो आईपीएस अधिकारियों से उम्मीद की जाती है की वे टेक्नोलोजी को अधिक से अधिक अपनाएं और अपराधियों से एक कदम आगे रहकर उनको पकड़ें।
अपराध की एक श्रेणी ऐसी है जिसे मैं यहां बताना चाहती हूँ और वह है महिलाओं के विरुद्ध अपराध। हालाँकि, यह एक जटिल स्थिति है जिसकी जड़ें बीमार मानसिकता के साथ-साथ घृणित सामाजिक पूर्वाग्रहों तक फैली हैं, लेकिन अपराध, एक अपराध है। इसलिए, इससे निपटने के लिए कई स्तरों पर कार्रवाई करनी पड़ती है, लेकिन पहली कार्रवाई पुलिस को करनी होती है। ऐसे अपराध की प्रकृति को देखते हुए, महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों को देखने वाले पुलिस अधिकारियों से उम्मीद की जाती है की वे पीड़िता के प्रति अति संवेदनशीलता और सहानुभूति बरतें तथा न्याय सुनिश्चित करने के प्रति उनमें अत्यधिक प्रतिबद्धता हो।
हालांकि यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि जब अपने उत्कृष्ट गुणों को प्रदर्शित करने की बात आती है तो महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों की तुलना में बढ़त हासिल है, फिर भी यह जानकर प्रसन्नता होती है कि भारतीय पुलिस सेवा में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। मुझे बताया गया है कि इस बैच के कुल 188 अधिकारियों में 54 महिला अधिकारी हैं। यह संख्या 28.72 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की संख्या के साथ-साथ हाल के वर्षों के औसत से ज्यादा संख्या है। मैं, यह कहना चाहूंगी कि महिला अधिकारियों की भूमिका लिंग- आधारित अपराधों से निपटने में कहीं अधिक है। महिला अधिकारियों की बढ़ती संख्या से पुलिस-व्यवस्था बेहतर होगी है, पुलिस और समाज के संबंधों में सुधार आएगा और इससे देश को लाभ मिलेगा।
प्रिय आईपीएस प्रोबेशनर्स,
मैंने आप सबको सौंपी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के बारे में बात की। आपको सौंपी बड़ी जिम्मेदारियां कभी-कभी बहुत तनावपूर्ण हो सकती हैं। इसलिए, आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं करना है। आज से ही योग, प्राणायाम और विश्राम करने की तकनीकों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और इनसे आपको अपना कार्य बेहतर ढंग से करने में सहायता मिलेगी। यह भी स्मरण रखें कि 'आईपीएस' में 'एस' का मतलब सेवा है। आपका सर्वोपरि उद्देश्य देश और देश के नागरिकों की सेवा करना है।
आपके शानदार करियर और जीवन के लिए मेरी शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिंद!
जय भारत!