भारत की माननीय, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा फिजी की संसद में संबोधन।

सुवा : 06.08.2024

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भारत की माननीय, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा फिजी की संसद में संबोधन।

लोकतंत्र के इस मंदिर में आप सभी, फिजी के निर्वाचित प्रतिनिधियों से मिलना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। मैं, आपके लिए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के 1.4 अरब भाइयों और बहनों की तरफ शुभकामनाएं देती हूं।

मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं, माननीय सभापति को धन्यवाद देती हूं। इससे हमारे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का पता चलता है।

मैं, महामहिम राष्ट्रपति काटोनिवेरे को भी धन्यवाद देती हूं जिनके निमंत्रण पर मैं कल फिजी की अपनी पहली यात्रा पर पहुंची। मेरे साथ हमारे राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन, साथ ही हमारी लोकसभा के दो सांसद, श्री सौमित्र खान और श्री जुगल किशोर जी भी आए हैं। मैं, फिजी में मजबूत लोकतांत्रिक आचार के लिए दिल से प्रशंसा करती हूं। इस सुंदर देश के लोगों की सेवा करना आप सब की एक बड़ी जिम्मेदारी है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत और फिजी में भारी अंतर के बावजूद दोनों देशों के जीवंत लोकतंत्र सहित बहुत सी बाते एक समान हैं। लगभग 10 वर्ष पहले, इसी हॉल में बोलते हुए, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत और फिजी को जोड़कर रखने वाली कुछ बुनियादी बातों को रेखांकित किया था।

इनमें, "हमारा लोकतंत्र, हमारे समाजों की विविधता, हमारा यह विश्वास कि सभी मनुष्य समान हैं, और प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता, गरिमा और अधिकारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता" शामिल हैं। ये साझा मूल्य शाश्वत हैं और ये आगे भी हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगे।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि फिजी के पिछले तीन संसदीय चुनावों के दौरान भारत आपकी लोकतांत्रिक यात्रा से नजदीकी से जुड़ा रहा है। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने के समृद्ध अनुभव के साथ एक नजदीकी मित्र और साझीदार के रूप में, भारत फिजी के साथ साझेदारी करता रहेगा।

माननीय संसद सदस्यगण, यहां बिताए गए थोड़े से समय में, मैंने देखा है कि दुनिया को फिजी से अभी बहुत कुछ सीखना है, जैसे फिजी की सौम्य जीवन शैली, परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति गहरा सम्मान और एक स्वतंत्र और बहुसांस्कृतिक वातावरण और यह फ़िजी को दुनिया में बढ़ रहे संघर्ष के बीच इतना विशेष बनाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि फिजी एक ऐसा स्थान है जहां दुनिया के लोग खुशियां ढूंढने आते हैं।

आज, फिजी को जलवायु परिवर्तन और मानव संघर्षों के समाधान पर केंद्रित दो प्रमुख वैश्विक चुनौतियों के संबंध में हमारे साझा प्रयासों हेतु बढ़ते योगदान के लिए दुनिया भर में जाना जाता है

चाहे वह जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक वार्ता को आकार देना हो या महासागर-देशों के सरोकारों को व्यक्त करना हो, फिजी दुनिया के हित में बहुत बड़ा योगदान दे रहा है। भारत दुनिया में फिजी की बढ़ती प्रमुख भूमिका को बहुत महत्व देता है और उसकी सराहना करता है।

आपने दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में वैश्विक शांति स्थापित करने के प्रयासों में भी बहुत योगदान दिया है। हम इस धरती को रहने का एक बेहतर स्थान बनाने में फिजी के योगदान को सलाम करते हैं।

खेल के क्षेत्र में, हमने हाल ही में क्रिकेट में टी-20 विश्व चैंपियन का खिताब जीता है, फिर भी मैं कहना चाहूंगी कि भारत को रग्बी में फिजी से बहुत कुछ सीखना है। हमें बहुत खुशी है कि आपके महान खिलाड़ियों में से एक, वैसाले सेरेवी, भारत के नए राष्ट्रीय रग्बी कोच बनाए गए हैं। मुझे इंतजार है जब हमारी दोनों टीमें एक-दूसरे के साथ खेलेंगी! इस अवसर पर मैं, फिजी पुरुष रग्बी टीम को पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीतने के लिए हार्दिक बधाई देती हूं।

माननीय संसद सदस्यगण,

145 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व, नियति ने हमारे दोनों देशों को एक साथ जोड़ा, जब “गिरमिटया” श्रमिक, पहली बार भारत से फिजी द्वीप के तट पर पहुंचे थे।

यद्यपि उनका यहाँ आरंभिक जीवन खतरे और कठिनाई से भरा रहा, यह जानकर खुशी होती है, कि कैसे “गिरमिटया” और उनके वंशजों को इस देश ने अपनाया है। बदले में, उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम से अपनी नई मातृभूमि के निर्माण में व्यापक योगदान दिया है।

मैं फिजी सरकार को “गिरमिट दिवस” कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र निर्माण के प्रयासों के लिए गिरमिट वंशजों के अपार योगदान को प्रकाश मेँ लाने के लिए, धन्यवाद देती हूं ।

1970 के बाद के दशकों में, हमारे दोनों देशों ने मिलकर एक आधुनिक और बहुमुखी साझेदारी तैयार करने का प्रयास किया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि आज हमारी सहभागिता, राष्ट्र निर्माण के सभी प्रमुख क्षेत्रों में है, चाहे वो sugarcane हो या space! अंतरिक्ष के क्षेत्र में, मैं पिछले वर्ष पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला स्थापित करने के लिए हमारे आदित्य-एल1 मिशन को सहायता देने के लिए फिजी सरकार को विशेष रूप से धन्यवाद देती हूँ। ऐतिहासिक मिशन के लिए सुवा में अस्थायी टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड सेंटर की मेजबानी में आपके द्वारा दिए गए सहयोग की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। हम कृषि, क्षमता निर्माण, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल साझेदारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, विनिर्माण, अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा और एसएमई क्षेत्र में लगातार सहयोग बढ़ा रहे हैं।

हमारे बीच भौतिक दूरी के बावजूद, हमारे बीच हमेशा घनिष्ठ संबंध रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जरूरत के समय हमने सबसे पहले मदद उपलब्ध कराई है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि वैक्सीन मैत्री पहल के तहत 2021 में भारत द्वारा प्रदान किए गए COVID-19 टीकों ने फिजी के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हम फिजी में भारत की राजनयिक उपस्थिति के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं, मुझे हमारे उच्च स्तरीय कार्यक्रमों, विकास परियोजनाओं और हमारी जन-केंद्रित गतिविधियों में हो रही वृद्धि देखकर प्रसन्नता हो रही है।

मुझे बताया गया है कि पिछले 18 महीनों में ही दोनों पक्षों की ओर से 15 मंत्री स्तरीय यात्राएं हो चुकी हैं। मई 2023 में FIPIC-III शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की ऐतिहासिक मुलाकात से हमारे द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा और दिशा मिली है।

मुझे विश्वास है कि सुवा में स्थापित होने वाले सुपर स्पेशलिटी कार्डियोलॉजी अस्पताल सहित नई घोषित परियोजनाएं, फिजी और व्यापक प्रशांत सागर क्षेत्र के लोगों की प्राथमिकता की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगी।

पिछले वर्ष नाडी में बेहद सफल 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की हमारी संयुक्त मेजबानी और गिरमिट दिवस राष्ट्रीय समारोह में उच्च स्तरी पर भागीदारी से दोनों देशों के संबंध को और मजबूत करने में मदद मिली है।

माननीय संसद सदस्यगण,

हम हमारे सामने मौजूद कई गंभीर चुनौतियों का पता है। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन और समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि की चुनौती है, जो महासागरीय के निकट स्थित अनेक देशों के लिए खतरा है।

एक बड़े विकासशील देश के रूप में, हम अक्सर प्रकृति की अनिश्चितताओं का सामना करते हैं और भारत जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले गहरे प्रभाव को भी अच्छी तरह जानता है। इसीलिए, हम दुनिया के एक जिम्मेदार देश के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले साल हमने जी-20 समूह की अध्यक्षता की, जिसमें हमने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के दो विषयों को उच्च प्राथमिकता दी थी। हमने "एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य" को अपने जी-20 प्रेसीडेंसी का विषय बनाया।

भारत ने अपनी उत्सर्जन तीव्रता को काफी कम कर लिया है, और गैर जीवाश्म ईंधन स्रोतों के माध्यम से 40% स्थापित विद्युत क्षमता हासिल कर ली है। वर्ष 2017 और 2023 के बीच, भारत ने लगभग 100 गीगा वाट स्थापित विद्युत क्षमता जोड़ी है, जिसमें से लगभग 80% गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित संसाधनों से हासिल की है।

इन घरेलू उपायों के अलावा, भारत ने जलवायु कार्रवाई के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी नेतृत्व किया है। हम, International Solar Alliance (ISA), Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI), और Infrastructure for Resilient Island States (IRIS) सहित अनेक पहलों में बढ़-चढ़ कर समर्थन देने के लिए फिजी की सराहना करते हैं। हमें उम्मीद है कि फिजी जल्द ही औपचारिक रूप से वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में भी शामिल हो जाएगा।

ग्लोबल साउथ की एक शक्तिशाली आवाज होने के नाते, भारत जलवायु के लिए वित्तपोषण करने और जलवायु प्रौद्योगिकी दोनों के लिए विकसित देशों पर दबाव डालता रहेगा। हम जलवायु न्याय के लिए फिजी और अन्य महासागरीय देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।

माननीय संसद सदस्यगण,

जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर मजबूती से उभर रहा है, हम एक मजबूत, Resilient और अधिक समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए आपकी प्राथमिकताओं के अनुसार फिजी के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार हैं। आइए, हम दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ के लिए अपनी साझेदारी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए मिलकर कार्य करें।

धन्यवाद।

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