भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा न्यूजीलैंड शिक्षा सम्मेलन में संबोधन।

वेलिंग्टन : 08.08.2024

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भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा न्यूजीलैंड शिक्षा सम्मेलन में संबोधन।

न्यूजीलैंड में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करना मेरे लिए खुशी की बात है। यह वास्तव में और खुशी की बात है कि भारत को इस वर्ष के सम्मेलन के लिए 'कंट्री ऑफ ऑनर' के रूप में सम्मान दिया गया है।

शिक्षा हमेशा मेरे दिल के करीब रही है। मैंने स्वयं शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से देखा और अनुभव किया है। मैं, भारत के एक दूरदराज के गांव में पली-बढ़ी हूं, जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित लोगों की पहुँच थी। मेरे माता-पिता ने कम साधन होने के बावजूद, शिक्षा के मूल्य को समझा और यह सुनिश्चित किया कि मैं स्कूल जाऊँ। मैं अपने गाँव से कॉलेज जाने वाली पहली महिला थी।

यह मेरे माता-पिता के लगातार समर्थन और मेरे शिक्षकों के समर्पण से संभव हुआ कि मैं उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाई और फलत: विभिन्न पदों पर रहकर अपने देश की सेवा की।  
इस व्यक्तिगत यात्रा ने मुझमें गहरा विश्वास पैदा किया है कि व्यक्तियों और समाज के उत्थान के लिए शिक्षा में बहुत शक्ति है।

मित्रों,

शिक्षा, केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का माध्यम भी है। शिक्षा रचनात्मक होनी चाहिए और शिक्षा ऐसी हो जो लोगों के जीवन के सभी पहलुओं को छूए: चाहे वह आर्थिक, बौद्धिक, कलात्मक, आर्थिक, सामाजिक या आध्यात्मिक जीवन हो। शिक्षा समाज को लीडर्स, विचारक, मार्गदर्शक, संरक्षक और समरसता लाने वाले प्रदान करती है। शिक्षा किसी राष्ट्र की प्रगति और उन्नति की आधारशिला है।

भारत में ज्ञान सदैव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य रहा है। वेदों, उपनिषदों और बौद्ध त्रिपिटकों जैसे हमारे कालजयी ग्रंथों से लेकर समृद्ध संगम साहित्य और नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा के प्राचीन शिक्षण केंद्रों तक, भारत में ज्ञान को एक शाश्वत खोज माना जाता रहा है। 21वीं सदी के भारत में, हमारी शिक्षा प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, और इसने विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे लीडर्स पैदा किए हैं जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपना योगदान दे रहे हैं।

आज भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारी साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। देश भर में अनेक शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए गए हैं, और शिक्षा प्रणाली में समाज के विभिन्न वर्गों का व्यापक प्रतिनिधित्व दिखता है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, भारत में दुनिया के कुछ प्रमुख संस्थानों में जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) हैं।

इन संस्थानों से विश्व स्तरीय इंजीनियर, वैज्ञानिक और प्रबंधक शिक्षा पूरी करके निकले हैं वे वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रहे हैं। मुझे खुशी है कि न्यूजीलैंड विश्वविद्यालयों के एक संघ ने अकादमिक सहयोग के लिए आईआईटी दिल्ली में एक केंद्र स्थापित किया है।

भारत सरकार शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए सुधार कार्य कर रही है। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उद्देश्य बहु-विषयक शिक्षा, समालोचनात्मक सोच और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देकर भारतीय शिक्षा परिदृश्य को बदलना है। इस नीति से विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने के रास्ते भी खुलते हैं।

न्यूजीलैंड अपनी उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है जिसमें अनुसंधान और नवाचार, समावेशिता और उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शिक्षा न्यूज़ीलैंड के शीर्ष सेवा निर्यातों में से है। पाठ्यक्रम में माओरी संस्कृति और भाषा को शामिल करने से न केवल इस भाषा के संरक्षण में योगदान मिला है, बल्कि यहाँ का शिक्षा क्षेत्र भी समृद्ध हुआ है। हमारे दोनों देशों द्वारा शिक्षा को दी गई प्राथमिकता को देखते हुए, स्वाभाविक है कि हमारे इतने मजबूत शैक्षिक संबंध विकसित हुए हैं।

भारत और न्यूजीलैंड ने लोकतंत्र और विधि द्वारा स्थापित कानून के शासन में निहित साझा मूल्यों पर आधारित मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित किए हैं।। हमारे समृद्ध सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच मजबूत संबंधों से हमारे देशों के बीच आपसी समझ और सद्भावना को बढ़ावा मिला है। साथ ही, शैक्षिक आदान-प्रदान हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

आज के सम्मेलन का विषय, "पाथवे टू द वर्ल्ड", शिक्षा क्षेत्र में हमारे दीर्घकालिक सहयोग के लिए सामयिक और प्रासंगिक है, जहां हम विभिन्न क्षमताओं में योगदान देने में सक्षम युवा और उत्पादनशील व्यक्तियों का एक समूह बना सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

आज, भारत के पास एक आकांक्षी युवा जनसंख्या है, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। भारतीय माता-पिता अपने बच्चों के लिए सर्वोत्तम संभव शिक्षा देना चाहते हैं, और यह वास्तव में अच्छी बात है कि कई भारतीय छात्र न्यूजीलैंड के विभिन्न संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। 8,000 भारतीय छात्र न्यूजीलैंड में विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर रहे हैं, और यह यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है।

यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। न्यूजीलैंड के संस्थानों द्वारा भारतीय छात्रों को स्वीकार करने से पता चलता है भारतीय छात्र न्यूजीलैंड में शिक्षा प्राप्त करने को महत्व देते हैं, बल्कि इससे यह भी पता चलता है की भारतीय छात्र न्यूजीलैंड के आर्थिक विकास और बहुसांस्कृतिक ताने-बाने के संदर्भ में भी योगदान दे रहे हैं। सफलता की यह गाथा जारी रहे इसलिए, दोनों देशों को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। इसके लिए दोनों देशों के संस्थानों, विशेषज्ञों और नियामकों के बीच नियमित आदान-प्रदान करने आवश्यक है।

न्यूजीलैंड शिक्षा सम्मेलन, शिक्षा में चल रहे सहयोग को मजबूत करने और सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। प्रौद्योगिकियों की तीव्र प्रगति के साथ, हमारे शैक्षणिक संस्थान डिजिटल शिक्षा और प्रौद्योगिकी एकीकरण में सहयोग कर सकते हैं, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, व्यावसायिक और कौशल-आधारित प्रशिक्षण, जलवायु और पर्यावरण अध्ययन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, अनुसंधान और नवाचार। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन में की जाने वाली चर्चाओं और विचारों के आदान-प्रदान से और मजबूत शैक्षिक संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।

मैं, भारत का विशेष रूप से सम्मान करने के लिए एजुकेशन न्यूजीलैंड और न्यूजीलैंड सरकार के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए अपनी बात समाप्त करती हूँ। मैं आशा करती हूँ कि हम मिलकर ज्ञान और समझ आधारित संपर्क बनाएँगे और शैक्षिक सहयोग के माध्यम से वर्ल्ड लीडर्स तैयार करने के लिए मिलकर कार्य करते रहेंगे।

धन्यवाद!

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