भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित '2047 में एयरोस्पेस और एविएशन' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी में संबोधन।
नई दिल्ली : 18.11.2023
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मुझे एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किए जा रहे समारोह में भाग लेने में प्रसन्नता हो रही है। यह एक ऐसा संगठन है जिसको कई मायनों में आधुनिक जीवन में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है।
1948 में अपनी साधारण शुरुआत से लेकर आज तक, 75 वर्षों में एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया है कि न केवल एक ज्ञान-प्रणाली के रूप में वैमानिकी तेजी से बढ़े, बल्कि यह यह हर नागरिक के जीवन पर भी प्रभाव डाले।
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की देश के विमानन के सभी महत्वपूर्ण केंद्रों पर 19 शाखाएँ हैं। इसमें सभी प्रमुख वैमानिकी प्रतिष्ठानों से 14,000 से अधिक सदस्य हैं और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों क्षेत्रों से 63 कॉर्पोरेट सदस्य हैं।
मैं, इस उल्लेखनीय यात्रा के लिए आप सब को बधाई देती हूं और वैमानिकी विज्ञान और विमान इंजीनियरिंग के ज्ञान की प्रगति और प्रसार में आपके उत्कृष्ट योगदान के लिए आप सब को बधाई देती हूं, जिससे वैमानिकी पेशा सबसे अधिक मांग वाला और ग्लैमरस करियर बन गया है।
देवियो और सज्जनो,
इस सम्मेलन का विषय है "2047 में एयरोस्पेस और एविएशन - भारत में उन्नत वैमानिकी के 75 वर्ष - Achievements, Challenges and Beyond"। मुझे बताया गया है कि यह सम्मेलन विमानन की असीमित दुनिया के लिए एक मील का पत्थर है, जिसमें अत्याधुनिक और अग्रणी प्रौद्योगिकियों और विमानन उद्योग के भविष्य में दूरदर्शी अंतर्दृष्टि साफ झलकती है।
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस सम्मेलन के कुछ मुख्य आकर्षणों में एयरो इंडस्ट्रीज द्वारा हरित पहल जैसे मुद्दे शामिल हैं; एवियोनिक्स पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग का प्रभाव; मानव पूंजी विकास और बुनियादी ढांचे का विकास; इस क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाना और रचनात्मक व्यवधानों के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना।
एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया अपनी 75वीं वर्षगांठ पर स्टार्टअप क्वेस्ट 2023 की शुरुआत कर रही है जो तीन नवोन्मेषी स्टार्टअप को प्रोटोटाइप अनुदान के रूप में 2 लाख रुपये तक की पेशकश करता है। प्रतिभा को निखारने, पहचानने और बढ़ावा देने के लिए यह एक सराहनीय और प्रशंसनीय कदम है।
मैं, प्रौद्योगिकी-संचालित और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के अमृतकाल के दृष्टिकोण में उनके प्रयासों और योगदान के लिए पूरे एयरोस्पेस और विमानन समुदाय की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
विमानन मानव प्रतिभा की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है जो सहज प्रौद्योगिकी फ्यूजन के साथ कल्पनाशील शक्ति को वास्तविकता प्रदान करती है। एयरोस्पेस और विमानन सहजता प्रदान करने और मानवातीत गतिविधियां हैं जो हमें इस ग्रह के विशाल वैश्विक कनेक्शन और अंतरिक्ष और उससे परे की खोज का अवसर प्रदान करती हैं।
जैसा कि हम एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की यात्रा समारोह में हम एविएशन और एयरोस्पेस, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, मिसाइल प्रौद्योगिकी और विमान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के बारे में विचार करते हैं तो देश द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों और सफलताओं पर गर्व होता है।
चाहे वह मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की उपलब्धि हो या मानव प्रयास से परे माने जाने वाले चाँद के दक्षिणी ध्रुव के पास सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की आरंभ-से-अंत तक क्षमता का प्रदर्शन हो, भारत ने साबित कर दिया है कि जो भारत हासिल करना चाहता है उसे पूरा करने की उसके पास इच्छाशक्ति और क्षमता है। गुणवत्ता, लागत-प्रभावशीलता और समय की पाबंदी के उच्चतम मानक हमारी सभी परियोजनाओं की पहचान रहे हैं। भविष्य के आदित्य एल1 और गगनयान मिशन से न केवल भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि समग्र रूप से मानवता की भी मदद होगी।
वर्ष 2003 में, सेमिनार-और-प्रदर्शनी एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी चैलेंजेज इन द मिलेनियम में अपने भाषण में, मेरे पूर्ववर्ती, यशस्वी राष्ट्रपति एपीजे कलाम ने एयरोस्पेस प्रणालियों में आत्मनिर्भरता का आह्वान किया, ताकि हम कॉन्फ़िगरेशन में परिवर्तन करने की सक्षमता के साथ जब जरूरत पड़े तो हम डटकर खड़े रह सकें।
आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य किया गया है। पिछले दशक में, कई नीतियां और अन्य पहल की गई हैं जो व्यापक मुद्दों को कवर करती हैं जैसे: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (यूडीएएन) का कार्यान्वयन, सार्वजनिक-निजी भागीदारी में वृद्धि, एमएसएमई को प्रोत्साहन, सीधे-सीधे एफडीआई में वृद्धि को प्राथमिकता देना, देश में डिज़ाइन किए गए विकसित और निर्मित (आईडीडीएम) उत्पाद, रक्षा गलियारों की स्थापना, और स्वदेशी रूप से डिज़ाइन की गई हाइपरसोनिक विंड टनल को चालू करना।
देवियो और सज्जनो,
हालाँकि हमने लंबी प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं। रक्षा उद्देश्यों, एयर मोबिलिटी और परिवहन के लिए गति और रनवे की स्वतंत्र प्रौद्योगिकियों को अपनाकर एयरोस्पेस क्षेत्र एक परिवर्तनकारी चरण से गुजर रहा है। हमें कुशल मानव संसाधन तैयार करने की आवश्यकता है जो इन मुद्दों का समाधान करने में दक्ष और सक्षम हो। साथ ही, वर्तमान कार्यबल को उन्नत और पुनः कुशल बनाने की भी आवश्यकता है।
एयरोस्पेस उद्योग में नवाचार होते रहते हैं, व्यवधान और चुनौतियां आती रहती हैं। मुझे विश्वास है कि उद्योग जगत के सभी मुख्य उद्यमी, विशेषज्ञ और उत्साही लोग आज यहां एकत्र हुए हैं और सभी एयरोस्पेस पेशेवर और नीति निर्माता इन चुनौतियों को स्वीकार करेंगे और बेहतर भविष्य के लिए संकल्प लेंगे।
देवियो और सज्जनो,
राष्ट्रपति ने कहा कि एयरो-प्रोपल्शन का डीकार्बोनाइजेशन करना एक कठिन कार्य है, पर इसे हमें करना होगा क्योंकि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग मनुष्यों के अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं।
टिकाऊ जेट ईंधन का विकास किया जाना अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों में से एक है, लेकिन इसे हासिल करना सबसे कठिन है क्योंकि पारंपरिक ईंधन बहुत अधिक घनत्व वाले होते हैं। ऐसे गैर-जीवाश्म टिकाऊ संसाधनों का पता लगाना जो इन पारंपरिक ईंधनों की जगह ले सकें, हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन के चरम बिंदु की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए, हमें बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन और हाइब्रिड जैसी नई प्रोपल्सन प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाना होगा।
देवियो और सज्जनो,
इस भरोसे और विश्वास के साथ कि यह सम्मेलन कई चुनौतियों का मूल्यवान समाधान प्रदान करेगा, मैं, एक बार फिर राष्ट्र के प्रति 75 वर्षों की समर्पित सेवा और ज्ञान के भंडार की और उन्नति की प्रतिबद्धता के लिए एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की सराहना करती हूं। मैं, आप सब को शुभकामनाएं देती हूं और साथ ही आशा करती हूं कि इस सम्मेलन से एयरोस्पेस की जानकारी और समझ गहन होगी, इसमें वृद्धि और विस्तार होगा।
मैं चाहती हूँ की आप सब ऐसे सपने देखें जिनकी कोई सीमा नहीं हो, जो वैज्ञानिक खोज की संभावनाओं को फिर से परिभाषित करें और ऐसे तारें बने जो आकाश को रोशन करें, तथा ऐसी खोज करें जो आज तक हुईं नहीं हैं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!