भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 16वीं असोसाई सभा के उद्घाटन समारोह में संबोधन।

नई दिल्ली : 24.09.2024

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भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 16वीं असोसाई सभा के उद्घाटन समारोह में संबोधन।

यह वास्तव में बहुत प्रसन्नता की बात है कि मुझे एशियाई सर्वोच्च ऑडिट संस्थान संगठन के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों की इस सभा को संबोधित करने का अवसर मिला है, जिसे असोसाई भी कहा जाता है। मैं, आप सबका हार्दिक स्वागत करती हूं।

लेखापरीक्षा और लेखांकन का पेशा तब से चला आ रहा है जब से सभ्यता का आरंभ हुआ है। भारत में, ऐसे ग्रंथ उपलब्ध हैं, जिनमें लिखा है कि राजस्व विवेक और ईमानदारी शासन कला के महत्वपूर्ण घटक क्यों हैं। इसी तरह के संदर्भ मिस्र, ग्रीस और रोम की सभ्यता के अध्ययन से भी सामने आते हैं। इस ऐतिहासिक संदर्भ में, मैं असोसाई की 16वीं सभा को राजस्व विवेक और वित्तीय ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करते हुए एक बेहतर और समृद्ध समाज विकसित करने के मानवता के प्रयासों जारी रखने वाले के रूप में देखती हूं।

देवियो और सज्जनो,

भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक देश की जनता के धन के प्रयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए ही भारत के संविधान में सीएजी के कार्यालय को व्यापक अधिदेश और पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है। संविधान सभा में सीएजी की भूमिका को समझाते हुए, भारत के संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने सीएजी को 'भारत के संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी' के रूप में वर्णित किया था।

मेरा मानना ​​है कि सीएजी का कार्यालय संविधान निर्माताओं की उम्मीदों पर खरा उतर रहा है। यह नीतिसिद्ध और नैतिक आचरण के आधार पर कार्य करता है जिसके कारण इसका कामकाज निष्ठापूर्वक होता है। सार्वजनिक वित्त की प्रभावी ऑडिटिंग के लिए समयबद्धता का भी बहुत महत्व है।

अगर समय रहते गलती बता दी जाए तो उसे सुधारा जा सकता है। इसका तात्पर्य यह है कि एक लेखा परीक्षक को न केवल गलतियों को बताने का काम सौंपा गया है, बल्कि शासन की गुणवत्ता में सुधार के लिए रास्ता सुझाने का कार्य भी उनका है।

सार्वजनिक क्षेत्र के ऑडिट का अधिदेश अब पारंपरिक ऑडिटिंग के साथ-साथ सार्वजनिक कल्याण योजनाओं और परियोजनाओं की प्रभावशीलता का आकलन करने तक हो गया है, इससे सब नागरिकों को एक समान सेवा मिलना सुनिश्चित होता है। विश्व में तेजी से प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है, ऐसे में प्रौद्योगिकी के माध्यम से अधिक से अधिक सार्वजनिक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इसलिए, ऑडिट कार्य प्रभावी ढंग से करने के लिए तकनीकी विकास को अपनाने की आवश्यकता है।

देवियो और सज्जनो,

आज, हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी जैसी उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकी आधुनिक शासन के लिए जरूरी हो गई हैं। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) डिजिटल अर्थव्यवस्था के कामकाज और नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को सहयोग प्रदान करने और उन्हें बढ़ाने के लिए आधार के रूप में कार्य करता है।

मुझे बताया गया है कि असेंबली के साथ आयोजित संगोष्ठी का विषय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण रखा गया है। डिजिटल पहचान से लेकर ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म तक, डीपीआई के पास सार्वजनिक सेवाओं और वस्तुओं की डिलीवरी में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने, उन्हें अधिक सुलभ, कुशल और समावेशी बनाने की क्षमता है। वास्तव में, हमने डीपीआई द्वारा भारत में लाए गए परिवर्तन को देखा है।

मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि चर्चा के उप-विषयों में से एक डिजिटल बुनियादी ढांचे तक पहुंच में संभावित असमानताओं का मुद्दा है, यह विषय मेरे दिल के बहुत करीब है। दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को डिजिटल प्रौद्योगिकी की सुविधा नहीं मिल पाती है, डिजिटली कुशल होने के उनके पास कम सुविधा है और इसलिए डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनका प्रतिनिधित्व कम है। इसके कारण न केवल आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच कम है बल्कि असमानता भी फैलती है। ऐसे में सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। लेखा परीक्षकों के रूप में, उनके पास यह सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और अवसर मिला है कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को इस तरह से डिजाइन किया जाए और कार्यरूप दिया जाए जो सब को साथ लेकर चले और सबको सुलभ हो।

देवियो और सज्जनो,

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और उन्हें विशेष रूप से स्वतंत्र सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों द्वारा भी एक आदर्श के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने नेटाल इंडियन कांग्रेस के शुभारंभ के साथ दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक सेवा में अपना करियर शुरू किया। 1894 में, जब वह केवल 25 वर्ष के थे, उन्होंने उस संगठन की वार्षिक रिपोर्ट में छह पेंस की विसंगति को समझाने का कार्य किया। अपने पूरे जीवनकाल में, विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रचुर मात्रा में सार्वजनिक अनुदान को संभालने में सदैव सतर्कता से कार्य किया। ऐसा कहा जाता है कि उनके बही-खातों में, 'विविध' शब्द वर्जित था। वह किसी भी संगठन के लिए खातों का सावधानीपूर्वक रख-रखाव आवश्यक मानते थे। उन्होंने कहा है, [जिसे मैं उद्धृत करती हूं] 'खातों के समुचित रख-रखाव के बिना सत्य को शुद्ध बनाए रखना संभव नहीं है।' वह चाहते थे कि सार्वजनिक लेखा परीक्षक सत्य को स्पष्ट रूप से सामने लाएँ। तीक्ष्णता और कठोरता परस्पर विरोधी गुण हैं, लेकिन एक आदर्श सार्वजनिक लेखा परीक्षक इनको साथ लेकर कार्य करता है।

किन्तु वित्तीय क्षेत्र में अक्सर अपारदर्शी लेखांकन पद्धतियाँ बनी रहती है। ऐसी स्थिति में, स्वतंत्र सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों का कार्य यह जाँचना है कि सार्वजनिक संसाधनों का कुशलतापूर्वक, प्रभावी रूप से और पूरी निष्ठा से प्रबंधन किया जाए। एसएआई द्वारा किए जाने वाले ऑडिट और मूल्यांकन से न केवल सार्वजनिक धन की सुरक्षा होती है बल्कि शासन में जनता का विश्वास भी बढ़ता है।

एशिया एक ऐसे महाद्वीप के रूप में उभर रहा है जो वैश्विक आर्थिक एजेंडे का निर्धारण कर रहा है और आप सब दुनिया के आधे से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। मुझे पता चला है कि असोसाई सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन के एक क्षेत्रीय समूह के रूप में लोगों के जीवन के मानकों में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करता है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। गोवा में जी -20 देशों के सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों के हालिया सम्मेलन में, सदस्य देशों ने एक-दूसरे की सर्वोत्तम ऑडिट प्रथाओं में सहयोग करने, उनसे सीखने और उन्हें अपनाने का संकल्प लिया। यह संकल्प भारत की सदियों पुरानी मान्यता: ' वसुधैव कुटुंबकम' – पूरा विश्व एक परिवार है, के अनुरूप है।

मुझे बताया गया है कि असोसाई ने अपनी यात्रा 1979 में नई दिल्ली से प्रारम्भ की थी। आज फिर यह यात्रा दिल्ली पहुँच गई है। भारत की सीएजी संस्था का सार्वजनिक लेखापरीक्षा का एक समृद्ध इतिहास है। मुझे विश्वास है कि 16वीं असोसाई असेंबली के मेजबान के रूप में एसएआई इंडिया के पास असेंबली में एकत्रित विद्वानों के विचार-विमर्श के लिए बहुत कुछ होगा।

मैं, वर्ष 2024 से 2027 की अवधि के लिए असोसाई की अध्यक्षता संभालने के लिए एसएआई इंडिया को भी बधाई देती हूं। भारत का सीएजी चौथी बार असोसाई की अध्यक्षता कर रहा है। यह न केवल एसएआई भारत के लिए बल्कि एक देश के रूप में हम सबके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। मुझे विश्वास है कि भारत के सीएजी के कुशल नेतृत्व में, असोसाई नई ऊंचाइयों को छूएगा और सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

मैं, आप सबके लिए सफल विचार-विमर्श और असेंबली की सफलता की कामना करती हूं। आप सब साथ मिलकर, एक ऐसे भविष्य-निर्माण की दिशा में कार्य कर सकते हैं जहां ऑडिट का कार्य न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही में योगदान देना हो बल्कि ऑडिट एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने में भी योगदान दे।

मैं, आशा करती हूँ कि आधिकारिक विचार-विमर्श के साथ-साथ आपको समृद्ध और विविध भारतीय संस्कृति का पता लगाने और उसका आनंद लेने का अवसर मिलेगा।

मैं, भारत में आप सब के आरामदायक और आनंददायक प्रवास की कामना करती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिंद!

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